माओवादियों की विदेशी सहायता को रोकना होगा
माओ वाद की हिंसा से निवटने में नाकाम रहे केंद्रिया मंत्री चिदम्बरम ने पहले तो इस्तीफा फेंका ,फिर जाँच कमेटी बिठाई , मगर वे भूल गए की बी एस ऍफ़ के पूर्व आध्यक्छ इ एन राम मोहन बी एस ऍफ़ के नजरिये से बहार नही जा पायेगे । वहि सम्भवता सामने आयेगे । कहा जएगा राज्य की पुलिस साथ नही दे रही थी , अर्थार्थ राज्य को लपेटा जाये , केंद्र को बिचारा साबित किया जाया । रिपोर्ट भी यही कहने बलि हे ।
जब की जाँच की जरूरत यह हे की माओ वादियें के पास इतनी बड़ी मात्र में असलाह , शस्त्र , सम्पर्क ,सुचना तन्त्र की सुविधा कहाँ से आई । एक सच सब जानते हें , की चीन की कब्जा करो योजना का हिस्सा हे माओवाद । जब तक उस पर प्रहार नही होगा , तब तक समस्या के मूल पर प्रहार नही होगा . इसलिय आप को वास्तव में कुछ करना हे तो माओ वादियो, नक्सल वादियो के सच्चे सच को स्वीकारना होगा । उस देस से कहने का साहस करना होगा , दूर हटो ये दुनिया वालों यह हिदोस्ता हमारा हे , कहने का साहस करो ।
बहर पिट कर आओ और अंदर घरवालों को पिटा ..... , जो दुनिया को दिख रहा हे , वह भारत सरकार को क्यों नही दिख रहा हे । सबसे पहले चीन का दखल रोको । नेपाल को पढो समांछो । छुठे मुथे सपने में कुछ नही हे ।
सच चीन हे , उसका संसाधन हे ,उसका दिमाग हे । ये आदिवासी नही उसकी सेना हे । छदम सेना ।
राज्य सरकार को साथ लें , स्थानीय लोगों को साथ लें , उन्हें पुलिस बनाएं , वे ही इन्हे मुह तोड़ जबाब देंगे ।
अरविन्द सीसोदिया
राधा क्रिशन मंदिर रोड ; ददवारा ;
वार्ड ५९ ; कोटा २ ; राजस्थान ।
aapne sahi likha hai....par jo dabta hai wo kabhi na kabhi wapas ubharta to hai hi
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही विचार हैं अरविंदजी आपके।
जवाब देंहटाएंअब वक्त जड़ों को काटने का है।