मोदी, पशुपति नाथ को 2500 किलो चंदन समर्पित करेंगे



पशुपति नाथ को 2500 किलोग्राम चंदन चढ़ाएंगे मोदी
By  एजेंसी Saturday, 02 August 2014

काठमांडू: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेपाल स्थित मशहूर तीर्थस्थल पशुपतिनाथ मंदिर में सोमवार को विशेष पूजा-अर्चना के दौरान 2500 किलोग्राम चंदन चढ़ाएंगे. पशुपतिनाथ क्षेत्र विकास न्यास (पीएडीटी) के सदस्य सचिव गोविंद टंडन ने शनिवार को आईएएनएस को बताया, "हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने 2.5 टन सफेद चंदन की लकड़ी पशुपतिनाथ मंदिर को भेजी है. चंदन की लकड़ी का मूल्य करीब तीन करोड़ रुपये होगा."

इस चंदन ने मंदिर प्रबंधन समिति को बेहद राहत दी है, क्योंकि शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए उसे कम से कम आधा किलोग्राम सफेद चंदन की जरूरत पड़ती है.

टंडन ने कहा, "चंदन पहले भारतीय दूतावास में आया और वहां से शुक्रवार को न्यास के हवाले किया गया. भारतीय प्रधानमंत्री के हाथों से चंदन लेने के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा."

पीएडीटी ने कहा है कि पूजा के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और कुछ प्रक्रिया रविवार शाम पूरी की जाएगी.
श्राणव महीना शिव लिंगों के अभिषेक के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है और इस माह में सोमवार को पूजा अर्चना करने का विशेष विधान है. मोदी सोमवार को श्रावण की अंतिम सोमवारी को पशुपतिनाथ का दर्शन पूजन करेंगे.
पशुपतिनाथ मंदिर को हर रोज बड़ी मात्रा में चंदन की लकड़ी की आवश्यकता होती है. हर रोज पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारी करीब आधा किलोग्राम चंदन शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. भारत सरकार ने कुछ वर्ष पहले 500 किलोग्राम चंदन की लकड़ी पशुपतिनाथ मंदिर को अर्पित किया था.

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बनेगी - अरविन्द सिसोदिया

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

भारत को बांटने वालों को, वोट की चोट से सबक सिखाएं - अरविन्द सिसोदिया

शनि की साढ़े साती के बारे में संपूर्ण

ईश्वर की परमशक्ति पर हिंदुत्व का महाज्ञान - अरविन्द सिसोदिया Hinduism's great wisdom on divine supreme power

देव उठनी एकादशी Dev Uthani Ekadashi