विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले......
मुझे इंटरनेट पर एक बेव साईट मिली , जिसमें काले धन पर दो अच्छे लेख हैं जो बहुत कुछ कह रहे हैं .., इन लेखों का खंडन भी नहीं हुआ है ..! लिंक दिए गए हैं जिन्हें आप स्वंय सीधे खोल सकते हैं ..! सच यह है की काले धन की बात जो भी करेगा वह बाबा रामदेव की तरह खदेड़ दिया जाएगा , क्योंकि यह बड़े नेताओं का माल है .., जेल तो छुट भैय्या जाते हैं ,,,!!
http://www.aadhiabadi.com/content A
करोड़ काला धन स्विस बैंक में!
Wed, 01/19/2011 - 15:00 — Site Admin
सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नामों को सार्वजनिक किए जाने के मामले में 19 जनवरी 2011 को एक बार फिर सरकार की जमकर खिंचाई की। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आखिर देश को लूटने वाले का नाम सरकार क्यों नहीं बताना चाहती है? बेशर्म मनमोहनी सरकार खीसें निपोरती नजर आई। इससे पहले 14 जनवरी 2011 को भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जमकर फटकार सुनाई थी। अदालत ने पूछा कि विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वालों के नाम सार्वजनिक करने को लेकर सरकार इतनी अनिच्छुक क्यों है?
हम आपको बताते हैं कि सरकार देश को लूटने वाले काले धन जमाखोरों का नाम क्यों नहीं बताना चाहती है। वास्तव में कांग्रेस के राजपरिवार गांधी परिवार का खाता स्विस बैंक में है। राजीव गांधी ने स्विस बैंक में खाता खुलवाया था, जिसमें इतनी रकम जमा है कि यदि उन नोटों को जलाकर सोनिया गांधी खाना बनाए तो 20 साल तक रसोई गैस खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
चलिए मुद्दे पर आते हैं, हमारे पास क्या सबूत है कि राजीव गांधी का बैंक खाता स्विस बैंक में है? सो पढि़ए,
एक स्विस पत्रिका Schweizer Illustrierte के 19 नवम्बर, 1991 के अंक में प्रकाशित एक खोजपरक समाचार में तीसरी दुनिया के 14 नेताओं के नाम दिए गए है। ये वो लोग हैं जिनके स्विस बैंकों में खाते हैं और जिसमें अकूत धन जमा है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम भी इसमें शामिल है।
यह पत्रिका कोई आम पत्रिका नहीं है. इस पत्रिका की लगभग 2,15,000 प्रतियाँ छपती हैं और इसके पाठकों की संख्या लगभग 9,17,000 है जो पूरे स्विट्ज़रलैंड की व्यस्क आबादी का छठा हिस्सा है।
राजीव गांधी के इस स्विस बैंक खुलासे से पहले राजीव गांधी के मिस्टर क्लीन की छवि के उलट एक और मामले की परत खोलते हैं। डा येवजेनिया एलबट्स की पुस्तक “The state within a state – The KGB hold on Russia in past and future” में रहस्योद्धाटन किया गया है कि राजीव गांधी और उनके परिवार को रूस के व्यवसायिक सौदों के बदले में लाभ मिले हैं। इस लाभ का बड़ा हिस्सा स्विस बैंक में जमा है।
रूस की जासूसी संस्था KGB के दस्तावेजों के अनुसार स्विस बैंक में स्थित स्वर्गीय राजीव गाँधी के खाते को उनकी विधवा सोनिया गाँधी अपने अवयस्क लड़के (जिस वक्त खुलासा किया गया था उस वक्त कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी व्यस्क युवा नेता नहीं बने थे) के बदले संचालित करती हैं। इस खाते में 2.5 बिलियन स्विस फ्रैंक हैं जो करीब 2 .2 बिलियन डॉलर होता है। यह 2.2मिलियन डॉलर का खाता तब भी सक्रिय था, जब राहुल गाँधी जून 1998 में वयस्क हुए थे। भारतीय रुपये में इस काले धन का मूल्य लगभग 10 ,000करोड़ रुपए होता है।
कांग्रेसियों और इस सरकार के चाहने वालों को बता दें कि इस रिपोर्ट को आए कई वर्ष हो चुके हैं, लेकिन गांधी परिवार ने कभी इस रिपोर्ट का औपचारिक रूप से खंडन नहीं किया है और न ही संदेह पैदा करने वाले प्रकाशनों के विरूध्द कोई कार्रवाई की बात कही है।
जानकारी के लिए बता दें कि स्विस बैंक अपने यहाँ जमा राशि को निवेश करता है, जिससे जमाकर्ता की राशि बढती रहती है। अगर इस धन को अमेरिकी शेयर बाज़ार में लगाया गया होगा तो आज यह रकम लगभग 12,71 बिलियन डॉलर यानि 48,365 करोड़ रुपये हो चुका होगा। यदि इसे लंबी अवधी के शेयरों में निवेश किया गया होगा तो यह राशि 11.21 बिलियन डॉलर बनेगी. यानि 50,355 करोड़ रुपये हो चुका होगा।
वर्ष 2008 में उत्पन्न वैश्विक आर्थिक मंदी से पहले यह राशि लगभग 18.66 बिलियन डॉलर अर्थात 83 हजार 700 करोड़ रुपए पहुंच चुकी होगी। आज की स्थिति में हर हाल में गांधी परिवार का यह काला धन 45,000 करोड़ से लेकर 84,000 करोड़ के बीच में होगी।
कांग्रेस की महारानी और उसके युवराज आज अरख-खरबपति हैं। सोचने वाली बात है कि जो कांग्रेसी सांसद व मंत्री और इस मनमोहनी सरकार के मंत्री बिना सोनिया-राहुल से पूछे बयान तक नहीं देते, वो 2जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ, आदर्श सोसायटी जैसे घोटाले को अकेले अंजाम दिए होंगे? घोटाले की इस रकम में बड़ा हिस्सा कांग्रेस के राजा गांधी परिवार और कांग्रेस के फंड में जमा हुआ होगा?
यही वजह है कि बार-बार सुप्रीम कोर्ट से लताड़ खाने के बाद भी मनमोहनी सरकार देश के लूटने वालों का नाम उजागर नहीं कर रही है। यही वजह है कि कठपुतली प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) से मामले को जांच नहीं करना चाहती, क्योंकि जेपीसी एक मात्र संस्था है जो प्रधानमंत्री से लेकर 10 जनपथ तक से इस बारे में पूछताछ कर सकता है। यही वजह है कि भ्रष्टाचारी थॉमस को सीवीसी बनाया गया है ताकि मामले की लीपापोती की जा सके। सुप्रीम कोर्ट बार-बार थॉमस पर सवाल उठा चुकी है, लेकिन विपक्ष के नेता के विरोध को दरकिनार कर सीवीसी बनाए गए थॉमस के पक्ष में सरकार कोर्ट में दलील पेश करती नजर आती है। क्या वजह है कि एक भ्रष्ट नौकरशाह को बचाने के लिए संसदीय मर्यादा से लेकर कोर्ट की फटकार तक सरकार सुन रही है?
सरकार के पास ऐसे 50 लोगों की सूची आ चुकी है, जिनके टैक्स हैवन देशों में बैंक एकाउंट है। लेकिन इसमें केवल 26 नाम ही सरकार ने अदालत को सौंपे हैं। जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी और जस्टिस एस. एस. निज्जर की बेंच ने 19 जनवरी 2011 को सरकार से पूछा कि इसे सार्वजनिक करने में क्या परेशानी है? कोर्ट ने कहा कि सभी देशों के सभी बैंकों की सूचनाएं जरूरी हैं। अदालत ने यहां तक कह दिया कि देश को लूटा जा रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि 1948 से 2008 तक भारत ने अवैध वित्तीय प्रवाह (गैरकानूनी पूंजी पलायन) के चलते कुल 213 मिलियन डालर की राशि गंवा दी है। भारत की वर्तमान कुल अवैध वित्तिय प्रवाह की वर्तमान कीमत कम से कम 462 बिलियन डालर है। यानी 20 लाख करोड़ काला धन देश से टैक्स हैवन देशों में जमा है।
यदि यह रकम देश में आ जाए तो भारत के हर परिवार को 17 लाख दिए जा सकते हैं। सरकार हर वर्ष 40 हजार 100 करोड़ मनरेगा पर खर्च करती है। इस रकम के आने पर 50 सालों तक मनरेगा का खर्च निकल आएगा। सरकार ने किसानों का 72 हजार करोड रुपए का कर्ज माफ किया था और इसका खूब ढोल पीटा, इस रकम के आने के बाद किसानों का इतना ही कर्ज 28 बार माफ किया जा सकता है!
क्या अभी भी जनता कांग्रेसी राज परिवार को राजा और खुद को प्रजा मानकर व्यवहार करती रहेगी? यदि जनता नहीं जगी तो देश तो कंगाल हो ही रहा है, उसकी आने वाली पीढ़ी भी बेरोजगारी, गरीबी से लड़ते-लड़ते ही दम तोड़ देगी... और फिर राहुल गांधी और होने वाले बच्चे किसी विदेशी मंत्री को बुलाकर उसे देश की गरीबी दिखाएंगे, मीडिया तस्वीर खींचेगी...अखबार और चैनल रात-दिन उसका गुणगान करने में जुट जाएंगे और उधर स्विस बैंक के खाते में गांधी परिवार की आने वाली कई नस्लों के लिए धन जमा होता रहेगा...
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हम आपको बताते हैं कि सरकार देश को लूटने वाले काले धन जमाखोरों का नाम क्यों नहीं बताना चाहती है। वास्तव में कांग्रेस के राजपरिवार गांधी परिवार का खाता स्विस बैंक में है। राजीव गांधी ने स्विस बैंक में खाता खुलवाया था, जिसमें इतनी रकम जमा है कि यदि उन नोटों को जलाकर सोनिया गांधी खाना बनाए तो 20 साल तक रसोई गैस खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
चलिए मुद्दे पर आते हैं, हमारे पास क्या सबूत है कि राजीव गांधी का बैंक खाता स्विस बैंक में है? सो पढि़ए,
एक स्विस पत्रिका Schweizer Illustrierte के 19 नवम्बर, 1991 के अंक में प्रकाशित एक खोजपरक समाचार में तीसरी दुनिया के 14 नेताओं के नाम दिए गए है। ये वो लोग हैं जिनके स्विस बैंकों में खाते हैं और जिसमें अकूत धन जमा है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम भी इसमें शामिल है।
यह पत्रिका कोई आम पत्रिका नहीं है. इस पत्रिका की लगभग 2,15,000 प्रतियाँ छपती हैं और इसके पाठकों की संख्या लगभग 9,17,000 है जो पूरे स्विट्ज़रलैंड की व्यस्क आबादी का छठा हिस्सा है।
राजीव गांधी के इस स्विस बैंक खुलासे से पहले राजीव गांधी के मिस्टर क्लीन की छवि के उलट एक और मामले की परत खोलते हैं। डा येवजेनिया एलबट्स की पुस्तक “The state within a state – The KGB hold on Russia in past and future” में रहस्योद्धाटन किया गया है कि राजीव गांधी और उनके परिवार को रूस के व्यवसायिक सौदों के बदले में लाभ मिले हैं। इस लाभ का बड़ा हिस्सा स्विस बैंक में जमा है।
रूस की जासूसी संस्था KGB के दस्तावेजों के अनुसार स्विस बैंक में स्थित स्वर्गीय राजीव गाँधी के खाते को उनकी विधवा सोनिया गाँधी अपने अवयस्क लड़के (जिस वक्त खुलासा किया गया था उस वक्त कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी व्यस्क युवा नेता नहीं बने थे) के बदले संचालित करती हैं। इस खाते में 2.5 बिलियन स्विस फ्रैंक हैं जो करीब 2 .2 बिलियन डॉलर होता है। यह 2.2मिलियन डॉलर का खाता तब भी सक्रिय था, जब राहुल गाँधी जून 1998 में वयस्क हुए थे। भारतीय रुपये में इस काले धन का मूल्य लगभग 10 ,000करोड़ रुपए होता है।
कांग्रेसियों और इस सरकार के चाहने वालों को बता दें कि इस रिपोर्ट को आए कई वर्ष हो चुके हैं, लेकिन गांधी परिवार ने कभी इस रिपोर्ट का औपचारिक रूप से खंडन नहीं किया है और न ही संदेह पैदा करने वाले प्रकाशनों के विरूध्द कोई कार्रवाई की बात कही है।
जानकारी के लिए बता दें कि स्विस बैंक अपने यहाँ जमा राशि को निवेश करता है, जिससे जमाकर्ता की राशि बढती रहती है। अगर इस धन को अमेरिकी शेयर बाज़ार में लगाया गया होगा तो आज यह रकम लगभग 12,71 बिलियन डॉलर यानि 48,365 करोड़ रुपये हो चुका होगा। यदि इसे लंबी अवधी के शेयरों में निवेश किया गया होगा तो यह राशि 11.21 बिलियन डॉलर बनेगी. यानि 50,355 करोड़ रुपये हो चुका होगा।
वर्ष 2008 में उत्पन्न वैश्विक आर्थिक मंदी से पहले यह राशि लगभग 18.66 बिलियन डॉलर अर्थात 83 हजार 700 करोड़ रुपए पहुंच चुकी होगी। आज की स्थिति में हर हाल में गांधी परिवार का यह काला धन 45,000 करोड़ से लेकर 84,000 करोड़ के बीच में होगी।
कांग्रेस की महारानी और उसके युवराज आज अरख-खरबपति हैं। सोचने वाली बात है कि जो कांग्रेसी सांसद व मंत्री और इस मनमोहनी सरकार के मंत्री बिना सोनिया-राहुल से पूछे बयान तक नहीं देते, वो 2जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ, आदर्श सोसायटी जैसे घोटाले को अकेले अंजाम दिए होंगे? घोटाले की इस रकम में बड़ा हिस्सा कांग्रेस के राजा गांधी परिवार और कांग्रेस के फंड में जमा हुआ होगा?
यही वजह है कि बार-बार सुप्रीम कोर्ट से लताड़ खाने के बाद भी मनमोहनी सरकार देश के लूटने वालों का नाम उजागर नहीं कर रही है। यही वजह है कि कठपुतली प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) से मामले को जांच नहीं करना चाहती, क्योंकि जेपीसी एक मात्र संस्था है जो प्रधानमंत्री से लेकर 10 जनपथ तक से इस बारे में पूछताछ कर सकता है। यही वजह है कि भ्रष्टाचारी थॉमस को सीवीसी बनाया गया है ताकि मामले की लीपापोती की जा सके। सुप्रीम कोर्ट बार-बार थॉमस पर सवाल उठा चुकी है, लेकिन विपक्ष के नेता के विरोध को दरकिनार कर सीवीसी बनाए गए थॉमस के पक्ष में सरकार कोर्ट में दलील पेश करती नजर आती है। क्या वजह है कि एक भ्रष्ट नौकरशाह को बचाने के लिए संसदीय मर्यादा से लेकर कोर्ट की फटकार तक सरकार सुन रही है?
सरकार के पास ऐसे 50 लोगों की सूची आ चुकी है, जिनके टैक्स हैवन देशों में बैंक एकाउंट है। लेकिन इसमें केवल 26 नाम ही सरकार ने अदालत को सौंपे हैं। जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी और जस्टिस एस. एस. निज्जर की बेंच ने 19 जनवरी 2011 को सरकार से पूछा कि इसे सार्वजनिक करने में क्या परेशानी है? कोर्ट ने कहा कि सभी देशों के सभी बैंकों की सूचनाएं जरूरी हैं। अदालत ने यहां तक कह दिया कि देश को लूटा जा रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि 1948 से 2008 तक भारत ने अवैध वित्तीय प्रवाह (गैरकानूनी पूंजी पलायन) के चलते कुल 213 मिलियन डालर की राशि गंवा दी है। भारत की वर्तमान कुल अवैध वित्तिय प्रवाह की वर्तमान कीमत कम से कम 462 बिलियन डालर है। यानी 20 लाख करोड़ काला धन देश से टैक्स हैवन देशों में जमा है।
यदि यह रकम देश में आ जाए तो भारत के हर परिवार को 17 लाख दिए जा सकते हैं। सरकार हर वर्ष 40 हजार 100 करोड़ मनरेगा पर खर्च करती है। इस रकम के आने पर 50 सालों तक मनरेगा का खर्च निकल आएगा। सरकार ने किसानों का 72 हजार करोड रुपए का कर्ज माफ किया था और इसका खूब ढोल पीटा, इस रकम के आने के बाद किसानों का इतना ही कर्ज 28 बार माफ किया जा सकता है!
क्या अभी भी जनता कांग्रेसी राज परिवार को राजा और खुद को प्रजा मानकर व्यवहार करती रहेगी? यदि जनता नहीं जगी तो देश तो कंगाल हो ही रहा है, उसकी आने वाली पीढ़ी भी बेरोजगारी, गरीबी से लड़ते-लड़ते ही दम तोड़ देगी... और फिर राहुल गांधी और होने वाले बच्चे किसी विदेशी मंत्री को बुलाकर उसे देश की गरीबी दिखाएंगे, मीडिया तस्वीर खींचेगी...अखबार और चैनल रात-दिन उसका गुणगान करने में जुट जाएंगे और उधर स्विस बैंक के खाते में गांधी परिवार की आने वाली कई नस्लों के लिए धन जमा होता रहेगा...
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भ्रष्ट राजनीतिज्ञ व नौकरशाह, 66 हजार अरब स्विस बैंक में
Fri, 11/19/2010 - 00:33 — sdeo
स्विट्जरलैंड से मिले आंकड़ों के अनुसार विश्व के सभी देशों के काले धन से कहीं ज्यादा अकेले भारत का काला धन स्विस बैंकों में जमा है। स्विस बैंकों में कुल जमा भारतीय रकम 66,000 अरब रुपए (1500 अरब डॉलर) है।
स्विस बैंकिंग एसोसिएशन की है रिपोर्टस्विस बैंकिंग ऐसोसिएशन की 2008 की रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के बाद काला धन जमा करने में रूस (470 बिलियन डॉलर), ब्रिटेन ( 390 बिलियन डॉलर) और यूक्रेन (100 बिलियन डॉलर) का नंबर है। इन देशों के अलावा बाकी विश्व के अन्य सभी देशों का मिला जुला काला धन 300 बिलियन डॉलर है।
कुल विदेशी कर्ज का 13 गुना काला धन है विदेशों में जमाभारत से 1948 से विदेशों में पैसा जमा किया जाता रहा है। स्विट्जरलैंड तो केवल एक देश है, इसके अलावा कई देशों में भारतीयों का काला धन जमा है। ये देश वे देश हैं जहां सरकारें खुद इस तरह की कमाई को जमा करने के लिए प्रोत्साहन देते हैं।
यह काला धन भ्रष्ट राजनीतिज्ञों, आईएएस, आईपीएस और उद्योगपतियों का माना जाता है। यह रकम भारत पर कुल विदेशी कर्जे का 13 गुना है। हर साल यह रकम तेजी से बढ़ रही है, लेकिन सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।
काला धन आने से हमेशा के लिए दूर हो जाएगी देश की गरीबीभारत में आज भी करीब 45 करोड़ (450 मिलियन) लोग गरीबी रेखा से नीचे का जीवन बिता रहे हैं। उनकी रोजाना की औसत आमदनी 50 रुपयों से कुछ ही ज्यादा है। यदि भारत का विदेशों में जमा काला धन भारत लाया जाता है तो केवल कुछ ही घंटों में देश की काया पलट हो सकती है। न केवल गरीबों का जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि विदेशों का सारा कर्ज भी उतर जाएगा।
इनकी पहचान करना है आसान, लेकिन सरकारें खुद रही हैं शामिलभारत से औसतन 80,000 लोग हर साल स्विट्जरलैंड की यात्रा करते हैं और इनमें से 25,000 लोग अक्सर ही इस देश की यात्रा पर जाते हैं। सरकार यदि केवल इन 25,000 लोगों पर ही कड़ी नजर रखे तो काफी कुछ खुलासा हो सकता है। लेकिन सच यह है कि हर सरकार के मंत्री, सांसद व नौकरशाह काली कमाई विदेशों में जमा करने में जुटे रहे हैं, इसलिए कार्रवाई की इच्छा किसी में नहीं है। स्विट्जरलैंड सरकार ने काला धन वापस लाने में भारत की मदद नहीं की है, लेकिन यदि भारत सरकार लगातार दबाव बनाए तो भारत को इन भ्रष्ट लोगों की जानकारी मिल सकती है।
इस धन के आने से हो सकता है
* विदेशों का सारा कर्ज उतर जाएगा।
* यदि पूरे देश पर कोई कर नहीं लगाया जाए तो भी सरकार अपनी मुद्रा को अगले 30 साल तक स्थिर रख सकती है।
* 60 करोड़ लोगों को नौकरियां मिल सकती हैं।
* देश के किसी भी गांव से दिल्ली तक चार लेन की सड़क बनाई जा सकती है। बता दें कि इस समय देश में करीब 6 लाख गांव हैं।
* 500 योजनाओं को हमेशा के लिए नि:शुल्क बिजली की आपूर्ति हो सकती है।
* देश के प्रत्येक नागरिक को 60 साल तक हर महीने 2000 रुपए का भत्ता मिल सकता है।
* देश को कभी भी वर्ल्ड बैंक व आईएमएफ से कर्ज लेने की जरूरत नहीं होगी।
स्विस बैंकिंग एसोसिएशन की है रिपोर्टस्विस बैंकिंग ऐसोसिएशन की 2008 की रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के बाद काला धन जमा करने में रूस (470 बिलियन डॉलर), ब्रिटेन ( 390 बिलियन डॉलर) और यूक्रेन (100 बिलियन डॉलर) का नंबर है। इन देशों के अलावा बाकी विश्व के अन्य सभी देशों का मिला जुला काला धन 300 बिलियन डॉलर है।
कुल विदेशी कर्ज का 13 गुना काला धन है विदेशों में जमाभारत से 1948 से विदेशों में पैसा जमा किया जाता रहा है। स्विट्जरलैंड तो केवल एक देश है, इसके अलावा कई देशों में भारतीयों का काला धन जमा है। ये देश वे देश हैं जहां सरकारें खुद इस तरह की कमाई को जमा करने के लिए प्रोत्साहन देते हैं।
यह काला धन भ्रष्ट राजनीतिज्ञों, आईएएस, आईपीएस और उद्योगपतियों का माना जाता है। यह रकम भारत पर कुल विदेशी कर्जे का 13 गुना है। हर साल यह रकम तेजी से बढ़ रही है, लेकिन सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।
काला धन आने से हमेशा के लिए दूर हो जाएगी देश की गरीबीभारत में आज भी करीब 45 करोड़ (450 मिलियन) लोग गरीबी रेखा से नीचे का जीवन बिता रहे हैं। उनकी रोजाना की औसत आमदनी 50 रुपयों से कुछ ही ज्यादा है। यदि भारत का विदेशों में जमा काला धन भारत लाया जाता है तो केवल कुछ ही घंटों में देश की काया पलट हो सकती है। न केवल गरीबों का जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि विदेशों का सारा कर्ज भी उतर जाएगा।
इनकी पहचान करना है आसान, लेकिन सरकारें खुद रही हैं शामिलभारत से औसतन 80,000 लोग हर साल स्विट्जरलैंड की यात्रा करते हैं और इनमें से 25,000 लोग अक्सर ही इस देश की यात्रा पर जाते हैं। सरकार यदि केवल इन 25,000 लोगों पर ही कड़ी नजर रखे तो काफी कुछ खुलासा हो सकता है। लेकिन सच यह है कि हर सरकार के मंत्री, सांसद व नौकरशाह काली कमाई विदेशों में जमा करने में जुटे रहे हैं, इसलिए कार्रवाई की इच्छा किसी में नहीं है। स्विट्जरलैंड सरकार ने काला धन वापस लाने में भारत की मदद नहीं की है, लेकिन यदि भारत सरकार लगातार दबाव बनाए तो भारत को इन भ्रष्ट लोगों की जानकारी मिल सकती है।
इस धन के आने से हो सकता है
* विदेशों का सारा कर्ज उतर जाएगा।
* यदि पूरे देश पर कोई कर नहीं लगाया जाए तो भी सरकार अपनी मुद्रा को अगले 30 साल तक स्थिर रख सकती है।
* 60 करोड़ लोगों को नौकरियां मिल सकती हैं।
* देश के किसी भी गांव से दिल्ली तक चार लेन की सड़क बनाई जा सकती है। बता दें कि इस समय देश में करीब 6 लाख गांव हैं।
* 500 योजनाओं को हमेशा के लिए नि:शुल्क बिजली की आपूर्ति हो सकती है।
* देश के प्रत्येक नागरिक को 60 साल तक हर महीने 2000 रुपए का भत्ता मिल सकता है।
* देश को कभी भी वर्ल्ड बैंक व आईएमएफ से कर्ज लेने की जरूरत नहीं होगी।
बहुत अच्छी जानकारी।
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