अन्ना से धोका , बाबा से धोका :कांग्रेस का असली चेहरा
- अरविन्द सिसोदिया
पिछले २० साल से अधिक समय से इस तरह की पुलिस हिंसा इस देश नें नहीं देखि, बर्बरता इस तरह कि जैसे कोई शत्रु हो .., कांग्रेस का यह बर्बर रूप १९७५ में सामनें आया था | जब लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया था | कांग्रेस नें जिस तरह बाबा को धोके में डाल कर गायब किया , उससे तो यह संदेह होता है कि बाबा कोई बड़ी पोल न खोल दें इसलिए उन्हें गायब किया गया ..! जरुर ही कोई गहरा राज है , कांग्रेस ही वह पार्टी है जिस पर स्विस बैंक में पैसा जमा होनें का आरोप लगता रहा है |
पिछले २० साल से अधिक समय से इस तरह की पुलिस हिंसा इस देश नें नहीं देखि, बर्बरता इस तरह कि जैसे कोई शत्रु हो .., कांग्रेस का यह बर्बर रूप १९७५ में सामनें आया था | जब लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया था | कांग्रेस नें जिस तरह बाबा को धोके में डाल कर गायब किया , उससे तो यह संदेह होता है कि बाबा कोई बड़ी पोल न खोल दें इसलिए उन्हें गायब किया गया ..! जरुर ही कोई गहरा राज है , कांग्रेस ही वह पार्टी है जिस पर स्विस बैंक में पैसा जमा होनें का आरोप लगता रहा है |
मुझे आश्चर्य हो रहा था कि बाबा रामदेव कांग्रेस के चक्कर में फंस कैसे रहे हैं , हाल ही में अन्ना हजारे भी लोकपाल बिल पर धोका खा कर बैठे हैं ..! अब रामदेव से भी धोका दिया जा रहा है ..! कपिल सिब्बल को सब जानते हैं , वे धूर्त टाईप के व्यक्ति हैं .., हमेशा उन्हें कुतर्क करते हुए ही देखा गया है !!! जब सिब्बल सक्रिय हुये तब ही लग गया था कि कोई खेल तो है ..! क्यों कि बाबा कि खिलाफत के लिए मुम्बई के मुस्लिम अभिनेता को लगाया गया ..? दिग्विजय सिंह जी ने हमेशा की तरह हलके स्तर के प्रश्नों की बोछार की ...! एक तरफ सरकार अति सक्रिय होनें का नाटक कर रही थी दूसरी तरफ से फाइलों की जानकारी और समझोता हो गया की बात प्रचारित कर रहा था ..! इन धोकेवाजों से समझोता नहीं करना ही समझदारी है ...!!!
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कांग्रेस सरकार और बाबा रामदेव के बीच अनशन शुरू होने से पहले ही कथित समझौता हो जाने संबंधी एक पत्र की पोल योजना वद्ध ढंग से केन्द्रीय मंत्री के द्वारा खोले जानें के चलते ४ जून २०११ की शाम घटनाक्रम ने अचानक नाटकीय मोड़ ले लिया। अनशन समाप्त होने की जगह गतिरोध तब गहरा गया जब सरकार ने योगगुरु के एक करीबी का लिखा वह पत्र जारी कर दिया जो कहता है कि बाबा रामदेव अपना अनशन बीच में ही समाप्त कर देंगे। बातचीत विफल रहने के बाद दोनों पक्षों के बीच वादों को तोड़ने के आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। रामदेव ने सरकार पर विश्वासघात और धोखेबाजी करने का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं के समक्ष बाबा रामदेव के करीबी आचार्य बालकृष्ण का लिखा एक पत्र जारी किया।
इसके बाद योगगुरु ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह विश्वासघात और धोखेबाजी कर रही है। रामदेव ने कहा कि वह अब सिर्फ प्रधानमंत्री की ही बात पर यकीन करेंगे, जिनका वह अब भी सम्मान करते हैं।
रामदेव संवाददाताओं द्वारा बार-बार किये गए इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि जब सरकार के साथ उनका लिखित समझौता हो चुका था तो उन्होंने अनशन का नाटक क्यों किया और समझौते की बात को जनता से और अपने समर्थकों से क्यों छिपाकर रखा।
सिब्बल ने अपने संवाददाता सम्मेलन में बाबा को नरम-गरम संदेश देते हुए कहा कि सरकार ने अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर दिया है। रामदेव को गलतफहमी थी कि विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के बारे में फैसला सरकार द्वारा गठित समिति करेगी, जबकि इस समिति को इस बारे में कानून बनाने का तौर- तरीका तय करना था। सिब्बल ने कहा कि सरकार इस बात को मान चुकी है। इस मुद्दे पर कोई अध्यादेश जारी करने की संभावना से इनकार करते हुए मंत्री ने वस्तुत: चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार की नर्मी को कोई कमजोरी नहीं समझे। सिब्बल ने कहा कि अगर हम बात सुन सकते हैं तो हम कठोर भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि बातचीत को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।
सिब्बल के जारी पत्र का मजमून सामने आने के बाद में बाबा रामदेव संवाददाताओं के सवालों से बुरी तरह घिर गए और उन्हें पहले से ही लिखी पटकथा के बारे में जवाब देते नहीं बना कि आखिर जब सब कुछ पहले से तय था तो उन्होंने देश भर के लोगों को अनशन और सत्याग्रह के लिए क्यों बुलाया। रामदेव के कहने का आशय था कि सरकार ने अगले दो दिन के भीतर उनकी सभी मांगें पूरा करने का लिखित वादा करने की बात कही थी और यह पत्र अनशन समाप्त करने का हमारी ओर से आश्वासन था।
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सिब्बल ने जिस तरह से बाबा रामदेव के किसी करीवी का पत्र यदि कोई है भी तो उसे लिक कर इस भीषण समस्या के प्रति तो गंभीर गैर जिम्मेवारी का ही प्रदर्शन किया है ! साथ ही यह भी बात साफ हो गई की सरकार खुद नाटक कर रही है , उसका मकसद विदेशों में झुपा काला धन वापस लानें का है ही नहीं ...!!
सिब्बल ने अपने संवाददाता सम्मेलन में बाबा को नरम-गरम संदेश देते हुए कहा कि सरकार ने अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर दिया है। रामदेव को गलतफहमी थी कि विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के बारे में फैसला सरकार द्वारा गठित समिति करेगी, जबकि इस समिति को इस बारे में कानून बनाने का तौर- तरीका तय करना था। सिब्बल ने कहा कि सरकार इस बात को मान चुकी है। इस मुद्दे पर कोई अध्यादेश जारी करने की संभावना से इनकार करते हुए मंत्री ने वस्तुत: चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार की नर्मी को कोई कमजोरी नहीं समझे। सिब्बल ने कहा कि अगर हम बात सुन सकते हैं तो हम कठोर भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि बातचीत को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।
सिब्बल के जारी पत्र का मजमून सामने आने के बाद में बाबा रामदेव संवाददाताओं के सवालों से बुरी तरह घिर गए और उन्हें पहले से ही लिखी पटकथा के बारे में जवाब देते नहीं बना कि आखिर जब सब कुछ पहले से तय था तो उन्होंने देश भर के लोगों को अनशन और सत्याग्रह के लिए क्यों बुलाया। रामदेव के कहने का आशय था कि सरकार ने अगले दो दिन के भीतर उनकी सभी मांगें पूरा करने का लिखित वादा करने की बात कही थी और यह पत्र अनशन समाप्त करने का हमारी ओर से आश्वासन था।
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सिब्बल ने जिस तरह से बाबा रामदेव के किसी करीवी का पत्र यदि कोई है भी तो उसे लिक कर इस भीषण समस्या के प्रति तो गंभीर गैर जिम्मेवारी का ही प्रदर्शन किया है ! साथ ही यह भी बात साफ हो गई की सरकार खुद नाटक कर रही है , उसका मकसद विदेशों में झुपा काला धन वापस लानें का है ही नहीं ...!!
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