पाक में सीधी जंग की ताकत नहीं - नरेंद्र मोदी
मोदी ने कहा, पाक में सीधी जंग की ताकत नहीं
लेह, एजेंसी First Published:12-08-14
अपनी पहली लेह और लद्दाख यात्रा के दौरान थलसेना और भारतीय वायुसेना के जवानों को संबोधित करते हुए मोदी ने पाकिस्तान द्वारा जारी परोक्ष युद्ध की निंदा की। मोदी ने कहा कि पड़ोसी देश पारंपरिक युद्ध लड़ने की क्षमता खो चुका है, लेकिन आतंकवाद के परोक्ष युद्ध में अभी भी संलिप्त है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को युद्ध के मुकाबले आतंकवाद से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
आतंकवाद को एक वैश्विक समस्या बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के सभी मानवतावादी ताकतों को इससे लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत इन मानवतावादी बलों को एकजुट करने और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मोदी ने कहा कि भारत आधुनिक हथियारों एवं प्रौद्योगिकी से सुसज्जित मजबूत सशस्त्र बलों के प्रति प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जवानों को आश्वस्त होना चाहिए कि पूरा देश उनका समर्थन करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि काफी प्रतिकूल चीजों और अपने परिवारों के दैनिक जीवन में संघर्षों के बावजूद सैनिक अडिग रहते हैं। सैनिकों की यह उर्जा एवं कर्तव्य पालन का बोध उन्हें (मोदी को) प्रेरणा देता है। इसलिए वे प्रेरणा लेने के लिए सीमा पर जवानों के पास जाते रहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और कल्याण के लिए केंद्रीय बजट में प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों में एक रैंक एक पेंशन का प्रावधान भी शामिल है। मोदी ने सैनिकों से वादा किया कि भारत की भावी पीढियों को प्रेरणा देने के लिए एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने रक्षा कर्मियों को यह भी बताया कि सरकार रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीमावर्ती इलाकों में तैनात सशस्त्र बलों का वहां रहने वाले लोगों से बेहतर जुड़ाव बताते हुए मोदी ने करगिल घुसपैठ का उदाहरण दिया। जिसके बारे में पहली सूचना ताशी नामग्याल नामक एक चरवाहे ने दी थी। यहां से रवाना होने से पहले मोदी ने सैनिकों से बातचीत की और आगंतुकों की पुस्तक में लिखा कि विकास के लिए शांति एवं सुरक्षा जरूरी हैं।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, बिजली मंत्री पीयूष गोयल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजित दोभाल और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह भी इस अवसर पर मौजूद थे।
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छद्म युद्ध' के लिए मोदी ने की पाकिस्तान की आलोचना
12, AUG, 2014, TUESDAY
लेह | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर 'छद्म युद्ध' जारी रखने का आरोप लगाते हुए इसके लिए मंगलवार को उसकी आलोचना की। लेह में जवानों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, "पड़ोसी देश के पास परंपरागत युद्ध की क्षमता नहीं रही है, लेकिन वह आतंकवाद के छद्म युद्ध में लगातार शामिल है।"
जम्मू एवं कश्मीर में लद्दाख क्षेत्र के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे मोदी ने जवानों को संबोधित करते हुए केंद्रीय बजट में सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण तथा 'वन रैंक वन पेंशन' सहित सशस्त्र बलों के कल्याण के लिए किए गए प्रावधानों का जिक्र किया।उन्होंने कहा कि उनकी सरकार देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का भी वादा किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे सुरक्षा बलों को युद्ध की बजाय आतंकवाद से अधिक नुकसान हो रहा है और इसकी वजह से हम अपने जवानों को खो रहे हैं। आतंकवाद को वैश्विक समस्या करार देते हुए मोदी ने कहा, "यह एक वैश्विक समस्या है और दुनिया के सभी मानवीय बलों को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना चाहिए। भारत इन मानवीय बलों को मजबूत एवं एकजुट करने के लिए प्रतिबद्ध है।"उन्होंने यह भी कहा कि देश सशस्त्र बल को मजबूत बनाने तथा उन्हें आधुनिक हथियारों एवं प्रौद्योगिकी से संपन्न बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी ने कहा कि सैनिकों की 'ऊर्जा और कर्तव्यनिष्ठा' ने उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने कहा, "जवानों को आश्वस्त किया जाना चाहिए कि पूरा देश उनका समर्थन करता है। अपने परिवार द्वारा दिन-प्रतिदिन के जीवन में कई नकारात्मकताओं और संघर्षो का सामना करने के बावजूद वे अडिग रहते हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि सीमा क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा बलों के जवानों के संबंध इन इलाकों में रह रहे लोगों से अच्छे हैं। उन्होंने इसका उदाहरण भी दिया और कहा कि करगिल घुसपैठियों की सूचना सुरक्षा बलों को सबसे पहले ताशी नामग्याल नाम के गड़ेरिये ने ही दी थी।वर्ष 1999 में हुए करगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया था। बाद में लेह ऑडिटोरियम में मोदी ने आगंतुक पुस्तिका में लिखा कि शांति और सुरक्षा विकास की पहली आवश्यकता है।
Tit for tat
जवाब देंहटाएंजैसे तो तैसा
और मिलेगा कैसा
बहुत बढ़िया सामयिक प्रस्तुति