भारत में रहने वाले लोग हिंदू क्यों नहीं : परम पूज्य भागवत जी



भारत में रहने वाले लोग हिंदू क्यों नहीं:  भागवत जी 

सोमवार, 11 अगस्त 2014

कटक। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख परमपूज्य  मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि अगर इंग्लैंड में रहने अंग्रेज हैं, जर्मनी में रहने वाले जर्मन हैं और अमेरिका में रहने वाले अमेरिकी हैं तो फिर हिंदुस्तान में रहने वाले सभी लोग हिंदू क्यों नहीं हो सकते।

उड़िया भाषा के एक साप्ताहिक के स्वर्ण जयंती समारोह में भागवत ने कहा, ‘सभी भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान हिंदुत्व है और देश में रहने वाले इस महान संस्कृति के वंशज हैं।’ उन्होंने कहा कि हिंदुत्व एक जीवन शैली है और किसी भी ईश्वर की उपासना करने वाला अथवा किसी की उपासना नहीं करने वाला भी हिंदू हो सकता है।

स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए भागवत ने कहा कि किसी ईश्वर की उपासना नहीं करने का मतलब यह जरूरी नहीं है कि कोई व्यक्ति नास्तिक है, हालांकि जिसका खुद में विश्वास नहीं है वो निश्चित तौर पर नास्तिक है।

उन्होंने कहा कि दुनिया अब मान चुकी है कि हिंदुत्व ही एकमात्र ऐसा आधार है जिसने भारत को प्राचीन काल से तमाम विविधताओं के बावजूद एकजुट रखा है। (भाषा)
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भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू क्यों नहीं हो सकते: मोहन भागवत
Monday, August 11, 2014 -
कटक : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि अगर इंग्लैंड में रहने वाले अंग्रेज हैं, जर्मनी में रहने वाले जर्मन हैं और अमेरिका में रहने वाले अमेरिकी हैं तो फिर हिंदुस्तान में रहने वाले सभी लोग हिंदू क्यों नहीं हो सकते।
उड़िया भाषा के एक साप्ताहिक के स्वर्ण जयंती समारोह में भागवत ने कहा, ‘सभी भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान हिंदुत्व है और देश में रहने वाले इस महान सस्कृति के वंशज हैं।’ उन्होंने कहा कि हिंदुत्व एक जीवन शैली है और किसी भी ईश्वर की उपासना करने वाला अथवा किसी की उपासना नहीं करने वाला भी हिंदू हो सकता है।
स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए भागवत ने कहा कि किसी ईश्वर की उपासना नहीं करने का मतलब यह जरूरी नहीं है कि कोई व्यक्ति नास्तिक है, हालांकि जिसका खुद में विश्वास नहीं है वो निश्चित तौर पर नास्तिक है।
उन्होंने कहा कि दुनिया अब मान चुकी है कि हिंदुत्व ही एकमात्र ऐसा आधार है जिसने भारत को प्राचीन काल से तमाम विविधताओं के बावजूद एकजुट रखा है।
भाषा
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भागवत के हिंदू बयान पर मचा सियासी घमासान
Mon, 11 Aug 2014

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान "भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू कहे जाएं" पर सियासी घमासान मच गया है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने भागवत के इस बयान की कड़ी आलोचना की है।

कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जनता दल युनाइटेड, माकपा और बसपा ने भागवत के इस बयान की कड़ी आलोचना की है जबकि भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने संघ प्रमुख के बयान का समर्थन किया है।

भागवत ने ओडिशा के कटक में एक कार्यक्रम में रविवार को कहा था कि अगर इंग्लैंड में रहने वाले अंग्रेज हैं, जर्मनी में रहने वाले जर्मन हैं और अमेरिका में रहने वाले अमरीकी हैं तो हिन्दुस्तान में रहने वाले सभी लोग हिन्दू क्यों नहीं हो सकते।

"पहले करें संविधान का अध्ययन"
इस पर बसपा प्रमुख मायावती ने संसद परिसर में कहा, "मैं समझती हूं कि उनको भारतीय संविधान का ज्ञान नहीं है। यदि उन्हें इसकी जानकारी होती तो वह ऎसा नहीं कहते। उन्हें पहले संविधान का अध्ययन करना चाहिए और फिर इस तरह की बातें करनी चाहिए।"

उन्हाेंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने देश में रहने वाले विभिन्न धर्मो को ध्यान में रखकर ही देश का नाम हिन्दुस्तान नहीं, भारत रखा था और धर्मनिरपेक्षता के आधार देश का संविधान बनाया था।

भारत में रहने वाला भारतीय
राकांपा के डी पी त्रिपाठी ने कहा कि भागवत जी की इतनी बात ठीक है कि फ्रांस में रहने वाला फ्रांसीसी है और इटली में रहने वाला इतालवी। उसी तरह भारत में रहने वाले भारतीय हैं। लेकिन फ्रांस का कोई व्यक्ति यह नहीं कहेगा कि उसकी पहचान फ्रांसीसी कैथोलिक है, इसलिए भारत में रहने वाला हर व्यक्ति भारतीय है।

कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने कहा कि संविधान में सभी धर्मो को बराबर का दर्जा दिया गया है। व्यक्तिगत तौर पर अगर वह हिन्दू धर्म मानते हैं उनको खुद को हिन्दू कहने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन देश को हिन्दू राष्ट्र नहीं कहा जा सकता।

माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी भागवत के बयान की आलोचना की। जदयू के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि संविधान में इन्सान बनने का सबक है। 68 बरस हो गए हैं और देश संविधान के बताए रास्ते पर चल रहा है और आगे भी चलेगा। जो इस रास्ते को बदलने की कोशिश करेगा वह सफल नहीं होगा।

शिवसेना के संजय राउत ने भागवत के बयान का स्वागत करते हुए कहा कि बाला साहेब ठाकरे ने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया था। हिन्दू केवल एक धर्म नहीं है बल्कि एक जीवन शैली है। वे भागवत के बयान का पूरी तरह समर्थन करते हैं।

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