नोटबंदी के फैसले ने आतंकियों, नक्सलियों की कमर तोड़ दी
नोटबंदी के फैसले ने तोड़ दी आतंकियों, नक्सलियों की कमर
टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated: Nov 16, 2016हाइलाइट्स
• नोटबंदी के बाद कश्मीर में हवाला के जरिए आतंकियों और अलगाववादियों तक पहुंचने वाले पैसे में काफी कमी आई है।
• देश भर में फैले नक्सलियों ने बड़ी करंसी के रूप में जो पैसा जमा कर रखा था, वह अब बेकार हो चुका है।
• नक्सलियों ने यह पैसा लेवी और फिरौती के रूप में जमा किया था।
भारती जैन, नई दिल्ली
500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों पर बैन लगाकर मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के आतंकवादियों और देश भर में फैले नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। एक तरफ जहां कश्मीर में हवाला के जरिए आतंकियों और अलगाववादियों तक पहुंचने वाले पैसे में काफी कमी आई है वहीं नक्सलियों ने बड़ी करंसी के रूप में जो पैसा जमा कर रखा था, वह अब बेकार हो चुका है।
सूत्रों ने बताया कि कश्मीर में आतंकियों और अलगाववादियों तक हवाला के जरिए जो पैसा पहुंचता था, वह ज्यादातर 500 और 1000 रुपये के नोटों में होता था। अब पुराने नोटों पर बैन लगने के बाद इस फंडिंग में काफी कमी आई है। उधर, देश के कई राज्यों में फैले माओवादी समूह, खासकर बिहार और झारखंड के माओवादियों ने फिरौती के जरिए जो मोटी रकम जमा कर रखी थी, उसे भुनाने में अब उनके पसीने छूट रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाले एक इंटेलिजेंस अधिकारी ने बताया कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों पर बैन लगने के बाद हवाला चैनल के जरिए आने वाले पैसे का स्रोत सूख गया है। अब जबकि हिंसा और प्रदर्शनों को फंड करने के लिए पैसा नहीं है, इन कामों को अंजाम देने वाले चुपचाप बैठे हुए हैं। हिंसक प्रदर्शन करवाने या पत्थरबाजी को फंड करने के लिए उनके पास पैसा नहीं है।
एक सूत्र ने कहा कि किसी भी आतंकी ऑपरेशन या भीड़ द्वारा प्रदर्शन कराने के लिए पैसे की जरूरत होती है, और यह हवाला के जरिए आता है। सूत्र ने कहा, 'यह गौर करने वाली बात है कि घाटी में 8 नवंबर के बाद से कोई भी बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ है।'
सुरक्षा से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'हालांकि, ऐसा होने की एक वजह यह भी है नोटबंदी से पहले ही घाटी में हालात आंशिक तौर पर ही सही, सामान्य हो गए थे। इससे यह भी पता चलता है कि आतंकवादियों को अपनी हरकतों को अंजाम देने में काफी परेशानी आ रही है।' अधिकारी ने कहा कि सुरक्षाबल आतंकवादी गतिविधियों में आई कमी का फायदा उठा सकते हैं। इस दौरान वे घाटी में छिपे आतंकवादियों के खिलाफ अपने अभियान को और तेज कर सकते हैं। उन्होंने कहा, 'सबसे पहले आतंकी समूहों के संसाधन पाने के रास्ते बंद कर दो और जब तक वे कोई और रास्ता ढूंढे, उनका खात्मा कर दो।'
खुफिया जानकारियों के मुताबिक, नोटबंदी की वजह से माओवादियों पर जबर्दस्त असर पड़ा है। उनकी फंडिंग का रास्ता बंद हो गया है। बिहार और झारखंड स्थित सीपीआई (माओवादी) नेताओं के बीच जो बातचीत पकड़ी गई है, उससे पता चलता है कि उन्हें ढेर लगाकर रखे गए अपने कैश को खो देने का डर है। यह कैश लेवी और फिरौती के जरिए हासिल हुआ है। इस बीच, सरकारी एजेंसियों ने नक्सल प्रभावित इलाकों में पैसे के फ्लो पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है। इस तरह की खुफिया जानकारियां हैं कि माओवादी बैंक या कैश वैन्स को निशाना बना सकते हैं ताकि अपनी भरपाई कर सकें।
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