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ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती है "सनातन हिंदू संस्कृति" - अरविन्द सिसोदिया

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ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती सनातन हिंदू संस्कृति भूमिका:- भारतीय संस्कृति, जिसे हम 'सनातन संस्कृति' कहते हैं, विश्व की प्राचीनतम और सर्वाधिक समृद्ध जीवनशैली है। यह केवल पूजा-पाठ या रीति-रिवाजों तक सीमित नहीं, बल्कि एक ऐसा मार्ग है जो मनुष्य को अध्यात्म, प्रकृति और समाज से जोड़ता है। इस संस्कृति की सबसे विशिष्ट विशेषता है – ईश्वर और सृष्टि के प्रति कृतज्ञता का भाव। सनातन धर्म मानता है कि ईश्वर की कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। यही कारण है कि जीवन के हर क्षेत्र में, हर कार्य के आरंभ और समापन में ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करने की सनातन हिंदू परंपरा का प्रचलित होना । सनातन हिंदू संस्कृति एक ऐसी प्राचीन परंपरा है, जो न केवल जीवन के हर पक्ष को ईश्वर से जोड़ती है, बल्कि हर श्वास, हर कर्म में कृतज्ञता का भाव भी समाहित करती है। यह संस्कृति केवल धार्मिक क्रियाकलापों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन पद्धति, आचार-विचार, आहार-विहार, ऋतुचक्र, प्रकृति और सृष्टि के हर रूप के प्रति आभार व्यक्त करने की एक दिव्य प्रणाली है। कृतज्ञता का मूल तत्व – "ईश्वर अर्पण बुद्धि" ...

ईश्वर ही सर्वज्ञ है और मानव अल्पज्ञ है, मानव स्वयं को सर्वज्ञ मानने से ही दुःखी रहता है

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Arvind Sisodia:- 9414180151 ईश्वर  ही सर्वज्ञ है और मानव उसके समनें बहुत ही अल्पज्ञ है, इसी कारण मानव दुःख सुख में फँसा रहता है। विचार :- बहुत ही गहरा और विचारोत्तेजक विचार! यह विचार हमें ईश्वर और मानव के बीच के अंतर को समझने के लिए प्रेरित करता है। ईश्वर को सर्वज्ञ माना जाता है, जिसका अर्थ है कि वह सब कुछ जानता है और उसके पास सभी ज्ञान है। वह सृष्टि, सृजन और संचलन का कर्ता है। दूसरी ओर, मानव अल्पज्ञ है, जिसका अर्थ है कि उसका ज्ञान अत्यंत सीमित है, उसकी क्षमतायें सीमित हैँ और वह सब कुछ नहीं जान सकता। इस अंतर के कारण, मानव दुःख और सुख में फँसा रहता है। मानव की सीमित ज्ञान के कारण, वह अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार नहीं होता। इससे वह दुःख और सुख के चक्र में फँस जाता है। यह विचार हमें यह समझने के लिए प्रेरित करता है कि हमें अपनी सीमित ज्ञान को स्वीकार करना चाहिए और ईश्वर की सर्वज्ञता पर भरोसा करना चाहिए। इससे हम अपने जीवन में अधिक शांति और संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं।  आपके द्वारा उल्लिखित बात कि ईश्वर सर्वज्ञ है और मानव अल्पज्ञ है,...

विज्ञान ईश्वर के क्रियाकलापों का शुद्ध ज्ञान है Ishwar God Vigyan

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  विज्ञान ईश्वर के क्रियाकलापों का शुद्ध ज्ञान है Arvind Sisodia: -  विचार -  विज्ञान ईश्वर के क्रियाकलापों का शुद्ध ज्ञान है इसे समझना ईश्वर को समझना ही होता है और मानवता की सेवा के रास्तों को विकसित करना होता है । Meta AI: आपका यह विचार बहुत ही गहरा और अर्थपूर्ण है। विज्ञान और ईश्वर के बीच के संबंध को समझने के लिए यह एक अच्छा दृष्टिकोण है। विज्ञान हमें प्रकृति के नियमों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जो हमें ईश्वर के क्रियाकलापों को समझने में मदद करता है। विज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि प्रकृति कैसे कार्य करती है और इसके पीछे के नियम और सिद्धांत क्या हैं। लेकिन विज्ञान केवल प्रकृति के नियमों और सिद्धांतों को समझने तक ही सीमित नहीं है। यह हमें मानवता की सेवा के रास्तों को विकसित करने में भी मदद करता है। विज्ञान हमें नए तकनीकों और आविष्कारों को विकसित करने में मदद करता है, जो हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इस प्रकार, विज्ञान और ईश्वर के बीच का संबंध बहुत ही गहरा और अर्थपूर्ण है। विज्ञान हमें ईश्वर के क्रियाकलापों को समझने में मदद क...

वास्तविक धर्मपथ - अरविन्द सिसोदिया Vastvik Dharmpath

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आस्तिक , नास्तिक और वास्तविक धर्मपथ - अरविन्द सिसोदिया अभी तक धर्म के प्रति मनुष्यों का स्वभाव आस्तिक और नास्तिक माने जाते हैं । ज्योतिषी भी जातक के नास्तिक और आस्तिक होने की भविष्यवाणी करते हैं । किंतु सत्य इससे भी ऊपर है । आस्तिक ईश्वर में विश्वास करता है उसकी पूजा अर्चना करता है । नास्तिक ईश्वर को मानता ही नहीं है , वह ईश्वर नहीं होने की बात करता है । साम्यवादी लोग ईश्वर को नहीं मानते ।किन्तु वास्तविकता इससे अलग है ईश्वर है और उसका ईश्वरीय शासन पूरी तरह से वैज्ञानिक पद्धति से चलता है । हम ईश्वर की  वैज्ञानिक गतिविधियों को चमत्कारी स्वरूप में महसूस करते हैं । इसीलिये ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को स्वीकारने के लिए हमें वास्तविक धर्मपथ को स्वीकारना होगा । जिसमें सॉफ्टवेयर भी है , हार्डवेयर भी है , एनर्जी भी है , इंटरनेट भी है , वाई फाई भी है , हार्ड डिस्क भी है , रेम भी है रोम भी है , सर्च इंजन है , कैमरा है , 1 g से लेकर 16 g तक के शरीर हैं जिन्हें अवतारवाद में कलाओं के कारण चमत्कारी स्वरूप होता है यब मूलतः क्षमताओं का विकास है । 16 कला धारी शरीर सर्वोच्च होता है और सब क...

कल्पना कुछ भी करो , ईश्वर तो है

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  कल्पना कुछ भी करो , ईश्वर तो है ! ईश्वर तो है , उसके द्वारा निर्मित सृष्टि भी है , उसके द्वारा उतपन्न विविध प्रकार की शक्तियां भी हैं , गुरुत्वाकर्षण , चुम्बकत्व , प्रकाश ,ध्वनि , तापमान , आकर - निराकार , गति ,बल , बुद्धि , उसका कैमरा , उसका स्टोरेज , उसकी कार्यक्षमता , उसका पूर्ण सफल और असरकारक प्रशासन आदि आदि । इस संदर्भ में हिन्दू सनातन धर्म के संतों नें विदवानों नें बहुत काम किया है, वे सत्य के निकट भी पहुचे है। उन्हे गंभीरता से लेना चाहिये।  ईश्वर की श्रेष्ठतम सर्वोच्च वैज्ञानिकता भी है और सबसे बड़ी बात उसके कंप्यूटर सिस्टम में , उसके इंटरनेट सिस्टम से , उसकी वाई फाई व्यवस्था से इस संपूर्ण सृष्टि का कोई भी घटनाक्रम छुप नहीं सकता, वह सच को अपनी हार्ड डिस्क में रिकार्ड रखता है । इसीलिए हिन्दू सनातन सत्य को सर्वोपरी मानता है । जब हम अपने शरीर को देखते हैं , तो ईश्वर की परम् श्रेष्ठ इंजीनियरिंग को शरीर में पाते हैं , हमारे घुटने , हमारे टखने , हाथो और पैरों के पंजे और सबसे श्रेष्ठ इंजीनियरिंग का कमाल आंखों को अपने शरीर में पाते हैं । यह सिर्फ हम तक सीमित नहीं है ...

परमेश्वर का हमारे रोम रोम पर अपना नियंत्रण है

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परमेश्वर का हमारे रोम रोम पर अपना नियंत्रण है God has control over every pore of our being ईश्वर - अरविन्द सिसोदिया 9414180151 हम पृथ्वी पर रहने वाले समस्त मानवों को संपूर्ण ब्रह्माण्ड का जो भी उपलब्ध ज्ञान है , वह पूर्ण नहीं है, जितना हम जान समझ पाये उससे बहुत अधिक इस तरह का है जिसका न तो हमें ज्ञान है न हम उसके वास्तविक स्वरूप की कल्पना कर सकते हैं। फिर भी जिस अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड के हम निवासी हैं, हिस्सा है और उसमें समाहित हैं। उसका जो भी स्वामी है, जिसके महाशक्ति के अधिपत्य में इस संपूर्ण ब्रह्माण्ड का सृजन संचालित है, वही परमशक्ति , वही परम अधिनायक, हमारा ईश्वर है। God - Arvind Sisodia 9414180151 Whatever knowledge we humans living on earth have about the entire universe is not complete, it is much more than we can understand, such that neither we have knowledge nor we can imagine its real nature. . Still, we are part of the infinite universe in which we live and are included in it. Whoever is its master, under whose superpower the creation of this entire universe is ...

GOD ONLINE ऑनलाइन ईश्वर - अरविन्द सिसोदिया

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- Arvind Sisodia 9414180151 - अरविन्द सिसोदिया 9414180151                                GOD ONLINE : ऑनलाइन ईश्वर Some people still fail to understand God, fail to recognize God's arrangements, are also ignorant of knowing and understanding Him. While He controls our Rome Rome through his abilities. कुछ लोग अभी भी ईश्वर को समझने में नाकाम है , ईश्वर की व्यवस्थाओं को पहचानने में नाकाम है, उसको जानने और समझने में भी अनिभिज्ञ हैं। जबकि वह अपनी क्षमताओं के माध्यम से हमारे रोम रोम पर नियंत्रण रखता है। The first computer of the universe is with God, the first hard disk of the universe is with God, the first internet in this universe is with God, the first WiFi system is with God, in total, whatever computer system, online system, internet system we are seeing today Are, understanding, using. All this is with God since millions and millions of years ...

Hindu is the knower of God and Time - Arvind Sisodia

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  ईश्वर और काल का ज्ञाता हिन्दू ही है - अरविन्द सिसौदिया Hindu is the knower of God and Time - Arvind Sisodia  ईश्वर और काल का ज्ञाता हिन्दू ही है - अरविन्द सिसौदिया By Arvind Sisodia  - अरविन्द सिसौदिया 9414180151   http://arvindsisodiakota.blogspot.com ईश्वर और काल का ज्ञाता हिन्दू ही है - अरविन्द सिसौदिया Hindu is the knower of God and Time - Arvind Sisodia   It is mentioned in Rigveda that once upon a time a golden urn rotating at high speed explodes and it causes swelling of the universe. This illusion is called Big Bang by the people of the western world. From which many galaxies are formed. There are crores of objects in each galaxy. Which we know by the names of Sun, Moon, Stars, Mandakaniyo Niharrikaye, and by attaining a systematic speed, they make up the creation of a very long period of time. ऋगवेद में आता है कि एक समय एक स्वर्ण कलश तेजगति से घूमत हुये विस्फोट होता है और उससे सृष्ट्रि का सुजन होता है। इसी को पाश्चात्य जगत के लोग बिगबैंग कहते हैं। जिस...

गुड़ी पड़वा : हिन्दू नववर्ष : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा festivals gudi-padwa

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विक्रम संवत 2080 से (22 मार्च 2023 से) कलियुग संवत् 5124 कल्पारंभ संवत् 1972949124 सृष्टि ग्रहारंभ संवत् 1अरब 95करोड 58 लाख 85 हजार 124वां वर्ष नव संवत्सर में नवजीवन का संदेश : गुड़ी पड़वा ‍विशेष चैत्रे मासि जगत्‌ ब्रह्म ससर्ज प्रथमे हनि  शुक्ल पक्षे समग्रे तु तदा सूर्योदये सति॥  कहा जाता है कि ब्रह्मा ने सूर्योदय होने पर सबसे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की संरचना शुरू की। उन्होंने इसे प्रतिपदा तिथि को प्रवरा अथवा सर्वोत्तम तिथि कहा था। इसलिए इसको सृष्टि का प्रथम दिवस भी कहते हैं। इस दिन से संवत्सर का पूजन, नवरात्र घटस्थापन, ध्वजारोपण, वर्षेश का फल पाठ आदि विधि-विधान किए जाते हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वसन्त ऋतु में आती है। इस ऋतु में सम्पूर्ण सृष्टि में सुन्दर छटा बिखर जाती है। विक्रम संवत के महीनों के नाम आकाशीय नक्षत्रों के उदय और अस्त होने के आधार पर रखे गए हैं। सूर्य, चन्द्रमा की गति के अनुसार ही तिथियाँ भी उदय होती हैं। मान्यता है कि इस दिन दुर्गा जी के आदेश पर श्री ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इस दिन दुर्गा जी के मंगलसूचक घट की स्थापना की जाती...