सर्वे में ज्यादातर लोग नोटबंदी फैसले के साथ, एक महीना बाद भी




नोटबंदी का एक महीना : 

एनबीटी-सीवोटर सर्वे में ज्यादातर लोग फैसले के साथ

नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Dec 9, 2016

नई दिल्‍ली
8 नवंबर 2016 को लागू किए गए नोटबंदी के फैसले का एक महीना पूरा होने के बाद भी कैश कमी की समस्या से जूझ रहे लोग इस फैसले के समर्थन में हैं। ज्‍यादातर लोगों का कहना है कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों के बैन होने से उन पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है और इससे जो दिक्कतें हो रही हैं, वह कालेधन के खिलाफ लड़ाई में काफी छोटी हैं। ये बातें सामने आई हैं एनबीटी-सीवोटर की तरफ से किए गए सर्वे में।

नोटबंदी से ज्यादा दिक्कत नहीं
जब सर्वे में लोगों से पूछा गया कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बैन होना, उनके लिए कितनी बड़ी मुसीबत है तो ज्यादातर लोगों ने कहा कि इससे उन पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। शहरों में रहने वाले 51 प्रतिशत लोगों ने माना कि इससे कोई दिक्कत नहीं हुई है। अर्द्धशहरी इलाकों के 44 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों के 42 प्रतिशत लोगों की भी यही राय थी। दूसरी तरफ, शहरी, अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों के क्रमश: 13 प्रतिशत, 10 प्रतिशत और 13 प्रतिशत लोगों ने माना कि इस फैसले ने उन पर जबर्दस्त प्रभाव डाला है।

इनकम ग्रुप के लिहाज से बात करें तो लोअर इनकम ग्रुप के 51 प्रतिशत, मिडल इनकम ग्रुप के 43 प्रतिशत और हाइअर इनकम ग्रुप के 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे कोई परेशानी नहीं हुई है। वहीं लोअर इनकम ग्रुप के 14 प्रतिशत, मिडल इनकम ग्रुप के 10 प्रतिशत और हाइअर इनकम ग्रुप के 11 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नोटबंदी के फैसले से उन पर ऐसा प्रभाव पड़ा है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

कालेधन के खिलाफ लड़ाई और नोटबंदी
नोटबंदी के फैसले और कालेधन के खिलाफ लड़ाई में इससे होने वाले फायदे के बारे में जब लोगों की राय मांगी गई तो ज्यादातर ने सकारात्मक बात कही। अधिकतर लोगों ने कहा कि ब्‍लैक मनी के खिलाफ लड़ाई में नोटबंदी से जो दिक्‍कत हो रही है, वह कुछ भी नहीं है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो शहरों में रहने वाले 85 प्रतिशत लोगों ने माना कि जितनी दिक्‍कत हो रही है उसे कालेधन के खिलाफ लड़ाई में आराम से सहा जा सकता है। अर्द्धशहरी इलाकों के 89 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों के 79 प्रतिशत लोगों की भी यही राय थी। दूसरी तरफ, शहरी, अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों के क्रमश: 13 प्रतिशत, 9 प्रतिशत और 16 प्रतिशत लोगों का जवाब ना में रहा।

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