सर्वे : अभी मोदी सरकार को 360 सीटें मिलेंगी
सर्वे: अगर अभी हुआ लोकसभा चुनाव तो फिर से बनेगी एनडीए की सरकार, नरेंद्र मोदी बनेंगे पीएम
By: Anujkumar Maurya Updated: Friday, January 27, 2017,
नई दिल्ली। मौजूदा समय में केन्द्र की सत्ताधारी पार्टी एनडीए को सत्ता में आए ढाई साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी वह लोगों की पसंदीदा पार्टी बनी हुई है। इसका सबूत है हाल ही में आया इंडिया टुडे ग्रुप और कार्वी इनसाइट (karvy insights) का सर्वे। इस सर्वे के मुताबिक अगर अभी देश में लोकसभा चुनाव हो जाएं तो मोदी सरकार को 360 सीटें मिलेंगी और दोबारा से जीत दर्ज कर सत्ता में आ जाएगी। वहीं दूसरी ओर, मौजूदा समय में लोकसभा चुनाव होने के बाद यूपीए को सिर्फ 60 सीटें और अन्य को 123 सीटें मिलेंगी।
मोदी सरकार को मिली वाहवाही यह सर्वे 19 राज्यों में 12,143 लोगों पर किया गया था, जिसमें एनडीए को 42 फीसदी वोट मिले, जबकि यूपीए को सिर्फ 25 फीसदी वोट मिले। वहीं अन्य दलों को 33 फीसदी वोट मिले। प्रधानमंत्री के तौर पर पीएम मोदी के काम को 69 फीसदी लोगों ने अच्छा बताया। वहीं दूसरी ओर 19 फीसदी लोगों ने प्रधानमंत्री के तौर पर पीएम मोदी के काम को औसत कहा, जबकि 3 प्रतिशत लोगों ने खराब बताया। इतना ही नहीं, 6 फीसदी लोगों ने पीएम मोदी के काम को बेहद खराब बताया। इन सबके बावजूद 71 फीसदी लोगों ने एनडीए सरकार के काम को सराहा।
लोग किसे देखना चाहते हैं पीएम अभी चुनाव होने की स्थिति में 65 फीसदी लोगों ने पीएम मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में चुना। इसके अलावा 10 फीसदी लोगों ने राहुल गांधी और 4 प्रतिशत लोगों सोनिया गांधी को अपनी पसंद बताया। इतना ही नहीं एक फीसदी लोगों को मुलायम सिंह और एक फीसदी को मायावती पीएम के रूप में पसंद हैं। यही नहीं, 2 फीसदी लोग अरुण जेटली, एक फीसदी अमित शाह, एक फीसदी को ममता बनर्जी, 2 फीसदी केजरीवाल, 2 फीसदी प्रियंका गांधी और 2 फीसदी लोगों ने नीतीश कुमार को पीएम के रूप में चुना।
लोग किसे देखना चाहते हैं पीएम अभी चुनाव होने की स्थिति में 65 फीसदी लोगों ने पीएम मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में चुना। इसके अलावा 10 फीसदी लोगों ने राहुल गांधी और 4 प्रतिशत लोगों सोनिया गांधी को अपनी पसंद बताया। इतना ही नहीं एक फीसदी लोगों को मुलायम सिंह और एक फीसदी को मायावती पीएम के रूप में पसंद हैं। यही नहीं, 2 फीसदी लोग अरुण जेटली, एक फीसदी अमित शाह, एक फीसदी को ममता बनर्जी, 2 फीसदी केजरीवाल, 2 फीसदी प्रियंका गांधी और 2 फीसदी लोगों ने नीतीश कुमार को पीएम के रूप में चुना।
नोटबंदी को मिला समर्थन इस सर्वे में जब लोगों से पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले पर बात की गई तो नोटबंदी को लोगों का तगड़ा समर्थन मिला। सर्वे में 45 फीसदी लोगों ने माना कि इससे कालेधन पर लगाम लगेगी, जबकि 35 फीसदी ने इसे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा बताया। वहीं 7 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था कमजोर होगी, जबकि 7 फीसदी लोगों ने इसे सिर्फ एक चुनावी पैंतरा करार दिया।
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इंडिया टुडे ओपिनियन पोल: आज चुनाव हुए तो NDA को 360 सीटें, PM मोदी की भी बढ़ी लोकप्रियता
aajtak.in [Edited By: अमित दुबे]नई दिल्ली, 27 जनवरी 2017, अपडेटेड 11:35 IST
नोटबंदी के बाद केंद्र की मोदी सरकार की लोकप्रियता में और इजाफा हुआ है. इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के सर्वे में मोदी सरकार की करिश्माई छवि बरकरार है. ओपिनियन पोल के मुताबिक अगर अभी हुए चुनाव तो NDA को 360 सीटों पर जीत मिल सकती है. यही नहीं, सर्वे में पीएम मोदी के ग्राफ में भी उछाल देखा गया. 65 फीसदी लोगों ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे बेहतर चेहरा बताया.
मोदी सरकार का जादू बरकरार
इंडिया टुडे आपके लिए KARVY INSIGHTS के साथ मिलकर एक बार फिर मूड ऑफ द नेशन पोल (एमओटीएन) सर्वे लाया है, जिसके मुताबिक अगर मौजूदा वक्त में लोकसभा चुनाव हो जाएं तो एनडीए को 360 मिलेंगी, जो कि अगस्त में हुए सर्वे से 56 सीटें ज्यादा हैं. यहां एक और बात अहम है कि बीजेपी को अकेले 305 सीटें मिल सकती हैं, जो कि लोकसभा में उसे स्पष्ट बहुमत देते हुए गठबंधन सहयोगियों पर उसकी निर्भरता खत्म देगी.
एनडीए को 42 फीसदी वोट का अनुमान
देश के 19 राज्यों में 12,143 लोगों पर किए गए इस सर्वे के मुताबिक, अगर अभी चुनाव हुए तो एनडीए को 42% वोट मिलेंगे, वहीं यूपीए को 25%, जबकि अन्य के खाते में 33% वोट जाता दिखा. इस तरह यूपीए को 60 सीटें, जबकि अन्य को 123 सीटें मिलने का अनुमान है.
पीएम मोदी की लोकप्रियता बढ़ी
इस सर्वे में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता में भी खासा उछाल देखने को मिला. इस बार 65 फीसदी लोगों ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे पसंदीदा उम्मीदवार माना. मोदी की यह लोकप्रियता अगस्त महीने में हुए पिछले सर्वे के मुकाबले 15 फीसदी ज्यादा है. जबकि राहुल गांधी की अगर बात करें, तो सर्वे में शामिल लोगों में से केवल 10 फीसदी ने उन्हें अपनी पसंद बताया है, जबकि 4% लोगों ने सोनिया गांधी को पसंद किया है.
पीएम पद के लिए पसंदीदा उम्मीदवार के मामले में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह को 1 फीसदी और बीएसपी प्रमुख मायावती को भी 1 फीसदी लोगों ने पसंद किया. वहीं मोदी कैबिनेट में वित्तमंत्री अरुण जेटली को 2 फीसदी लोग, जबकि बीजेपी चीफ अमित शाह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 1 फीसदी ने अपनी पसंद बताया. इसके अलावा प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल और नीतीश कुमार को 2-2 फीसदी लोगों ने पीएम पद के लिए अपना पसंदीदा उम्मीदवार बताया.
पीएम मोदी के विकल्प के तौर पर ये नेता
उधर पीएम मोदी के खिलाफ तीसरे विकल्प के रूप में 11 फीसदी लोगों ने अरविंद केजरीवाल को अपनी पसंद माना है, जबकि 10 फीसदी लोग नीतीश कुमार की लीडरशिप में तीसरे मोर्चे का बेहतर भविष्य देखते हैं. वहीं पीएम मोदी के विकल्प के तौर पर 13 लोग नीतीश कुमार को अपनी पसंद मानते हैं, जबकि 10 फीसदी लोग केजरीवाल को मोदी के विकल्प के तौर पर देखते हैं.
पीएम मोदी और एनडीए सरकार का कामकाज
प्रधानमंत्री के रूप में पीएम मोदी के प्रदर्शन को 69 फीसदी लोगों ने अच्छा माना है, जिनमें 27 फीसदी लोगों की नजर में पीएम मोदी का प्रदर्शन बेहद अच्छा रहा. वहीं 19 फीसदी लोगों ने मोदी के काम को औसत करार दिया है, जबकि 3 फीसदी लोगों ने खराब और 6 फीसदी ने बेहद खराब करार दिया है. इसके साथ ही 71% लोगों ने एनडीए सरकार के काम की सराहना की है, वहीं सर्वे में शामिल 7% लोगों ने सरकार के कामकाज को खराब बताया है.
नोटबंदी पर भरपूर समर्थन
इस सर्वे में नोटबंदी के फैसले को भी लोगों का भरपूर समर्थन मिलता दिखा. सर्वे में शामिल 45 फीसदी लोगों ने माना है कि नोटबंदी से कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, जबकि 35 फीसदी ने इसे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा करार दिया. इस तरह 80 फीसद लोग प्रधानमंत्री के इस कदम के समर्थन में दिखे. हालांकि यहां 7 फीसदी लोगों को लगता है कि इससे अर्थव्यवस्था कमजोर होगी, जबकि 7 फीसदी लोग इसे विपक्ष को कमजोर करने की सिर्फ चुनावी चाल करार दे रहे हैं. वहीं नोटबंदी पर अमल के सवाल पर 19 फीसदी ने इसे बहुत खराब करार दिया, जबकि 36 फीसदी लोगों ने कहा कि यह और बेहतर हो सकता था. वहीं 37 फीसदी लोगों को लगता है नोटबंदी का फैसला बहुत अच्छे से अमल में लाया गया. सर्वे में शामिल 58 फीसदी लोगों ने इस फैसले से कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई, जबकि 34 फीसदी मानते हैं कि इससे कोई खास असर नहीं होने वाला है
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