कुम्भं एक पवित्र विचार एक पवित्र उर्जा ...

कुम्भं एक पवित्र विचार एक पवित्र उर्जा ... । पावन धाम हरिद्वार की यात्रा हुई , बहुत से विचारों का आदान प्रदान हुआ । समझमें आया कुम्भं विचारों का प्रवाह जन जन को देने की व्यवस्था थी । खोजों को बाटने की एक दुसरे को जानने समझाने की व्यवस्था का प्रवंधन था ।
आश्रम अनुसंधान शाला होते थे , उनमें समाज की उपयोगिता के प्रयोग होते थे । उपयोगी जानकारी एकत्र कर इन माध्यमों से सरे देश में पहुचाई जाती थी ।
साधू शोधर्थी होते थे , चिंतन के द्वारा मन के द्वारा बहस के द्वारा तथ्य और तत्व पर निर्णय लिए जाते थे ।
समाज में धर्म का बड़ा दर्जा उनकी उच्च स्तर के कारण हे , वह सु व्यवस्था का निर्माता हे, शन्ति का और सद विचारों का प्रेरक हे । संतोष का स्रोत हे । सब को सुख देने वाली व्यवस्था का हमेशा ही समाज में स्वगत होता हे । यही हिंदुत्व की विशेषता हे ।
सनातन का मतलव सदेव नूतनता लिए हुए । सदेव सत्यता लिए हुए । अपनी खिड़की दरवाजे खुले रखना , प्रदूषित बहार , शुद्ध अंदर ।
अरविन्द सीसोदिया
राधा क्रिशन मंदिर रोड , वार्ड ५९ ,
कोटा २ , राजस्थान ।

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा में भाजपा नेतृत्व की ही सरकार बनेगी - अरविन्द सिसोदिया

चुनाव में अराजकतावाद स्वीकार नहीं किया जा सकता Aarajktavad

‘फ्रीडम टु पब्लिश’ : सत्य पथ के बलिदानी महाशय राजपाल

भारत को बांटने वालों को, वोट की चोट से सबक सिखाएं - अरविन्द सिसोदिया

शनि की साढ़े साती के बारे में संपूर्ण

ईश्वर की परमशक्ति पर हिंदुत्व का महाज्ञान - अरविन्द सिसोदिया Hinduism's great wisdom on divine supreme power

देव उठनी एकादशी Dev Uthani Ekadashi