टाइम पर्सन ऑफ द ईयर के ऑनलाइन पोल में पीएम मोदी पुनः विजयी
दूसरी बार विजेता बने
टाइम पर्सन ऑफ द ईयर-2016 के लिए पाठकों के ऑनलाइन मतदान में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजयी रहे हैं। इससे पूर्व भी वे 2014 में भी पाठकों के ऑनलाइन मतदान में विजयी रहे थे ! किन्तु 2014 में टाइम के संपादक मंडल ने उन्हें ईयर पर्सन नहीं बनाया था । ऑनलाइन पोल के फैसले को ही आखिरी निर्णय नहीं माना जाता । इस लिए फैसले का इंतजार करना होगा । तथा यह भी गर्व की बात हे कि मोदी 50 लाख पाठकों के मतदान में दूसरी बार विजेता बने हैं ।
टाइम पर्सन ऑफ द ईयर के ऑनलाइन मतदान में मोदी अव्वल
Published: Mon, 05 Dec 2016http://naidunia.jagran.com
न्यूयॉर्क। टाइम पर्सन ऑफ द ईयर-2016 के लिए पाठकों के ऑनलाइन मतदान में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजयी रहे हैं।
इस ऑनलाइन चुनाव में मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग जैसे विश्व नेताओं को पछाड़ा है। इसकी आधिकारिक घोषणा सात दिसंबर को की जाएगी।
रविवार रात को मतदान खत्म होने तक मोदी को 18 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। इस तरह उन्होंने अपने करीबी प्रतिद्वंद्वियों बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप और विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे से अच्छी खासी बढ़त हासिल कर ली थी।
इन सभी को सात प्रतिशत मत हासिल हुए हैं। जबकि फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग को दो प्रतिशत और अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेट प्रत्याशी रहीं हिलेरी क्लिंटन को चार प्रतिशत मत हासिल हुए हैं।
इनके अलावा एफबीआइ प्रमुख जेम्स कोमे, एप्पल के सीईओ टिम कुक, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे भी इस खिताब की दौड़ में थे। टाइम का कहना है कि पाठकों का मतदान यह बताता है कि उनकी राय में साल 2016 को आकार देने में किस हस्ती का योगदान सबसे अहम रहा है।
बता दें कि यह अमेरिकी पत्रिका हर साल एक ऐसी हस्ती को यह सम्मान प्रदान करती है जिसने "अच्छी" या "खराब" वजहों से खबरों और दुनिया को प्रभावित किया हो।
यह दूसरी बार है जब नरेंद्र मोदी ने पाठकों के ऑनलाइन मतदान के जरिये चुने जाने वाले टाइम पर्सन ऑफ द ईयर खिताब को जीता है। 2014 में उन्हें कुल 50 लाख में से 16 प्रतिशत से ज्यादा मत हासिल हुए थे।
यही नहीं, मोदी लगातार चौथी बार इस खिताब के दावेदारों में शामिल हुए हैं। पिछले साल जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को टाइम पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया था।
टाइम का कहना है कि 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद करने की वजह से इन दिनों मोदी सबसे ज्यादा चर्चा में रहे हैं।
मतदान कराने वाले एपस्टर के विश्लेषण से पता चला है कि अमेरिका और दुनियाभर में लोगों की प्राथमिकताएं अलग-अलग रहीं। मोदी का प्रदर्शन भारतीयों के बीच अच्छा रहा, साथ ही कैलीफोर्निया और न्यू जर्सी से भी उन्हें अच्छे मत प्राप्त हुए हैं।
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टाइम के ऑनलाइन रीडर पोल में 'पर्सन ऑफ द ईयर' चुने गए पीएम मोदी
टीम डिजिटल/अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Mon, 05 Dec 2016हालांकि अंतिम घोषणा 7 दिसंबर को होगी जिसके बाद ही पता चल सकेगा कि टाइम पर्सन ऑफ द ईयर का प्रतिष्ठित अवार्ड किसे मिलेगा। इस रेस में प्रधानमंत्री मोदी अभी काफी आगे चल रहे हैं, लेकिन अंतिम विजेता की घोषणा एडिटर्स पैनल के चयन के बाद ही होती है।
खास बात ये है कि इस रेस में भारतीय प्रधानमंत्री ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित होकर दुनियाभर की सुर्खियां बटोरने वाले डोनाल्ड ट्रंप को भी पीछे छोड़ दिया है।
इसके अलावा वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा और विकिलीक्स के संपादक जूलियन असांजे भी इस रेस में मोदी से पिछड़ गए। अब सबकी निगाहें सात मार्च को होने वाले अंतिम चयन पर टिकी हैं जिसके बाद ही पता चल सकेगा इस साल टाइम पर्सन ऑफ द ईयर कौन होगा। पिछले साल यह पुरस्कार जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल को चुना गया था।
बता दें कि अमेरिका की प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन हर साल दुनियाभर में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले और प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में 'टाइम पर्सन ऑफ द ईयर' का चुनाव करती है। इसके लिए पत्रिका की ओर से पहले पाठकों के लिए ऑनलाइन पोल करवाया जाता है, इसी ऑनलाइन पोल में प्रधानमंत्री मोदी बीते दो सप्ताह से पहले नंबर पर जमे हुए थे।
रविवार रात 12 बजे खत्म हुई ऑनलाइन वोटिंग में वह सबसे अधिक 18 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर पहले स्थान पर रहे। जबकि उनके पीछे डोनाल्ड ट्रंप, बराक ओबामा और जूलियन अंसाजे जैसे प्रतिष्ठित लोग रहे। खास बात ये है कि इन तीनों को मात्र 7 फीसदी के आसपास वोट मिले हैं।
इसके अलावा पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन 4 और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग मात्र 2 फीसदी वोट पाकर उनसे भी पीछे रहे। खास बात ये है कि ब्रिटिश की प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी मोदी के मुकाबले इस रेस में कहीं नहीं ठहर पाए। बता दें कि यह लगातार चौथी बार है जब नरेन्द्र मोदी टाइम की इस रेस में जगह बनाने में सफल हुए हैं। ऑनलाइन पोल में विजेता बनने के बाद अब सबकी निगाहें एडिटर्स के फैसले पर टिकी हुई है, कि वो इस बार मोदी को चुनते हैं या नहीं।
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क्यों अभी पीएम नरेंद्र मोदी को 'TIME पर्सन ऑफ द ईयर' कहना गलत है...
कल्पना द्वारा लिखित, अंतिम अपडेट: सोमवार दिसम्बर 5, 2016खास बातें
*टाइम पर्सन ऑफ द ईयर के ऑनलाइन पोल में पीएम मोदी सबसे आगे
*जरूरी नहीं कि ऑनलाइन पोल से मेल खाए पत्रिका का फैसला
*पीएम मोदी 2014 में भी इस पोल में विजयी हुए थे
हर साल की तरह इस बार भी अमेरिका की ही नहीं दुनिया की चर्चित पत्रिका 'टाइम' ने 'पर्सन ऑफ द ईयर' के लिए रीडर्स पोल (ऑनलाइन वोटिंग) करवाई जिसमें लोगों से पूछा गया कि उनके मुताबिक कौन है 'पर्सन ऑफ द ईयर'. इस वोटिंग में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सबसे ऊपर रहा और उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप, हिलेरी क्लिंटन, बराक ओबामा, जुलयिन असांज और मार्क ज़ुकरबर्ग जैसी हस्तियों को पछाड़ कर 18 प्रतिशत वोट हासिल किए.
ट्विटर पर इस नतीजे की घोषणा के बाद पीएम मोदी के लिए कई बधाई संदेश आने लगे लेकिन इन ट्वीट्स में से कुछ ऐसे थे जो शायद मामले को पूरा नहीं समझ पाए. ट्विटर पर लिखा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी को 'टाइम पर्सन ऑफ द ईयर' चुन लिया गया है जो कि तथ्यात्मक रूप से गलत है.
बता दें कि यह एक ऑनलाइन पोल है जो कि टाइम मैगज़ीन करवाती है यह जानने के लिए कि दुनिया इन हस्तियों को किस नज़रिए से देखती है और किसे बेहतर मानती है. अच्छी बात यह है कि मोदी को जहां इस पोल में 18 प्रतिशत वोट मिले हैं, वहीं इस पोल में पुतिन, ओबामा और ट्रंप जैसे नामों को 7 प्रतिशत वोटों से संतुष्टि करनी पड़ी. टाइम पत्रिका ने अपने ऑनलाइन संस्करण में लिखा है कि मोदी को सबसे ज्यादा वोट भारत से मिले, साथ ही कैलिफोर्निया और न्यू जर्सी से भी उनके लिए काफी वोट किए गए. लेकिन पाठकों का यह फैसला अंतिम फैसला नहीं माना जाता.
यहां गौर करने वाली बात यह है कि टाइम 1998 से यह ऑनलाइन पोल करवा रहा है जिसमें वह पाठकों से जानना चाहता है कि 'उनके हिसाब' से पर्सन ऑफ द ईयर कौन है. लेकिन साथ ही मैगज़ीन यह भी साफ करती है कि जरूरी नहीं कि पाठक जिसे इस टाइटल के लिए चुनें, उसे मैगज़ीन द्वारा भी 'पर्सन ऑफ द ईयर' चुना जाए. अगर हम पहले के फैसलों को देखें तो पाएंगे कि टाइम पत्रिका के संपादकों ने बार बार पाठकों की पसंद को दरकिनार करते हुए अंतिम फैसला कुछ और ही लिया है. 1998 में जब पहली बार यह ऑनलाइन पोल हुआ था, तब पहलवान मिक फोली को पाठकों ने 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट दिया था लेकिन पत्रिका ने उस साल बिल क्लिंटन और केन स्टार को पर्सन ऑफ द ईयर चुना. फोली के प्रशंसक इस फैसले से नाराज़ हो गए क्योंकि वह गलती से ऑनलाइन पोल के फैसले को ही आखिरी निर्णय मान बैठे थे.
यहां दिलचस्प यह जानना भी होगा कि इस मैगज़ीन के हिसाब से 'पर्सन ऑफ द ईयर' के मायने क्या हैं. कई लोग इस शीर्षक को 'महानता' के साथ जोड़ते हुए देखते हैं लेकिन पत्रिका के मुताबिक इस टाइटल का अर्थ उस व्यक्ति, घटना या वस्तु से है जिसने उस पूरे साल की गतिविधियों पर बहुत ज्यादा असर डाला हो. यह असर अच्छा या बुरा दोनों हो सकता है, शायद इसलिए एडोल्फ हिटलर, जोसेफ स्टैलिन और अयातुल्लाह ख़ोमेनी जैसे विवादित नाम भी पर्सन ऑफ द ईयर बने हैं. हालांकि बाद में मैगज़ीन विवादित नामों से ज़रा बचने लगी. यही वजह थी कि 9/11 हमले के बाद टाइम ने पर्सन ऑफ द ईयर के लिए न्यूयॉर्क सिटी के मेयर रुडॉल्फ जुलायिनी को चुना गया. हालांकि चर्चा इस बात की भी चली थी कि पत्रिका ने अपने संपादकीय में इस बात की तरफ इशारा किया है कि दरअसल ओसामा बिन लादेन को 'पर्सन ऑफ द ईयर' हैं क्योंकि अल क़ायदा के 9/11 हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था.
चलते चलते एक बात और, जरूर नहीं कि टाइम द्वारा 'पर्सन ऑफ द ईयर' के रूप में हमेशा किसी व्यक्ति को ही नहीं चुना जाए. जैसा कि टाइम कहता है कि वह फैसला लेते वक्त यह देखता है कि इस 'पर्सन' ने इस साल दुनिया भर में कितना प्रभाव डाला है, इसलिए 1966 में इसने 'inheritor' यानि 25 साल से कम उम्र के अमरिकी युवाओं की पीढ़ी को चुना, तो 1968 में अपोलो 8 के अंतरिक्ष यात्रियों को चुना. 1982 में कम्प्यूटर को और 2006 में 'You' यानि हम सबको चुना गया जिसका प्रतिनिधित्व इंटरनेट कर रहा है.
जहां तक पीएम मोदी की बात है तो यह दूसरी बार है जब उन्होंने इस मैगज़ीन के ऑनलाइन पोल को जीता है. 2014 में भी उन्होंने यह पोल जीता था जब उन्हें 16 प्रतिशत वोट मिले थे. यह लगातार चौथा साल है जब इस पोल में पत्रिका ने पीएम मोदी को उन लोगों में से एक माना है जिसने 'खबरों और दुनिया को अच्छे या बुरे किसी भी लहज़े में प्रभावित किया है.'
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