एनजीओ : दाल में काला तो है
एनजीओ माफियाई भी एक बहुत बडा भ्रष्टाचार है........
विदेशी पैसा लेने वाले सभी एनजीओज की जांच होनी ही चाहिये.....
भारत में विदेशी पैसा लेकर उसके दुरउपयोग द्वारा अन्य निहित स्वार्थ साधना परम्परा बन गया है। इन स्वार्थ सिद्धियों के द्वारा देश को, व्यवस्था को , न्याय को और मानवता को जम कर नुकसान पहुचाया जाता है। धर्मामंतरण को धंधा बना दिया गया है। यह इसलिये संभव होता है कि सरकारें कभी यह देखती ही नहीं हैं कि पैसा आया किस लिये और खर्च कहां हो रहा है।यही कारण है कि एनजीओज चलाने वालों की जिन्दगी भी असरदार सम्पन्न व्यक्तियों की तरह होती है और मीडिया भी इनको वीआईपीओं की तरह महत्व देता है।
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