धर्मनिरपेक्ष मीडिया का शवासन


साम्प्रदायिक विश्व में, हिन्दू ही धर्मनिरपेक्ष
- अरविन्द सीसोदिया

   तीन बातें हैं जिनको तुलनात्म रूप से देखा जा सकता है , इससे यह भी खोजा जा सकता है कि वास्तव में साम्प्रदायिक कोन  है और सह्ष्णु कोन है, विश्व कल्याण कि सच्ची बहाना किस्में है.हमारे देश में कई सो मीडिया कर्मी हैं जो हिन्दू आतंकवाद और साम्प्रदायिकता का जीरा रोज व रोज बघारते रहते हैं , वे तो इस तरह से चुप हैं की सांप ही सूंघ गया हो . कोई टिप्पणी नही कोई हल्ला नही .जैसे  मीडिया का शवासन  लगा हो .   
१- शनिवार,31 जुलाई, 2010 / न्‍यूयार्क /
    अमेरिका में वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले की बरसी पर फ्लोरिडा में एक चर्च ने कुरान जला कर विरोध जताने का कार्यक्रम बनाया है। 11 सितंबर, 2001 की घटना के विरोध में ‘इंटरनेशनल बर्न ए कुरान डे’ आयोजित करने के फ्लोरिडा के डव वर्ल्‍ड आउटरीच सेंटर के चर्च अपनी वेबसाइट पर इस कार्यक्रम के बारे में पूरा प्रचार कर रहा है। सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक के जरिए भी चर्च उस दिन शाम 6 से रात 9 बजे के बीच चर्च परिसर में लोगों को कुरान की प्रति जलाने के लिए आमंत्रित कर रहा है।   चर्च यूट्यूब पर वीडियो के जरिए भी इस कार्यक्रम का प्रचार कर रहा है। अमेरिकी समाचार चैनल सीएनएन पर चर्च की ओर से टेरी जोन्‍स को खुले आम इस्‍लाम की निंदा करते हुए दिखाया गया है। प्रस्‍ताव का मुसलमानों के साथ-साथ कई इसाइयों द्वारा भी विरोध किया जा रहा है।
२-  केरल के थोडुपुझा में एक कॉलेज के प्रोफ़ेसर टीजे जोसफ़ पर कुछ मुस्लिम आतंकियों ने दिनदहाड़े हमला किया और उनके हाथ काट दिये। जैसा कि सभी जानते हैं यह मामला उस समय चर्चा में आया था, जब प्रोफ़ेसर जोसफ़ ने कॉलेज के बी कॉम परीक्षा में एक प्रश्नपत्र तैयार किया था जिसमें "मुहम्मद" शब्द का उल्लेख आया था।चरमपंथी मुस्लिमों का आरोप था कि जोसफ़ ने जानबूझकर "मोहम्मद" शब्द का उल्लेख अपमानजनक तरीके से किया और इस वजह से "उन्मादी भीड़ के रेले" ने उन्हें "ईशनिंदा" का दोषी मान लिया गया।  प्रश्न और मोहम्मद के नामोल्लेख पर आपत्ति की गई थी, वह कोई टीजे जोसफ़ का खुद का बनाया हुआ प्रश्न नहीं था, बल्कि पीटी कुंजू मोहम्मद नामक एक  CPM विधायक की पुस्तक "थिरकाथायुडु नीथीसास्त्रम" (पेज नम्बर 58) से लिया गया एक पैराग्राफ़ है,कुंजू मोहम्मद खुद एक मुस्लिम हैं और केरल में "मोहम्मद" नाम बहुत आम प्रचलन में है। प्रख्यात अभिनेता ममूटी का नाम भी मोहम्मद ही है, ऐसे में प्रश्न पत्र में पूछे गये सवाल पर इतना बलवा करने की जरूरत ही नहीं थी.

   जब उन्होंने "शरीयत" कानून के तहत प्रोफ़ेसर के हाथ काटने का फ़ैसला किया और जब प्रोफ़ेसर अपने परिवार के साथ चर्च से लौट रहे थे, उस समय इस्लामिक कानून के मानने वालों ने वामपंथी सरकार को ठेंगा दिखाते हुए प्रोफ़ेसर पर हमला कर दिया, उन्हें चाकू मारे और तलवार से उनका हाथ काट दिया. लेकिन केरल में वामपंथियों और चर्च को अपनी "ताकत" दिखानी थी, और वह दिखा दी गई।जबकि देश में ईसाईयों पर होने वाले किसी भी "कथित अत्याचार" के लिये हमेशा भाजपा-संघ-विहिप और मोदी को गरियाने वाले एवेंजेलिस्ट चर्च की बोलती, फ़िलहाल इस मामले में बन्द है।आज जब केरल में "तालिबान" अपना सिर उठाकर खुला घूम रहा है, तब मार्क्स के सिद्धांत बघारने वाले तथा उड़ीसा में रो-रोकर अमेरिका से USCIRF को बुलाकर लाने वाले, ईसाई संगठन दुम दबाकर भाग खड़े हुए हैं।
   अब सोचिये यदि इसी तरह का व्यव्हार ,  दुर्गा-सरस्वती और सीता-हनुमान के अपमानजनक चित्र बनाने वाले एमएफ़ हुसैन के साथ भीड़ के नाम पर किया जाये तो कितने टुकड़े किये जाने चाहिये? लेकिन हिन्दुओं का व्यवहार अधिकतर संयत ही रहा है, उन्होंने न्यायालय का सहारा लिया , इसलिये MF हुसैन को यहाँ से बाहर भगाया गया, उसे सलमान रुशदी की तरह दर-दर की ठोकरें नहीं खानी पड़ी।
- राधाकृष्ण मन्दिर रोड , डडवाडा , कोटा २ , राजस्थान .

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