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आपातकाल : कांग्रेस द्वारा संविधान की हत्या और न्यायपालिका को गुलाम बनानें की क्रूर मानसिकता को उजागर करती है

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आपातकाल : कांग्रेस द्वारा संविधान की हत्या और न्यायपालिका को गुलाम बनानें की क्रूर मानसिकता को उजागर करती है  ------- 21 जून को देश और दुनिया भर में करोड़ों लोगों ने ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ में हिस्सा लिया: पीएम मोदी विशाखापत्तनम के समुद्र तट पर तीन लाख लोगों ने एक साथ योग किया और दो हजार से अधिक आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक 108 सूर्य नमस्कार किए: पीएम मोदी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 64% से अधिक आबादी अब किसी न किसी सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ उठा रही है: पीएम मोदी आपातकाल लगाने वालों ने न केवल हमारे संविधान की हत्या की, बल्कि उनकी मंशा न्यायपालिका को भी अपना गुलाम बनाए रखने की थी: पीएम मोदी हमें उन सभी लोगों को हमेशा याद रखना चाहिए जिन्होंने आपातकाल का डटकर मुकाबला किया। यह हमें अपने संविधान को मजबूत और स्थायी बनाए रखने के लिए निरंतर सतर्क रहने की प्रेरणा देता है: पीएम मोदी बोडोलैंड आज देश में एक नए चेहरे, नई पहचान के साथ खड़ा है। बोडोलैंड अब देश के खेल मानचित्र पर अपनी चमक बिखेर रहा है: पीएम मोदी मेघालय की महिलाएं अब स्वयं सहायता समू...

गहलोत झूठ फैलाना बंद करें - अरविन्द सिसोदिया bjp rajasthan kota

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गहलोत झूठ फैलाना बंद करें ,भजनलाल शर्मा अपना कार्यकाल पूरा करेंगे,भाजपा में कांग्रेस जैसी सिरफुटव्वल नहीं होती - अरविन्द सिसोदिया  कोटा 28 जून। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सहसंयोजक मीडिया संपर्क विभाग एवं राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल के शिक्षा प्रोत्साहन प्रन्यासी अरविन्द सिसोदिया नें जारी प्रतिक्रिया में कहा है कि " पूर्व मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत सुर्खियों में बने रहने के लिए झूठ गढ़ रहे हैँ, वे निश्चिंत रहें भाजपा की भजनलाल शर्मा सरकार निर्विघ्न अपना कार्यकाल पूरा करेगी, भाजपा में कांग्रेस जैसे व्यक्तिवादी सत्ता संघर्ष को कोई स्थान नहीं है। " उन्होंने कहा कि " कुर्सी युद्ध कांग्रेस की संस्कृति है, अशोक गहलोत और सचिन पायलट कुर्सीयुद्ध का राजस्थान प्रत्यक्षदर्शी है। कांग्रेस दशकों से केंद्र और राज्योंमें गुटबाजी और व्यक्तिवादी संघर्ष में फंसी हुई है। आज भी वह जहां है वहाँ उनका आपसी संघर्ष जगजाहिर है, चाहे वह कर्नाटक हो या हिमाचल प्रदेश हो। कांग्रेस की पहचान ही सिरफुटव्वल पार्टी के रूप में है।"   उन्होंने कहा कि " भाजपा एक अनुशासित राजनीतिक दल ह...

राजनाथ सिंह नें चीन की कुटिल चाल और पाकिस्तान के छल को विफल किया

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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नें चीन में हुई SCO  देशों की बैठक में चीन की कुटिल चाल और पाकिस्तान के छल को विफल कर, भारत के आतंकवाद विरोधी दृष्टिकोंण को निडरता से उठा कर, पूरे बिश्व को चोंका दिया है। इसी के साथ भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत किसी भी महाशक्ति से नहीं डरता है। भारत नें बहुत स्पष्टता से कहा आतंकवाद को परोक्ष अपरोक्ष समर्थन कतई नहीं दिया जा सकता। भारत के साझा घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं करने से SCO की बैठक का साझा बयान पारित नहीं हुआ। अर्थात भारत नें चीन की धरती से न केबल पाकिस्तान को बेनक़ाब किया बल्कि, चीन को भी आतंकवाद समर्थक देश साबित कर दिया है। यह भारत की बड़ी कूटनीतिक कार्यवाही साबित हुई है। --------- सामने बैठे थे पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और राजनाथ सिंह सुनाते चले गए... चीन में 'आतंकिस्तान' को सुनाई खरी-खरी चीन के किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में, राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वालों को परि...

सावधान भारत : अमेरिका मोदी विरोधी प्लान में लिप्त है

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मोदीजी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी बिना किसी विशेष बात के अमेरिका नें वीजा बैन कर दिया था...जबकि गोधरा कांड कांग्रेस नें करवाया था और जब वे प्रधानमंत्री बन गये तब यह वैन खोला था.... इसलिए यह याद रहें कि आतंकवाद परस्त ताकतों के साथ अमेरिका के रिश्ते कितने मज़बूत हैँ। वे आतंकवाद विरोधी होनें का मात्र नाटक करती है। वास्तविकता यही है कि अमेरिका ब्रिटेन गठजोड़ ही आतंकवाद और बिभिन्न देशों में अस्थिरता के जनक हैँ। ये अपनी उत्पादन क्षमता को बनाये रखने के लिए दूसरे देशों की उत्पादन क्षमता प्रभावित करते हैँ। *मोदी और मुसद्दिक* *ईरान 1951 और भारत 2024, क्या इनमें कोई समानता है...?* क्या आपने कभी सोचा है कि ईरानी लोग अमेरिका को "शैतानों की भूमि" क्यों कहते हैं...? कभी ईरान के तेल पर ब्रिटेन का वर्चस्व था। ईरान के तेल उत्पादन का 84% हिस्सा इंग्लैंड को जाता था, और केवल 16% ही ईरान को मिलता था। 1951 में एक सच्चे देशभक्त मोहम्मद मुसद्दिक ईरान के प्रधानमंत्री बने। वे नहीं चाहते थे कि ईरान की तेल संपदा पर विदेशी कंपनियों का कब्जा रहे। 15 मार्च 1951 को मुसद्दिक ने ईरानी संसद में...