दिल्ली बदनाम हुई .., खूब बदनाम हुई .., कांग्रेस तेरे राज में ......



- अरविन्द सीसोदिया 
यह अंग्रेजी साल का अंतिम दिन है , मगर इसका कोई अर्थ नहीं है क्यों कि हम बजट में साल १ अप्रेल से प्रारंभ करते हैं और हमारा अपना वर्ष चैत्र सुदी एकम से प्रारंभ होता है !! खै सन के रूपमें हम इसे विदा कर रहे हैं और अखबार साल के किस्से छाप  रहे हैं कौन कितना बदनाम हुआ या कौन कितना मशहूर हुआ !! कौन खास रहा और खासियत से गिर गया !! घोटालों गिनाने की जरुरत नहीं है..आप सब जानते हैं रोज चर्चा में हैं ....
दिल्ली इसलिए भी बदनाम हुई की प्रधानमंत्री तो रिवोट प्रधानमंत्री थे ही मगर ...भारत के राष्ट्रपति से करवाई गईं दो नियुक्तियां भी सरकार के नैतिक पतन के बखेड़े  की लिस्ट को लंबा करते हैं ..!
में राजनीति कि कुछ समझ रखता हूँ .., 
मेरी दृष्टि में दिल्ली का नैतिक पतन अवश्य इस साल में सन में सबसे विचारणीय  प्रश्न  है!
* इटली के लोग भारतीय नैतिकताओं को नहीं समझ सकते..ठीक हे  !!
* ...मगर जिम्मेवार पदों पर तो भारतीय ही हैं...? 
* वे क्यों यह नहीं समझते या समझाते की इतिहास सब कुछ याद रखता है !!
* प्रणव  दा या मनमोहन सिंह को यह याद क्यों नहीं है कि बोफोर्स घोटाले के बाद आज तक कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है ????
---- देश में २०१० में जो महंगाई और भ्रष्टाचार के हालत हैं उन्होंने दिल्ली को शर्मसार किया है !!
---- दिल्ली के शर्मसार होने का मतलब यही है की केंद्र की सरकार की लगाम थामें सोनिया जी ...!!!! प्रधानमंत्री के पद पर आसीन मनमोहन सिंह , सम्पूर्ण केन्द्रीय केबीनेट...., सभी ने भ्रष्टाचार और महंगाई के मामलें में खूब डुबोया !
---- कांग्रेस के मुख्यमंत्रीयों ने भी खूब डुबाया !!


बची खुझी इज्जत नियुक्तियों में भी डुबाई...... , 
राष्ट्रपती से हुई दो नियुक्तियां ......
* भ्रष्ट अफसर ईसाई पी जे थामस  जो २- जी घोटाले में भी सम्बद्ध है को केन्द्रीय सतर्कता अयोग़ (सी वी सी )संभालाया 
केन्द्रीय सर्तकता आयुक्त (सीवीसी) पी.जे . थॉमस की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज पर असंतुष्टि जताते हुए सीवीसी और केन्द्र सरकार को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्यों न थॉमस की नियुक्ति रद्द कर दी जाए। कोर्ट ने इस बारे में 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी 2011 को होगी।
भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) संभालाया 
१-  सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी.आर. कृष्ण अय्यर ने सोमवार को उठाया था और मानवाधिकार आयोग के मौजूदा अध्यक्ष बालाकृष्णन के खिलाफ भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों की छानबीन की मांग की थी। केरल उच्च न्यायालय के वकील इस बात को लेकर अचरज में हैं कि पेशे से वकील श्रीनिजिन ने इतने बड़े पैमाने पर संपत्ति कैसे जुटा ली।
----वर्ष 1980 में सर्वोच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हो चुके पूर्व न्यायाधीश अय्यर ने कहा, "पूर्व प्रधान न्यायाधीश के दामाद, उनकी पुत्री और रिश्तेदारों के बारे में रिपोर्ट में जो बताया गया है, उनकी जांच होनी है।"पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि बालाकृष्णन मामले की जांच तीन न्यायाधीशों की जांच समिति से कराई जानी चाहिए।उल्लेखनीय है कि जनवरी 2007 से मई 2010 के बीच बालाकृष्णन भारत के प्रधान न्यायाधीश थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया।
२- इससे पूर्व ए राजा द्वारा धमकाए गये न्यायाधीस का मामला अनसुना करने का उन पर आरोप है |
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एचएल गोखले ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस केजी बालाकृष्णन की उस बात का खंडन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस रघुपति का कोई ख़त नहीं मिला जिसमें पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा का ज़िक्र रहा हो। जस्टिस गोखले ने एक बयान में कहा कि मद्रास हाईकोर्ट का चीफ़ जस्टिस होने के नाते उन्होंने ही जस्टिस रघुपति का ख़त जस्टिस बालाकृष्णन को भेजा था जिसमें राजा का ज़िक्र था और जस्टिस बालाकृष्णन की ओर से उन्हें ख़त पाने की जानकारी भी मिल गई थी।

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