भारत को आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर, राजनैतिक षड्यंन्त्रों से भी सावधान रहना होगा - अरविन्द सिसोदिया

भारत को आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर, राजनैतिक षड्यंन्त्रों से भी सावधान रहना होगा - अरविन्द सिसोदिया 

भारत में जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसकी विचारधारा राष्ट्रवाद की गारंटी है, तो वहीं कांग्रेस का पूरा इतिहास राष्ट्रीयहितों से कहीं अधिक तुष्टिकरण पर केंद्रित रहा है। अब अन्य कई विपक्षी दलों में भी यह बीमारी आ गई है। 

दुर्भाग्य से इस समय भारतीय राजनीती में विपक्षी दलों में इस तरह की राष्ट्रघाती मानसिकता वाले नेता भी हैँ जिन्हे जेल में होना चाहिए और उनको राजनैतिक अनुमति भी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि देशहित सर्वोपरी है, न नेता सर्वोपरी है, न ही उसका दल सर्वोपरी है और न ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता....! 

जो कुछ यूक्रेन नें रूस में 4000 किलोमीटर अंदर जाकर अंजाम दिया है, वह भारत में भी हो सकता है। पहलगाम में जो हुआ उसमें भी कोई तो स्थानीय सहायक रहा ही होगा। इसलिए भारत को बहुत अधिक सावधान रहना होगा।

 विश्वस्तर पर अमेरिकी चरित्र भी उजागर हो गया, वह स्वयं आतंकी गतिविधियों का संरक्षण करता है और अपने हितों में उपयोग करता है इसका ताज़ा सबूत बांग्लादेश का सत्ता परिवर्तन है। 

भारत के हालिया पाकिस्तान से टकराव में भी अमेरिका की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध और पाकिस्तान परस्त रही है। हलांकि आतंक के विरुद्ध विश्वनीति होनें के बावजूद,पाकिस्तान को आतंकवादी प्रशिक्षण उद्योग का लाभ मिल रहा है। इसको तो आतंकवाद का पुरुस्कार मिल रहा है। 

भारत में लगातार पाकिस्तान के लिए काम करने वाले जासूस और सिलीपर सेल पकड़े जा रहे हैँ। 

चीन को सीधे अरब सागर से जुड़ने में पाकिस्तान की जरूरत है, पाकिस्तान के अमेरिकी जुड़ाव के बाबजूद चीन को पाकिस्तान की आवश्यकता है। चीन के रक्षा उत्पादों का ग्राहक भी पाकिस्तान है।

भारत के कई प्रतिपक्षी नेताओं का आचार, विचार और व्यवहार भी पाकिस्तान और चीन के साथ  परोक्ष अपरोक्ष सांठ-गांठ वाला भी है। 
यह चित्र प्रमाण है कि कांग्रेस की चीन से सांठ गांठ है....

कांग्रेस पाकिस्तान में जाकर भारत को हराने में मदद मांगती है तो चीन के साथ गुप्त समझौता करती है। वहीं हिंदू विरोधी अमेरिकन जॉर्ज सोरस के साथ परोक्ष अपरोक्ष सांठ गाँठ रखती है। इसलिए वह वर्तमान सरकार को नुकसान पहुंचानें में किस सीमा तक गिर सकती है। इसके अनुमान से ही डर लगता है।

इस चित्र को कश्मीरी आतंकवाद से सांठ गांठ ही कहा जायेगा....

अतः भारत सरकार को आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर अधिक सावधान रहना ही होगा।
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जैसा कि अबतक आप सब जान ही चुके होंगे कि कल यूक्रेन ने रूस पर एक बड़ा हमला करते हुए रूस के 41 भारी बम वर्षक विमान और 4 एयरबेस तबाह कर दिए.

सूचना के अनुसार फिल्मी स्टाइल में यूक्रेन ने अपने आत्मघाती ड्रोन्स को ट्रक के कंटेनर में करीब डेढ़ साल पहले से ही छुपा कर भेज रहा था और उसके ऊपर फल एवं सब्जियां रख दी गई थी.

मजे की बात है कि इन कंटेनरों के ड्राइवर्स भी रूसी ही थे इसीलिए रूसी एजेंसियों को इसमें शक जैसी कोई बात नहीं लगी.

फिर, मौका लगते ही सारे कंटेनर्स को रूसी रक्षा प्रतिष्ठान एवं महत्वपूर्ण एयरबेस के आसपास खड़ा कर दिया गया...

और, समय आते ही पहले रिमोट से उन कंटेनरों की छत हटाई गई और जीपीएस जरिए अपने टार्गेटेड जगह ड्रोन से हमला कर दिया गया.

हमला इतना बड़ा और भयानक था कि उसमें रूस के 4 महत्वपूर्ण एयर बेस और लगभग 41 फाइटर जेट्स एवं भारी बम वर्षक विमान तबाह हो गए जिसकी कीमत अरबों डॉलर में आंकी जा रही है.

अब बदले में रूस जो करेगा सो करेगा लेकिन अपने यहाँ एक कहावत है दूसरों के मरने से अपने जिंदा नहीं हुआ करते हैं.

अर्थात, अब परिणाम में यदि यूक्रेन पुरी तरह नष्ट भी हो जाता है लेकिन उससे रूस की क्षति की भरपाई नहीं होने जा रही है.

इस घटना से आया कुछ समझ में ?

इसमें मुख्य 3-4 पॉइंट हैं जो समझने लायक है.

1. हमला रूस के अंदरूनी हिस्से में किया गया जो यूक्रेन से लगभग 4000 किलोमीटर दूर है.

2. इस हमले में महज कुछेक सौ डॉलर के ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रूस को अरबों डॉलर की भारी क्षति पहुंचाई गई.

3. रूस पर हुए इस हमले में यूक्रेन के लोग (जो रूस में नागरिक बन कर रहे थे) इन्वॉल्व थे.

शायद अब समझ आ गया होगा कि भारत ने आनन-फानन में पिग्गिस्तान को मन भर कूटने के बाद तुरंत सीजफायर क्यों कर दिया ???

हालाँकि, ये बात तो सब जानते हैं फिर भी अभी ये बताना प्रासंगिक है कि रूस में तो यूक्रेन के ऐसे एजेंट शायद 100-200 या ज्यादा से ज्यादा 500-1000 होंगे..
लेकिन, अपने भारत में तो ये 18-20 करोड़ हैं.
इसके अलावा नेहा, छिपळूनकर, सक्सेना, ज्योति मल्होत्रा जैसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है जो पैसे की लालच में किसी भी हद तक जा सकते हैं.

वो तो शुक्र है मोदी जी और उनके इंटेलिजेंस एजेंसीज की... जो उन्होंने पिग्गिस्तान के साथ-साथ उनके सरपरस्तों पर भी तीखी नजर रखी हुई थी और समय रहते ही 1500 से ज्यादा भेदिये पकड़ लिए गए..

अन्यथा, भारत में भी ऐसी किसी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता था.

इसीलिए, हमारी ये लड़ाई वर्चस्व की नहीं बल्कि अपने अस्तित्व की लड़ाई है...
जिसे हमें लड़ना ही होगा...

चाहे आप खुशी से लड़ो या फिर मजबूरी में...!

लेकिन, लड़ने के सिवा हमारे पास और कोई दूसरा चारा नहीं है.
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how did ukraine enter the house and kill the inside story of the biggest drone attack on russia

यूक्रेन ने घर में घुसकर कैसे मारा? 
रूस पर हुए सबसे बड़े ड्रोन अटैक की INSIDE STORY

Ukraine Attack Russia: इस सेंधमारी में रूस के बेलाया एयरबेस, ओलेन्या एयरबेस, डियाघिलेव एयरबेस, इवानोवो एयरबेस को निशाना बनाया गया।

June 2, 2025 
UKRAINE ATTACK, RUSSIA, ZELENSKY

यूक्रेन हमले की पूरी कहानी
Ukraine Attack Russia: -

यूक्रेन ने रूस पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन अटैक कर पूरी दुनिया को हिला दिया है। रूस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से यूक्रेनी ड्रोन इतने अंदर तक घुसकर उनके 40 से ज्यादा रूसी बमवर्षक विमान बर्बाद कर देंगे। लेकिन ऐसा हुआ और रूस कुछ नहीं कर पाया। उसकी सुरक्षा प्रणाली जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में होती है, वो भी इस हमले को नहीं रोक पाई। जानाकर इसे तीन साल के युद्ध में यूक्रेन की अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी के रूप में देखते हैं।

यूक्रेन ने कैसे किया हमला?
अब बताया जा रहा है कि यूक्रेन ने इस ड्रोन अटैक को काफी चालाकी से अमलीजामा पहनाया था। तैयारी तो डेढ़ साल पहले ही शुरू कर दी गई थी और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की खुद इसकी निगरानी कर रहे थे। यूक्रेन ने इस हमले को अंजाम देने के लिए सबसे पहले अपने ड्रोन्स को कंटेनरों में छिपाकर रखा और फिर एक ट्रक के जरिए रूसी सीमा में दाखिल करवा दिया। उसके बाद उसी ट्रक से एक-एक कर FPV (First Person View) ड्रोन ने उड़ाई भरी और रूस के कई एयरबेस निशाने पर आ गए।

संदिग्ध ट्रक और सबसे बड़ा अटैक
रूस में इस हमले की जांच शुरू हो चुकी है और उस ट्रक ड्राइवर से भी सवाल-जवाब हो रहे हैं जिसके ट्रक से इन विनाशकारी ड्रोन्स ने उड़ान भरी थी। लेकिन बताया जा रहा है कि उस ड्राइवर को ज्यादा जानकारी नहीं थी, उसे नहीं पता था कि क्यों वहां भेजा गया, उसे सिर्फ इतना इनपुट मिला कि कोई मिलने आएगा। अब कोई मिलने तो नहीं आया लेकिन यूक्रेनी ड्रोन्स ने रूस की सुरक्षा में सबसे बड़ी सेंधमारी जरूर कर दी।

खर्चा कम, नुकसान अरबों डॉलर का
इस सेंधमारी में रूस के बेलाया एयरबेस, ओलेन्या एयरबेस, डियाघिलेव एयरबेस, इवानोवो एयरबेस को निशाना बनाया गया। अब यहां पर समझने वाली बात यह है कि यूक्रेन ने काफी कम खर्च में इस हमले को अंजाम दिया, लेकिन रूस को उतना ही बड़ा नुकसान भी दे दिया। जिन FPV ड्रोन्स से अटैक किया गया, उनकी कीमत सिर्फ कुछ सौ डॉलरों में आकी जाती है, लेकिन जिन 40 से ज्यादा बॉम्बर्स विमानों को निशाने पर लिया गया, उन पर रूस ने अरबों डॉलर खर्च किए हैं। ऐसे में रूस को यह हमला कई सालों तक टीस देने वाला है।

यूक्रेन के लिए कौन सा हथियार बना गेमचेंजर?

FPV ड्रोन की बात करें तो इन्हें रिमोट कंट्रोल के जरिए उड़ाया जाता है। इन ड्रोन्स को ऑपरेट करने वाले एक बड़ी स्क्रीन पर लाइव फीड देखते रहते हैं और टारगेट को देख सटीक हमला करते हैं। इससे पहले भी इन ड्रोन्स की ताकत देखी जा चुकी है, इनकी सटीकता भी बेहतरीन मानी जाती है। वैसे यूक्रेन जब इतना बड़ा हमला कर दिया तो रूस की तरफ से भी जवाब दिया गया। रूस ने 24 घंटे के अंदर 472 ड्रोन और 7 मिसाइलें दाग दीं, इसमें 12 यूक्रेनी सैनिकों के मारे जाने की खबर है।

आने वाले दिनों में क्या होगा?
अब एक तरफ तो रूस-यूक्रेन में शांति वार्ता की बात हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ से इस हमले ने फिर समीकरण बदल दिए हैं। जानकार मान रहे हैं कि आने वाले कुछ दिन काफी महत्वपूर्ण रहने वाले हैं। अगर स्थिति ऐसे ही तनावपूर्ण बनती चली गई तो अगले कुछ दिनों में और बड़े हमले होते दिख सकते हैं।

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