संघ पर समाज का भरोसा, संघ के नित्य कार्यों के कारण हैं - डॉ. मोहनराव भागवत जी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 90 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर संग्रहणीय विशेषांकों का लोकार्पण
संघ पर भरोसा समाज को प्रचार के कारण नहीं है. भरोसा संघ के नित्य कार्यों के कारण हैं - डॉ. मोहनराव भागवत जी
नई दिल्ली (इंविसंके). संघ पर भरोसा समाज को प्रचार के कारण नहीं है. भरोसा संघ के नित्य कार्यों के कारण हैं. संघ की निष्ठा सत्य है. तभी इतने वर्षों में इसका अंत न होकर बल्कि निरंतर आगे बढ़ता ही रहा है और आज 90 वर्षों का सफर तय करके सबसे आगे है. संघ की जानकारी और जिज्ञासा को बढ़ाने वाला यह अंक भारत प्रकाशन (दिल्ली) लिमिटेड ने संघ के कार्यों को कालखण्डों में बाँट कर प्रकाशित किया है. जो एक सराहनीय कार्य है. उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 90 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर संग्रहणीय विशेषांकों के लोकार्पण कार्यक्रम में कहा.
उन्होंने कहा कि संघ की ये पद्धति नहीं रही है कि भारतवासियों तुम आश्वत हो जाओ कि तुम्हें कुछ नहीं करना है हम सारे कार्य कर देंगें. बल्कि, संघ की पद्धति रही है और है कि हम सब मिलकर कार्य करेंगे. सबको साथ लेकर चलना ही संघ का आचरण और कर्तव्य है.
संघ क्या है? इसके लिए प्रमाणिक जिज्ञासा उत्पन्न करना है तो स्वयंसेवकों को अपने आत्मीयता का अनुभव करना होगा. तभी हम संघ के बारे में समाज को बता सकते है.
आगे कहा कि संघ की लत जब किसी को एक बार लग जाती है तो वो ताउम्र नहीं छूटती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसके अंतःकरण में सामाजिक भावना मानवता के लिए बैठ जाती है. ऐसा इसलिए कि संघ एक विचार है. लेकिन, वो विचार क्या है? उसमें कुछ नया है क्या? अपने देश के उत्थान के लिए काम करेने वालों के मन में जो एक अलग-अलग विचार था या है, उन सभी को साथ लेकर चलना और उसके अन्दर से रचनात्मक विचार पर कार्य करना और उस पर चलना ही संघ का विचार है. वो रचनातमक विचार है क्या? वो विविधता में एकता सिखाने वाली हमारी सनातना काल से चलते आई सम्पदा (परंपरा) है.
आगे कहा कि जब हम अपने देश की विविधताओं में पाए जाने वाली एकता को जब विश्व को बताते है. तो वो कहते हैं, ये हिन्दू विचार है. इसलिए मैं मनाता हूँ कि इस विश्व में समस्याओं का जड़ विचारों का है. विचारों के समस्याओं का निदान बंधुत्व भाव से ही हो सकता है जिसे संघ 90 वर्षों से निरंतर करते चला आ रहा है.
संघ का कार्य हिन्दू समाज को अपने मूल जड़ से जोड़ने का भी है. संघ के कार्यों का दायरा संकुचित नहीं है. बल्कि, समूचे विश्व को बंधुत्व भाव से ओत-प्रोत करके समाज से जोड़ने का है.
हिन्दू समाज को अपने अन्दर के बुराईयों और अहंकार को त्यागना होगा. तभी हम विश्व और विश्व में मौजूद सभी धर्म-सम्प्रदायों को बंधुत्व भाव से जोड़ पाएंगे.
अंग्रेजों ने अपने निहित स्वार्थ के लिए हिन्दू शब्द की एक अलग परिभाषा गढ़वाई, जिसके कारण आज समाज के अन्दर अलग-अलग प्रकार के भ्रम पैदा हो चुकी है और होती भी है. जबकि, सभी भारतीय हिन्दू हैं. यह सोच और विचार का ही अंतर है.
आगे कहा कि आदमी क्या है? इसपर ध्यान देने से पहले खुद पर ध्यान देना होगा, खुद पर साधना करना होगा. ऐसा इसलिए, जब आदमी खुद पर ध्यान देगा, साधना करेगा तो वो खुद के अन्दर एक इंसान का निर्माण करेगा. तभी जाकर वो समाज का निर्माण कर सकता है और यही कार्य संघ करता है अपने शाखा के माध्यम से. संघ समाज निर्माण अर्थात व्यक्तित्व निर्माण का कार्य करता है. कार्य करने का तरीका और पद्धति भारतीय है.
संघ कुछ नहीं करता है, स्वयंसेवक सबकुछ करते हैं. इसलिए संघ के इतर और उतर भी लोगों को संघ को समझने का प्रयास करना पड़ता है. इसके समानान्तर दुनिया में कोई संगठन नहीं है जो इसके स्तर को छू सके. ये मैं तो मनाता हूँ, सभी स्वयंसेवक बन्धु भी मानते हैं. लेकिन दुनिया इसे मान भी रही है और समय-समय पर कह भी रही है.
उन्होंने कानपुर में हुए रेल दुर्घटना का जिक्र करते हुए बताया कि राहत कार्य के लिए सबसे पहले संघ के स्वयंसेवक ही पहुंचे और लोग भी पहुंचे थे. उसी दौरान ये सुनने में आया था कि वहां पर कुछ ऐसे भी तत्व पहुंचे हैं सेवा और सहायता के नाम पर दुर्घटना में मारे गए लोगों के कीमती सामानों की चोरी कर रहे हैं. तो रेलवे के वरिष्ठ अधिकारीयों ने तत्काल निर्णय लिया और वहां पर प्रशासन को आदेश दिया कि संघ के स्वयसेवकों को छोड़कर किसी भी संस्था के कार्यकर्ता या सहायता करने वालों को वहां पर रोक लगा दिया जाए. ऐसा क्यों हुआ? ऐसा इसलिए कि संघ के स्वयंसेवक ईमानदार और कर्तव्य निष्ठ होते हैं. यह बताता है कि समाज में संघ का प्रभाव कैसा है, संघ और संघ के स्वयंसेवकों के प्रति समाज में किस कदर विश्वास और किस प्रकार की छवि बनी हुई है?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 90 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर संग्रहणीय विशेषांको के लोकार्पण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत जी, विशिष्ट अतिथि डिक्की के संस्थापक व उद्योगपति मिलिंद काम्बले थे. इनके अलावा मंचासिन रहे - भारत प्रकाशन के एमडी व दिल्ली प्रान्त के सह संघचालक श्री आलोक कुमार, भारत प्रकाशन के समूह संपादक जगदीश उपासने, पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर और ऑर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर. कार्यक्रम में संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश भैय्याजी जोशी, सह सरकार्यवाह – डॉ. कृष्ण गोपाल जी, श्री भगैया जी, श्री सुरेश सोनी जी, उत्तर क्षेत्र के प्रचार प्रमुख श्री नरेंद्र ठाकुर जी, दिल्ली प्रान्त के संघचालक कुलभूषण आहूजा जी, दिल्ली प्रांत कार्यवाह भारत भूषण जी, दिल्ली प्रान्त प्रचार प्रमुख राजीव तुली जी के अलावा संघ के राष्ट्र, क्षेत्र, प्रान्त और विभाग स्तर के पदाधिकारी एवं स्वयंसेवक उपस्थित रहे. भारत सरकार के मौजूदा मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, रविशंकर प्रसाद के अलावा बीजेपी के तमाम सांसद भी मौजूद रहें.
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