बाबा रामदेव : आपातकाल और जलियावालां बाग कांड




भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव और उनके हजारों समर्थकों पर शनिवार देर रात की पुलिस कार्रवाई की विभिन्न राजनीतिक दलों, समाजसेवी संगठनों और अन्य तबके के लोगों ने चौतरफा निंदा की है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने रामलीला मैदान पर पुलिस कार्रवाई की तुलना अंग्रेजीराज में हुए जलियांवाला बाग कांड से करते हुए कहा है कि इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई ने पूरे देश को दहला दिया है।
संघ प्रवक्ता राम माधव ने पुलिस कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की घटना आपातकाल या उसके पहले जलियावाला बाग में हुई थी। उन्होंने कहा कि सरकार आज कठघरे में खडी है और उसे पूरे देश को जबाव देना होगा। उन्होंने सरकार को चेताया कि रामदेव की सुरक्षा और कुशलक्षेम की जिम्मेदारी उसी पर है।
राम माधव ने कहा कि पूरा देश आज सवाल पूछ रहा है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है या फिर यूरोप का कोई फासिस्ट देश। उन्होंने कहा कि इस तरह की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के आदेश पर ही की गई।
नितिन गडकरी(बीजेपी अध्यक्ष)- गडकरी ने कहा कि भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर शांतिपूर्ण ढंग से अनशन कर रहे बाबा रामदेव और उनके निहत्थे समर्थकों पर पुलिस ने अत्याचार किया। यह सब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया के कहने पर किया गया। उन्होंने कहा कि इस घटना ने वर्ष 1975 के आपातकाल और जलियावालां बाग कांड की याद ताजा कर दी है।
सुषमा स्वराज( बीजेपी नेता)- सुषमा ने कहा कि पुलिस ने जो कुछ किया है वो सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री की जानकारी में हुआ है। वो इससे बच नहीं सकते। उन्हें देश को जवाब देना होगा।
लाल कृष्ण आडवाणी( बीजेपी नेता)- आडवाणी ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील से संसद का आपात सत्र बुलाने की मांग की है। संवाददाताओं से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि राष्ट्रपति पिछले छह महीने में देश में हुई घटनाओं पर संज्ञान लें और संसद का आपात सत्र बुलाएं। मैं उनसे अपील करता हूं कि वह निष्क्रिय पर्यवेक्षक की तरह इन घटनाओं को न देखें। उन्होंने पुलिस पर बाबा रामदेव का अनशन जबरन तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने युवाओं तथा बुजुर्गो को पीटा। यह जालियावालां बाग की तरह था। आडवाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री सोनिया गांधी को बाबा रामदेव तथा पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।
अरुण जेटली( बीजेपी नेता)- राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने इस कार्रवाई को 'भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में शर्मनाक अध्याय' करार दिया है। उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान पर पिछली रात जो कुछ भी हुआ, वह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का शर्मनाक अध्याय है। भ्रष्टाचार तथा काले धन के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ यह पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई है।
नरेंद्र मोदी(गुजरात के मुख्यमंत्री)- गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे 'इतिहास का काला दिन' करार दिया है। मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह जी, देश यह मानने को तैयार नहीं है कि आप इसमें शामिल नहीं हैं। ये अत्याचार आपकी सरकार के अधीन हुए हैं। दिल्ली में पुलिस मनमोहन सिंह सरकार के अधीन है, न कि (दिल्ली की मुख्यमंत्री) शीला दीक्षित के अधीन। यह काला दिन है।
शिवराज सिंह चौहान(मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज)- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस घटना ने मध्ययुगीन बर्बरता की याद दिला दी है। उन्होंने कहा कि शनिवार रात दिल्ली के रामलीला मैदान पर जो कुछ भी हुआ, वह दु:खद है। ऐसा तो आपातकाल के समय भी नहीं हुआ था, जैसा केंद्र सरकार ने बाबा रामदेव तथा अनशन पर बैठे लोगों के साथ किया।
नीतीश कुमार (बिहार के मुख्यमंत्री)- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बाबा रामदेव अपनी बात कहने के लिए अपने समर्थकों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से अनशन पर बैठे थे। ऐसे में रात के समय उन पर प्रहार करना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। सरकार की यह कार्रवाई लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने जैसी है।
मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा)- मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए सरकार और बाबा रामदेव के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को लेकर किए गए गुप्त समझौते पर दोनों की आलोचना की है।
मुलायम सिंह(समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष)- समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि बाबा रामदेव के समर्थकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई से ऐसा लगता है कि केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने मानसिक संतुलन खो दिया है। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव और उनके अनुयायियों पर केंद्र सरकार ने जिस तरह कारवाई की है, उससे लगता है कि विदेशी दुश्मनों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा हो। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार पाकिस्तान और चीन से देश की सीमाओं की सुरक्षा नहीं कर पा रही है, लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शांतिपूर्ण अनशन कर रहे लोगों के खिलाफ ऐसी कारवाई कर रही है।
अन्ना हजारे- गांधीवादी समाजसेवक अन्ना हजारे ने योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर की गई पुलिस कार्रवाई को 'लोकतंत्र का गला घोंटने' की घटना करार दिया है। अन्ना हजारे ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करना अपराध नहीं है। इससे केवल लोकतंत्र मजबूत होता है। आधी रात को पुलिस भेजने और लोगों को पीटने की क्या जरूरत थी? यह घटना लोकतंत्र पर कलंक है। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव के आंदोलन की कुछ कमजोरियां हो सकती हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि लोगों को पीटा जाए और रात में पुलिस कार्रवाई क्यों की गई? वहां महिलाएं और बच्चे भी मौजूद थे।
लालू प्रसाद यादव- राष्ट्रीय जनता दल (राजद)के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बाबा रामदेव के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मोहरे हैं। उन्होंने बाबा रामदेव को आरएसएस के चंगुल से मुक्त होने और लोगों को योग सिखाने की सलाह दी।
दिग्विजय सिंह (कांग्रेस महासचिव)- कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने पुलिसिया कार्रवाई को जायज ठहराते हुए कहा कि बाबा राजनीति कर रहे थे और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को ये कदम उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन की आड़ लेकर लोगों को भड़काने का काम किया। दिग्विजय ने कहा कि बाबा ने लोगों को धोखा दिया। वह ठग हैं।
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अन्ना हजारे-
Manmohan Singh government's high-risk move in evicting Baba Ramdev from the Capital after a midnight police raid on his camp at Ramlila Maidan here has brought together rival factions of civil society, besides exposing the Centre and Congress leadership to sharp attacks from political opponents.

Just hours after the dramatic police raid on Ramlila Maidan, Anna Hazare's camp announced that they would boycott the meeting of the joint Lokpal panel scheduled for Monday and sit on a one-day hunger strike on June 8 as a mark of solidarity against the midnight strike against Baba, who has been externed from the Capital for 15 days.

The Hazare group also endorsed Ramdev's demand for an ordinance to declare Indian funds illegally stashed abroad as national asset and to provide for means to bring the money back. Even Aruna Roy, member of the Sonia Gandhi-led National Advisory Council who had publicly expressed reservations about civil society's anti-corruption agitation, joined the chorus of condemnation.

The Hazare camp upped the ante, laying down conditions for its further participation in talks on the Lokpal bill. It demanded that government clarify its stand on contentious issues like whether PM and judiciary should be brought under the proposed Lokpal bill, and also that the discussions in the joint panel be telecast live.

Earlier, thousands of policemen laid siege to Ramdev's camp site and cleared it of it thousands of supporters while externing him from the Capital for 15 days. Baba on Sunday evening was stopped at Muzaffarnagar while on his way to Noida to start a fresh dharna.

The Hazare and Ramdev camps appeared to have drifted away for a number of reasons stretching from genuine differences of opinion on issues to the presence of RSS-leaning figures in the Ramdev camp to the desire to take control of the anti-graft campaign. In fact, government's moves to indulge Ramdev capped by the red carpet rolled out for him on Thursday when four Cabinet ministers and the cabinet secretary turned up at the airport to receive him had led to apprehension that the yoga guru was being promoted as a counterweight to Hazare Campaign.

In sharp contrast, the Hazare team came out in open support for Baba, keeping their differences aside. Speaking in Delhi, Hazare accused the government of throttling democracy, and said civil society would launch protests throughout the country to "teach government a lesson". "There might have been some faults with Baba Ramdev's agitation but at midnight, beating up people -- women, children and elderly -- is a blot on democracy," Hazare said. He announced that he would sit on a day-long fast at Jantar Mantar on June 8.

The newly-forged unity among civil society means that the government will now have to contend with a stronger opposition on its contentious proposal to keep the PM and higher judiciary outside the jurisdiction of the proposed Lokpal bill. There is a possibility that Baba, so far ambivalent on whether PM should be within the purview of Lokpal, may now support the Hazare group. Ironically, the police operation has salvaged Ramdev's credibility which was under scrutiny after government claimed that he had already cut a deal before launching on a fast.

Keeping civil society engaged is helpful for the government to argue that it has been sensitive to the anti-corruption sentiments.

Its hopes of roping in other components of the political class to form a bloc against civil society are also unlikely to materialize with major political parties -- BJP, Left, Samajwadi Party, BSP and JD(U) -- all condemning the police action as reminiscent of repression during the Emergency of 1975. The sole exception was Lalu Prasad: hardly the poster boy for integrity in public life.

The police operation was cleared by government leaders at 5 pm on Saturday following the recognition that Baba was not going to call off his protest soon. It was executed efficiently, withDelhi Police managing to clear the camp site of protesters with maximum restraint. There was no lathi charge, while a few protesters suffered serious injuries and had to be taken to hospital.

Ramdev was flown to Dehradun in a BSF plane which had been kept on standby.

But the footage of firing of teargas shells and panic-stricken women and elderly running for cover relentlessly playing out on TV screens pointed to the risk of government having to pay a political cost. Being the incumbent and handicapped by scams on its watch, it was already the principal target of the anti-graft campaign. Any resentment over the midnight raid on Ramdev's camp will add to the disadvantage. The risk is real considering that details of the 2G and Commonwealth Games scam are still pouring out.

Government justified the action as inevitable. There also seems to be the calculation that stress on "communal forces" as justification for Ramdev's eviction could have political spinoffs. While keeping its distance from the police operation, Congress stressed the threat from "communal forces".

But this may not help it earn concessions from the Hazare group. Joint drafting committee member Arvind Kejriwal said, "The government's motives are suspect now. The government has been trying to crush the anti-corruption movement."

In a statement, India Against Corruption said it condemned the "barbaric and unprovoked" action and demanded an explanation from the PM. The statement said, "Last night's brutal assault of the government reminds one of 1975 Emergency. It is almost an emergency-like situation." Hazare said that instead of "gore angrez" shooting down Indians in the Jallianwala Bagh incident, "kale angrez" had attacked people. Justice Santosh Hegde described the action as violation of "fundamental rights of citizens".
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कांग्रेस की रावणलीला 
नई दिल्ली। दिल्ली के रामलीला मैदान में योग गुरू बाबा रामदेव को गिरफ्तार करने पहुंची दिल्ली पुलिस से बाबा के समर्थक भिड़ गए। तीन घंटे तक बाबा के समर्थकों और पुलिस के बीच तनातनी चलती रही। आखिरकार पुलिस ने बलपूर्वक बाबा और उनके समर्थकों को रामलीला मैदान से खदेड़ दिया।

रात 11 बजे-दिल्ली पुलिस के संयुक्त रामलीला मैदान पहंुचे और स्थिति का जायदा लिया
रात 12 बजे-सादी वर्दी में पुलिस बल का रामलीला मैदान में प्रवेश, चारों तरफ पुलिस फैली
एक बजे -दिल्ली पुलिस और आरपीएफ के जवान वर्दी में नजर आए और देखते ही देखते इनकी संख्या बढ़ने लगी
1.30 बजे-बाबा को पुलिस हिरासत में लेना का दबाव बनाया लेकिन बाबा ने गिरफ्तारी देने से इंकार किया,भक्तों ने सुरक्षा घेरा बनाकर अपने कंधे पर बैठाया
1.४०-बाबा मंच से भक्तों के बीच कूद गए, समर्थकों के कंधे पर बैठकर उनको संबोधित किया
2 बजे -बाबा के चारों और सर्मथक, महिलाओं ने सुरक्षा घेरा बनाया ताकि बाबा तक पुलिस न पहुंच पाए, बाबा सर्मथकों ने पुलिस पर पत्थर बरसाए
रात 2.15 - बजे-दिल्ली पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, बाबा के मंच पर आग लगी, कुछ ही देर में मंच खाली, रामलीला मैदान में अफरा तफरी का माहौल
रात 2.३०- रामलीला मैदान पर बाबा का मंच नष्ट हो गया, बाबा को लेकर संशय की स्थिति कि आखिर बाबा हैं कहा, बाबा को हिरासत में लिए जाने का समाचार फैला|

टिप्पणियाँ

  1. इनमे से खासकर ईसाई एजेंट डॉग विजय व आलू यादव का मानसिक उपचार करवाने की सख्त जरूरत है अत: सिसोध्या जी कोई ऐसी पोस्ट लिखें जो अर्जी के रूप में हमारे माननीय प्रधानमंत्री के पास पहुंचे और वो इन कमीनो के इलाज के लिए किसी अच्छे हॉस्पिटल का इंतजाम कर सके !

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