भयग्रस्त प्रधानमंत्री

सच यह है की देश  के सबालों से यह प्रधानमंत्री डरा हुआ है | 


- अरविन्द सिसोदिया 
बहुत दिनों बाद एकबार फिर प्रधानमंत्री सच और झूठ मिला कर बोले , मानलो भई में ही प्रधानमंत्री हूँ ..! यह सच है कि मनमोहन सिंह जी को प्रधानमंत्री सोनिया गांधी ने ही बनाया है ! बस  एक बार सिंह सहाब लोकसभा चुनाव लड़े और हार गए , इसके बाद कभी भी लोकसभा चुनाव हार के डर से नहीं लड़े !! राज्य सभा से ही संसद में पहुचते हैं !! प्रधानमंत्री नरसिंह राव के कार्यकाल में वित्तमंत्री रहते हुए उन्होंने सोनिया जी कि बहुत सेवा की थी , उसकी मेवा उन्हें प्रधानमंत्री पद के रूप में मिली ! बहुमत तो सोनिया जी के पास है मनमोहन सिंह पर तो है नहीं और यह भी सच है कि जब तक सोनिया जी कि कृपा है तब तक ही वे प्रधानमंत्री हैं !! वे एक उच्चस्तरीय नौकरशाह ही तो रहे हैं , कभी राजनीती में थे भी नहीं सो वे इतने समय प्रधानमंत्री रह कर भी अपनी राजनैतिक जमीन तैयार नहीं कर सके ! सोनियाजी जब चाहें और कहें मूषक भवः तभी ये भूतपूर्व हो जायेंगे !! राजनैतिक स्वाभिमान या स्वभाव कभी था ही नहीं जो अब आये !  
अब देखिये खजाना लुट रहा है तो लुट ही रहा है ...
अंधेरगर्दी हो रही है तो हो ही  रही है .....
सीबीआई दुरूपयोग हो रहा है तो हो ही रहा है ....
राज्यों से भेदभाव हो रहा है तो हो ही रहा है ....
मंत्री और पार्टी नेता कुछ भी कह रहे हैं तो कह ही रहे हैं ...
मतलब कोई आपका नियंत्रण ही नहीं है ..?????
मंत्री और पार्टी नेता भी आपकी बजाये सोनियाजी की ही तीमारदारी में हैं ! जब आपकी कोई सुनाने वाला नहीं है, आपको समझनें वाला नहीं है तो फिर आप सरकार के मुखिया भी कब हो ? पद पर बैठाना और काम करके दिखाना , दोनों में फर्क है !! फ़्रांस ब्रिटेन के मुकाबले अधिक मजबूत देश था मगर कमजोर और दिशाहीन सरकारों के कारण, ब्रिटेन से पिछड़ता ही चला गया !! आज निश्चित रूप से देश समस्याओं के समाधान में पिछड़ गया है |  कहीं कोई नियंत्रण नहीं है | महंगाई रोज सुरसा के मुह की तरह बढ़ जाती है | कालाधन देश में वापस आये और देशहित में उसका उपयोग हो इसमें क्या बुराई है , सरकार के पास नाम हैं उन्हें उजागर क्यों नहीं करते ? चोर का नाम छुपाना क्या बात हुई ??
सरकार जन प्रतिनिधियों से चुनी जनता कि होती है , उसमें और पार्टी में नैतिक फर्क होता है , 
सरकार देश की मुखिया है न्याय करना , समस्याओं का समाधान करना , कानून का राज्य चलाना और लोक कल्याणकारी होना यह कर्तव्य हैं | यह नहीं है तो सरकार नहीं है !! आप एक प्रधान मंत्री तरह काम करो और अपने मंत्रीमण्डल को अपनी नीतियों के हिसाब से चलाओ तब ही तो प्रधानमंत्री माने जाओगे !!! हर छेः  महीनें में मीडिया के आगे आकर यह कहनें से काम थोड़े ही चलेगा की में प्रधानमंत्री हूँ..!
दुर्भाग्यपूर्ण
देश का एक प्रधानमंत्री एक बंद कमरे में कुछ मीडिया संपादकों से बात  करे और उस बात को कोई और संपादक अन्य मीडिया वालों को  बताये यह पहली बार देखा !! सरकार के पास कई सरकारी चॅनल हैं उनका खुद का सुचना और जनसंपर्क तंत्र है !  यह वार्ता सीधी देश देखता तो उसे शायद प्रधानमंत्री पर फक्र होता ! सीधी न सही संपादित करके प्रसारित करवा देते !! इस घटना क्रम से तो यह सन्देश  गया की प्रधानमंत्री डरा और भयग्रस्त  है, जो जनता से बात करनें में डर रहा है  !! सच यह है की देश  के सबालों से यह प्रधानमंत्री डरा हुआ है | 
फेसबुक पर एक प्रतिक्रिया .........
उजड़ गया फिर कर रहे, 'मनमोहक' संवाद!
टिड्डी दल ने गुलशन को, खूब किया बर्बाद!!
खूब क्या बर्बाद, नहीं मिल सकती माफ़ी!
बचा-खुचा भी हज़म करो, होगा नाकाफ़ी!!
दर्ज़ हुई इतिहासों में, सारी करतूतें!
सबके काले हाथ, नहीं हैं शेष अछूते!!
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रामदेव हमारे लिए एक खतरा : स्विस बेंक
स्विस बैंक एसोसिएशन और स्विस सरकार ने बताया है की स्विस बैंको में जमा धन में पन्द्रह लाख करोड डॉलर की भयंकर कमी आयी है .. और स्विस इकोनोमी को खतरा पैदा हो गया है .. वहा के सारे अखबारों और टीवी डिबेट में इसे "रामदेव इफेक्ट " कहा जा रहा है . स्विस बैंको में सबसे ज्यादा काला धन भारत से जमा होता है फिर चीन और रूस का नम्बर आता है .. बाबा रामदेव के अभियान से प्रभावित होकर चीन और रूस में भी काले धन के वापस लेन की जोरदार मुहीम चल रही है. चीन सरकार अरब देशो में हुई क्रांति से डरकर तुरंत ही एक कानून बना कर स्विस सरकार से सारा ब्योरा माँगा है और काले धन विदेश में जमा करने वालो को मृतुदंड देने की क़ानूनी बदलाव किया है, रूस में भी पिछले कई दिनों से लोग काले धन के खिलाफ लेनिन स्क्वायर पर प्रदर्शन कर रहे थे आखिरकार रुसी सरकार ने भी २ महीने में सारे काले धन को वापस लेन का देश की जनता को लिखित आश्वाशन दिया है .. रूस के सामाजिक कार्यकर्ता और रूस में काले धन के खिलाफ आन्दोलन चला रहे बदिमिर इलिनोइच ने बाबा रामदेव को प्रेरणाश्रोत मानकर अपना आन्दोलन चलाया ..
स्विटरज़रलैंड के लगभग सभी अखबारों जैसे स्विस टुडे, स्विस इलेस्ट्रेटेड, और टीवी चनेलो ने बाबा रामदेव को एक "खलनायक " के रूप में बता रहे है . इधर भारत में भी कांग्रेस पार्टी और सरकार उपरी मन से चाहे जो कुछ भी कहे लेकिन उसे भी अब जनता के जागरूक होने का डर सताने लगा है . कांग्रेस इस देश की टीवी चनेलो और अखबारों को तो खरीद सकती है लेकिन भारत में तेजी से उभर रही न्यू मीडिया [ वेब पोर्टल , फेसबुक , ट्विटर ] पर चाहकर भी वो प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती .. एक सर्वे में पाया गया है की इन्टरनेट पर कांग्रेस के खिलाफ जोरदार अभियान चल रहा है और ये अभियान कोई पार्टी नहीं चला रही है बल्कि इस देश के जागरूक और शिछित युवा चला रहे है जिनका किसी भी राजनितिक पार्टी से कोई लेना देना नहीं है ..

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