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गांव, गरीब , किसान , महिलायें और युवा समर्थक है इस बार का बजट : प्रधानमंत्री

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गांव, गरीब और किसान समर्थक है इस बार का बजट: प्रधानमंत्री पीटीआई-भाषा संवाददाता 17:34 HRS IST नयी दिल्ली, 29 फरवरी :भाषा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि इस बार का बजट गांव, गरीब और किसान समर्थक है जिसमें देश में गुणवत्तापूर्ण बदलाव लाने और कई समयबद्ध कार्यक्रमों के जरिए गरीबी उन्मूलन पर जोर दिया गया है ।  वित्त वर्ष 2016-17 के बजट पर टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें कृषि, ग्रामीण बुनियादी संरचना, स्वास्थ्य देखभाल, रोजगार पैदा करने और दलित उद्यमिता पर विशेष ध्यान दिया गया है । मोदी ने कहा, ‘‘यह बजट गांव, गरीब और किसान समर्थक है । देश में गुणवत्तापूर्ण बदलाव लाने पर पूरा ध्यान दिया गया है । इससे आम लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आएगा ।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि बजट ने समयबद्ध तरीके से गरीबी उन्मूलन का खाका पेश किया है । उन्होंने कहा, ‘‘किसानों के लिए कई कदम उठाए गए हैं । सबसे अहम प्रधानमंत्री कृषि योजना है ।’’ मोदी ने कहा कि बिजली और सड़कें गांवों के लिए काफी अहम हैं । उन्होंने कहा कि 2019 तक देश के सभी गांव सड़कों से जुड़ जाएंगे जबकि सभी गांवों में 20...

अरुण जेटली : क्या हम ऐसे लोगों को समर्थन दे रहे हैं, जिनकी सोच ही इस देश के टुकड़े करने की है

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क्या हम ऐसे लोगों का समर्थन कर रहे हैं जिनकी सोच देश के टुकड़े करने की है : जेटली http://khabar.ndtv.com/arun-jaitley NDTVKhabar.com team , Last Updated: गुरुवार फ़रवरी 25, 2016 http://khabar.ndtv.com/news नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और माकपा नेता सीताराम येचुरी ने गुरुवार को राज्यसभा में जेएनयू विवाद और हैदराबाद में रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की खुदकुशी के मामले में बहस में भाग लिया। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राष्ट्रवाद पर हुई बहस में सवाल किया कि क्या हम ऐसे लोगों को समर्थन दे रहे हैं, जिनकी सोच ही इस देश के टुकड़े करने की है। क्या कोई कह सकता है कि मकबूल बट और अफजल गुरु को फांसी दिए जाने वाले दिन को याद करते हुए उनका शहीदी दिवस मनाया जाए। एचसीयू और जेएनयू में जिस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए, हमें उन्हें लेकर अपनी सोच स्पष्ट करनी चाहिए। जेटली ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, जेएनयू जाने से पहले आपको सोचना चाहिए था, आप तो काफी समय तक सत्ता में रहे हैं। हम तो नए-नए आए हैं। आपके दो नेताओं को आतंकवादियों ने मारा है, आपको इस मामले में हमस...

करदाता का पैसा, देश के खिलाफ भड़काने के लिए खर्च नहीं किया जा सकता : अनुराग सिंह ठाकुर

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श्री अनुराग सिंह ठाकुरः यह कांग्रेस पार्टी को तय करना होगा कि वह जान लेने वालों के साथ हैं या जान बचाने वालों के साथ हैं। आज देश यही जवाब मांगना चाहता है। जे॰एन॰यू॰ की ग्राण्ट पिछले डेढ़ साल में कम नहीं हुई। लेकिन देश के करदाता का पैसा किसी को देश के खिलाफ भड़काने के लिए खर्च नहीं किया जा सकता हैं यदि करदाता पूछता है कि पैसा मेरा काटते हो, सब्सिडी वहां पर देते हो, लेकिन तिरंगे झंडे को अपमानित करने वाले, देश के सैनिकों को अपमानित करने वालों को क्या हम वहां इकट्ठा करके रखोगे। यह नहीं चलेगा और यही नहीं, वहां पर नारे क्या लगे थे, नारे लगे ‘कश्मीर की आजादी तक, जंग रहेगी। भारत की बर्बादी तक, जंग रहेगी। अगर इसी को अभिव्यक्ति की आजादी कहा जाता है तो दुर्भाग्य है, यह अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है। कोई भी अपने देश को तोड़ने के लिए, ऐसी देशविरोधी ताकतों को आगे आने को कोई मौका नहीं देंगे। मैं कहना चाहता हूं कि भारत सरकार और भारत में अंतर है। भारत सरकार की आलोचना कीजिए। हमारी सरकार की नीतियों और हमारे कार्यक्रमों की आलोचना कीजिए लेकिन हमारे भारत की आलोचना मत कीजिए। वर्ष 2010 में दांतेवा...

आम नागरिक के लिए सुरेश प्रभु का रेल बजट

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सुरेश प्रभु का रेल बजट 2016 : आम आदमी के लिए 10 बड़ी घोषणाएं NDTVKhabar.com team , गुरुवार 25 फ़रवरी  2016   नई दिल्ली: रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने गुरुवार को रेल बजट 2016 पेश करते हुए यात्रियों के लिए कई घोषणाएं कीं, और कहा, "हमारी सरकार हमेशा आम आदमी के बारे में ही सोचती है..." सो आइए पढ़ते हैं, उनकी 10 बड़ी घोषणाओं के बारे में..." रेल बजट 2016 में आम आदमी के लिए 10 बड़ी घोषणाएं ०१- चार नई ट्रेनें शुरू होंगी - 'हमसफर', 'तेजस', 'उदय' और 'अंत्योदय'... 'हमसफर' पूर्णतः वातानुकूलित ट्रेन होगी, जिसमें वैकल्पिक भोजन की भी व्यवस्था होगी... 'तेजस' हाई-स्पीड ट्रेन होगी... 'उदय' डबल-डेकर ट्रेन होगी... 'अंत्योदय' पूरी तरह अनारक्षित ट्रेन होगी... ०२- 'क्लीन माई कोच' सेवा के जरिये यात्री सफर के दौरान ही सिर्फ एक एसएमएस भेजकर डिब्बे की सफाई करवा सकेंगे... ०३- बार-कोडयुक्त टिकटों तथा स्कैनरों की मदद से टिकटहीन यात्रा में आसानी होगी, तथा यात्रियों की दिक्कतें भी कम होंगी... ०४- जल्द ही व्यवस्थ...

इंदिरा के बेटे ने नहीं किया था देशद्रोहियों का सपोर्ट - स्मृति ईरानी

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स्मृति का राहुल पर निशाना- इंदिरा के बेटे ने नहीं किया था देशद्रोहियों का सपोर्ट dainikbhaskar.comFeb 24, 2016, http://www.bhaskar.com बुधवार को लोकसभा में स्मृति ईरानी। नई दिल्ली.बजट सेशन के दूसरे दिन बुधवार को राज्यसभा-लोकसभा में रोहित वेमुला सुसाइड केस और जेएनयू में देश विरोधी नारेबाजी के मुद्दे पर हंगामेदार बहस हुई। पहले राज्यसभा में स्मृति ईरानी और मायावती आमने-सामने हो गईं। शाम को लोकसभा में स्मृति कई बार इमोशनल हो गईं। कहा- ‘मैं इस मुद्दे को पर्सनली ले रही हूं।’ जेएनयू स्टूडेंट्स का सपोर्ट कर रहे राहुल के लिए कहा, ‘‘सत्ता तो इंदिरा गांधी ने भी खोई थी। लेकिन उनके बेटे ने कभी भारत की बर्बादी के नारों का समर्थन नहीं किया था।’’ इन 8 मौकों पर स्मृति ने साधा कांग्रेस-राहुल पर सीधा निशाना... 1.हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रोहित के दलित स्टूडेंट होने की वजह से उसे टारगेट किए जाने के कांग्रेस के आरोपों पर स्मृति ने कहा, ‘मेरा नाम स्मृति ईरानी है। मैं किसी को भी चैलेंज करती हूं कि मेरी जाति बताए।’ 2.स्मृति ने कहा- राहुल कहते, ‘आओ स्मृति ईरानी! हम चलकर जेएनयू स्टूडेंट्स से कहें कि ज...

आतंकवादी की बरसी बनाम मौलिक कर्तव्य Fundamental Duties

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- अरविन्द सिसोदिया, जिला महामंत्री,  भाजपा, कोटा, राजस्थान । जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जो कुछ हुआ वह आतंकवाद की पाठशाला से कम नहीं , आश्चर्य ही है कि विश्वविद्यालय प्रशासन भारत की संसद पर आतंकी हमले के लिये जिम्मेदार आतंकवादी की बरसी मनाने की इजाजत कैस दे देता हे। यह कृत्य भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्यों  का उल्लंघन तो है ही। अन्य कानून की बहुत सी धाराओं के अनुसार अपराध भी है। एक बहुत ही सामन्य सी बात है, जो भी नागरिक संविधान के मूल कर्तव्यों की पालना नहीं करता , वह संविधान विरोधी तो हो ही गया। जो संविधान विरोधी है उसे भारत में रहने का हक क्या हे।   मेरा बहुत स्पष्टमत है कि धार्मिक , सरकारी और गैर सरकारी तथा व्यक्तिगत तक की शिक्षाओं में कोई भी भारत विरोधी शिक्षा भारत में देता है या इस तरह के कृत्य के अवसर प्रदान करता है। तो उसकी मान्यता तत्काल निरस्त की जाये और उन चिन्हित व्यक्तियों के विरूद्ध प्रभावी आपराधिक कार्यवाही की जाये। \\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\ मौलिक कर्तव्य Fundamental Duties सामान्य परिचय अनुच्छेद 51 (क) के अ...

संसद पर हमला :13 दिसंबर 2001: मुख्य आरोपी अफजल गुरु : जेएनयू

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भारत की संसद पर हमले के आरोपी की बरसी मनाने वाले अपने आप को देश भक्त कैसे कह सकते हैं ?  कोई भी विश्व विद्यालय देश विरोधियों  को अनुमति कैसे दे सकता ?? और देशविरोधी का साथ देने को सिर्फ और सिर्फ देशद्रोही  कहा जाता हे !  अभिव्यक्ती की स्वतंत्रता का नाम लेकर देश से गद्दारी नही की जा सकती !! संसद पर हमले की पूरी कहानी... http://hindi.webdunia.com 13 दिसंबर 2001 को जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया था। उस दिन एक सफेद एंबेसडर कार में आए इन आतंकवादियों ने 45 मिनट में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी करके पूरे हिंदुस्तान को झकझोर दिया था  यह पाकिस्तान की भारत के लोकतंत्र के मंदिर को नेस्तनाबूद करने की साजिद थी, लेकिन हमारे सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए इन आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। जानिए संपूर्ण घटनाक्रम जानिए ! कैसे हुआ था हमला- तारी‍ख 13 दिसंबर, सन 2001, स्थान- भारत का संसद भवन। लोकतंत्र का मंदिर जहां जनता द्वारा चुने सांसद भारत की नीति-नियमों का निर्माण करते हैं। आम दिनो...

साम्यवादी सोच का सच : आशुतोष मिश्र

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साम्यवादी सोच का सच ( दैनिक जागरण ) Editor, Sampadkiya February 22, 2016 लेखक -  आशुतोष मिश्र , लखनऊ विश्व विद्यालय राजनीती शास्त्र के विभागाध्यक्ष   जेएनयू से भारत की बर्बादी तक जंग जारी रखने के ऐलान को सुनकर सारा देश सदमे में है। इस जंग को जीतने के लिए हर घर से अफजल निकलने और अफजल के हत्यारों को जिंदा न छोड़ने का संकल्प सार्वजनिक हो गया है। जेएनयू का चालीस साल पुराना छात्र होने के नाते मेरे लिए इसमें कुछ नया नहीं है। कम्युनिस्ट क्रांतिकारिता और इस्लामी कट्टरवादिता की दुस्साहसी दुरभिसंधि की कहानी उससे भी तीस साल पुरानी है जब अधिकारी थीसिस के आधार पर मार्क्‍सवादियों ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर पाकिस्तान बनाने का आंदोलन चलाया था। इसका औपचारिक आरंभ तो उससे भी पच्चीस साल पहले अगस्त 1920 में हुआ जब एमएन रॉय ने डीकॉलोनाइजेशन थीसिस के जरिये भारत के साम्यवादियों को आजादी के आंदोलन से अलग रखने की कोशिश की। आजादी के बाद दोबारा देश के कम्युनिस्ट नेताओं को मॉस्को बुलाकर स्टालिन ने फटकारा। इस वजह से मजबूरी में हमारे कम्युनिस्ट नेताओं ने माना कि भारत देश थोड़ा आजाद हुआ है औ...

कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी और उपाध्यक्ष राहुल गाँधी देश से मांफी मांगे - अमित शाह

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क्या यही है कांग्रेस की राष्ट्रभक्ति की नई परिभाषा ? - अमित शाह , राष्ट्रिय अध्यक्ष भाजपा केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की सफलता से निराशा और हताश कांग्रेस गहरे अवसाद से ग्रस्त है। पार्टी और उसके नेता यह समझ नहीं पा रहे हैं कि इस अवसाद की अवस्था में वो देश के समक्ष कैसे एक जिम्मेदार राजनीतिक दल की भूमिका निभायें। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी तो इस हताशा में देश विरोधी और देश हित का अंतर तक नहीं समझ पा रहे हैं। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू ) में जो कुछ भी हुआ उसे कहीं से भी देश हित के दायरे में रखकर नहीं देखा जा सकता है। देश के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारे लगें और आतंकवादियों की खुली हिमायत हो, इसे कोई भी नागरिक स्वीकार नहीं कर सकता। लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने जेएनयू जाकर जो बयान दिए हैं उसने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनकी सोच में राष्ट्रहित जैसी भावना का कोई स्थान नहीं है। जेएनयू में वामपंथी विचारधारा से प्रेरित कुछ मुट्ठीभर छात्रों ने निम्नलिखित राष्ट्रविरोधी नारे लगाए: “पाकिस्तान जिंदाबाद...

देशद्रोही गतिविधियों को सहन नहीं किया जा सकता : अमित शाह

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा दिए गए प्रेस टिप्पणी के मुख्य अंश  देश की जमीन पर या इसके किसी भी हिस्से पर इस तरह की देशद्रोही गतिविधियों को सहन नहीं किया जा सकता: अमित शाह ********** देश की जनता यह जानना चाहती है कि आखिर अभिव्यक्ति की आजादी की कांग्रेस की व्याख्या क्या है: अमित शाह ********** देश की जनता यह जानना चाहती है कि कांग्रेस देश के सर्वोच्च अदालत के फैसले को मानती है या नहीं: अमित शाह ********** भारतीय जनता पार्टी देश की रक्षा करने वाले शहीद जवानों और उनके परिवारों के साथ खड़ी है और हर राष्ट्रभक्त व्यक्ति एवं संस्थाओं को देश की सुरक्षा करनेवाले जवानों के संवेदनाओं की चिंता करना चाहिए: अमित शाह ********** अगर कांग्रेस उपाध्यक्ष, अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इन राष्ट्रविरोधी नारों कासमर्थन कर रहे हैं तो इससे बड़ा देशद्रोह का सबूत और क्या हो सकता है: अमित शाह ********** आज भी कांग्रेस के प्रवक्ता आतंकी अफज़ल गुरु को अफज़ल गुरु 'जी' कहकर सम्बोधित कर रहे हैं: अमित शाह ********** क्या कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी द्वारा जेएनयू ...

सनातन धर्म की रक्षा कर रही मोदी सरकार : अमित शाह

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सनातन धर्म की रक्षा कर रही मोदी सरकार : अमित शाह Mon, 08 Feb 2016 लखनऊ। मथुरा में धर्म के मंच से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सरकार की उपलब्धियों में धर्म और अध्यात्म को भी जोड़ दिया। सोमवार को वृंदावन में प्रियाकांतजू मंदिर के महोत्सव में पहुंचे शाह ने कहा कि मोदी सरकार दुनिया भर में भारत के वैभव का तो परचम फहरा ही रही है, यहां के अध्यात्म का प्रभावशाली संदेश देकर सनातन धर्म की रक्षा भी कर रही है। शाह ने कहा कि गुजरात और वृंदावन के बीच अटूट नाता है। यह रिश्ता भगवान श्रीकृष्ण के जरिए बना था। वृंदावन के प्रति यह दुनिया भर के लोगों की आस्था ही है कि श्रीकृष्ण के जन्मदिवस पर बगैर किसी निमंत्रण के ही दौड़े चले आते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में जब भौतिकवादी रास्ते रुक जाते हैं, तब भगवान श्रीकृष्ण के गीता में दिए संदेश ही रास्ता दिखाते हैं। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जनता के समर्थन से केंद्र में ऐसी सरकार आ गई है, जो दुनिया में अध्यात्म का संदेश भी दे रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय योग का प्रभावशाली वर्णन किया, जिससे दुनिया भर के...

"भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महत्वपूर्ण योगदान" : ज्ञानेंद्र नाथ बरतरिया

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"भारत में आरएसएस के 10  योगदान" ( ज्ञानेंद्र नाथ बरतरिया वरिष्ठ पत्रकार ) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 90 साल का हो चुका है. 1925 में दशहरे के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी.सांप्रदायिक हिंदूवादी, फ़ासीवादी और इसी तरह के अन्य शब्दों से पुकारे जाने वाले संगठन के तौर पर आलोचना सहते और सुनते हुए भी संघ को कम से कम 7-8 दशक हो चुके हैं. दुनिया में शायद ही किसी संगठन की इतनी आलोचना की गई होगी. वह भी बिना किसी आधार के. संघ के ख़िलाफ़ लगा हर आरोप आख़िर में पूरी तरह कपोल-कल्पना और झूठ साबित हुआ है.कोई शक नहीं कि आज भी कई लोग संघ को इसी नेहरूवादी दृष्टि से देखते हैं.हालांकि ख़ुद नेहरू को जीते-जी अपना दृष्टि-दोष ठीक करने का एक दुखद अवसर तब मिल गया था,जब 1962 में देश पर चीन का आक्रमण हुआ था.तब देश के बाहर पंचशील और लोकतंत्र वग़ैरह आदर्शों के मसीहा जवाहरलाल न ख़ुद को संभाल पारहे थे, न देश की सीमाओं को. लेकिन संघ अपना काम कर रहा था. संघ के कुछ उल्लेखनीय कार्य 1) कश्मीर सीमा पर निगरानी, विभाजन पीड़ितों को आश्रय संघ के स्वयंसेवकों ने अक्टू...