कांग्रेस, 'हर हर मोदी' नारे के खिलाफ
कांग्रेस को कौन समझाये कि हिन्दू संस्कृति में भगवान इंसान के रूप में ही अवतार लेते हें ।
कांग्रेस हमेशा ही हिन्दू विरोधी दृष्टिकोंण अपनाती रही हे इसलिए वह क्या जानें कि भारतीय संस्कृति क्या है ॥
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27 Mar 2014
'हर हर मोदी' नारे के खिलाफ कांग्रेस, पहुंची चुनाव आयोग
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बीजेपी के वाराणसी में 'हर हर मोदी' के नारे का इस्तेमाल किये जाने के खिलाफ कांग्रेस ने गुरुवार को चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है.कांग्रेस ने कहा कि धर्म का इस्तेमाल करना चुनाव आचार संहिता के प्रावधानों के खिलाफ है.
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से बीजेपी की मान्यता समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि मुख्य विपक्षी दल इस बात से इंकार कर रही है कि 'हर हर मोदी घर घर मोदी' उसका अधिकृत नारा है लेकिन इसके बावजूद वाराणसी में पार्टी कार्यकर्ता इसका इस्तेमाल लगातार कर रहे हैं.
कांग्रेस ने कहा कि मोदी ने वाराणसी में एक जनसभा को संबोधित किया जहां मंच पर पीछे भगवान शिव का चित्र लगाया गया था जिसकी चुनाव आचार संहिता के तहत इजाजत नहीं है.
कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के प्रमुख के सी मित्तल के हस्ताक्षर से दाखिल किये गये ज्ञापन में कहा गया है कि भगवान शिव या महादेव और बनारस में काशी विश्वानाथ मंदिर को पूरी दुनिया में धार्मिक पवित्रता प्राप्त है.
हिन्दू और भगवान महादेव को मानने वाले सभी श्रद्धालु भगवान का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए पूरी श्रद्धा के साथ ‘‘हर हर महादेव और घर घर महादेव’’ का जप करते हैं. इस भजन में कोई मानव भगवान महादेव का स्थान नहीं ले सकता.
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि लगता है कि भाजपा द्वारा इस नारे का इस्तेमाल मोदी को भगवान महादेव के रूप में पेश करने की रणनीति का हिस्सा है ताकि चुनावी फायदे के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं का दोहन किया जा सके.
अखबारी खबरों का उल्लेख करते हुए ज्ञापन में कहा गया कि भाजपा ने 'हर हर मोदी घर घर मोदी' के नारों के साथ एलसीडी टीवी युक्त 400 मोबाइल वैन की व्यवस्था की है.
उसने कहा कि भाजपा अब एक नया नारा लेकर आई है ‘‘दिल में मोदी, घर में मोदी, काशी के कण कण में मोदी’’.
ज्ञापन में कहा गया है कि इस नये नारे का भी उद्देश्य लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काना है. कण कण में भगवान एक जाना माना भजन है.
ज्ञापन में यह भी दावा किया गया कि भाजपा के इस नारे 'अबकी बार मोदी सरकार' को भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि यह असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है.
भारतीय लोकतंत्र में किसी व्यक्ति को नहीं अकेले राजनीतिक दलों को सरकार बनाने को कानूनी अधिकार है.
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