भाजपा नहीं कांग्रेस देश से माफ़ी मांगे...
- अरविन्द सीसोदिया
विपक्ष के लोग इटली से आये हुए नहीं जो कांग्रेस पार्टी और सरकार उसका इतना अपमान करनें में लगे है ! विपक्ष के लोग इस देश कि अनादी संस्कृती के वंशज हैं जरा यह ध्यान रहे , सरकार और कांग्रेस अपने व्यवहार को लोकतान्त्रिक बनाये , आश्चर्यजन लूट हुई है हिसाब तो देना ही पडेगा ..! इसमें झुन्झलानें से काम थोड़े ही चलता है !
मुझे कई बार देश के महामहिम मीडिया पर तरस आता है कि उसकी वह वीरता कहाँ खो गई जो देश के स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान मुखर हो कर राष्ट्र स्वाभिमान के लिए प्रज्वलित थी ! वह रचनात्मक विश्लेष्ण , विचार विनिमय सब कुछ गिरवी थोड़े ही रखा जाता है ! हमने नैतिक मूल्यों पर हो रहे आक्रमण पर ठोस प्रहार क्यों नहीं करने चाहिए ..? इसलिए हम कोंन नजर अंदाज करें कि कुछ मीडिया कर्मी इस में शामिल हैं ? मीडिया पर जिस तरह से पूंजीवादियों के सिकंजा कसा है उसे तोड़ कर बाहर आना होगा , मालिक लोग राष्ट्रहित , सत्य और नैतिकता से खिलवाड़ नहीं कर पायें इस हेतु मीडिया को ही सशक्त होना होगा ! आज मीडिया को यह पूछना ही चहिये की केंद्र सरकार नैतिकता और मर्यादा कि किसा पायदान पर कड़ी है ? २ जी स्पेक्ट्रम को दबाने के लिए यदुरप्पा पर आरोप लगादो ..! बस हो गया सब खत्म ?
१- २जी स्पेक्ट्रम का मामला , आर्थिक तो है ही , राष्ट्रीय धन की लूट भी है ! मगर सच उससे कडवा है वह यह है कि संसद से बाहरी ताकतें जो बाजार कहलाती हैं जिन्हें हम सम्मान से उद्योगपति या व्यापारी कहते हैं ..! वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल के गठन को प्रभावित कर रहे थे ..? मंत्रीमंडल गठन प्रधानमंत्री का स्वअधिकार है वह उनकी इच्छा के विरुद्ध मंत्रियों को थोपा जा रहा था ..? ये विषय लोक लेखा समिति के क्षैत्र से बहार का विषय है , इस पर कैसे जांच करेगी ? कांग्रेस का तर्क पहले दिन से ही गलत है कि यह मात्र घोटाला है ..! सच यह है कि आपने एक विभाग का सौदा कर अपना समर्थन हांसिल किया है को नैतिक अपराध है ? इस सौदे के कारण ही उस दल का मंत्री प्रधानमंत्री तक को हडकाता हुआ लिखित पत्र लिख देता है ! विधि मंत्रालय की सलाह नहीं मानता है ! इतना महत्वपूर्ण मामला मंत्री मंडलीय समिति के सामने ही नहीं जाता ! यह घोटाला सीधे तौर पर समर्थन के बदले पेमेंट का है !!! यह सवाल सम्पूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कलंक है और प्रश्नचिह है ? जिसको हाल करना है ? जिसे वही फोरम विचार कर सकता है जो विस्तृत विषयों पर व्हिचार के लिए सक्षम हो ..! वह जे पी सी से अधिक उपयुक्त क्या हो सकती है !
२- प्रणवदा लोकतंत्र के गलियारों में वर्षों से हैं मगर वे अपने प्रान्त पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को कभी खड़ा नहीं कर सके ! लोग तो यह भी कहते हैं की वे तभी चुनाव जीतते हैं जब वामपंथी उन पर कृपा करते हैं ! वे अपना अस्तित्व बनाये रखनें के लिए ख़ैर अब वे कह रहे हैं की सरकार जे पी सी की माँग पर बहस करवाने के लिए विशेष सत्र बुलाने तैयार है ? ये क्या मजाक है , जब संसद चल रही थी तब आपने सदन में यह प्रस्ताव रखते और बहस करवा लेते | आप न तो विपक्ष से बात कर रहे न कोई ठीक जांच प्रक्रिया अपना रहे , न ही ठीक से उत्तर दे रहे ! जब भी कोई आपसे चोर कहता तो आप सिर्फ यह कोशिस करते हैं कि हम जैसी बीजेपी है ? इससे अपराध माफ़ थोड़े ही हो गया ! आपने एक जाच बिठाई उसमें उसे एनडीए के शासन काल से इस लिए बिठाया की विपक्ष दब जाये ..! ये क्या तमासा है ! आपमें दम है तो पूर्व संचार मंत्री सुखराम के समय से जांच बिठाते जिसने कहा था की मेरे पास वरामद पैसा कांग्रेस का है ! जो करोड़ों रूपये के साथ पकडे गये थे !
*** सवाल यह है कि आप बार - बार विपक्ष को दबाने का अपराध कर रहे हैं ! पहली क्षमा आपको इस बात के लिए मांगनी चाहिए ! दूसरी क्षमा इस बात के लिए मांगनी चाहिए की जो बात विपक्ष से करनी है सदन से करनी है वह आप लोग बाहरी मंचों पर करते हैं , जिसका सीधा सीधा अर्थ यह है कि देश के साथ आपका संवाद कुछ है और विपक्ष के साथ आपका संवाद है नहीं .. अर्थात यह भी एक प्रकार कि देश से धोका धडी है ! इसे मक्कारी भी कहा जा सकता है !
- समाचार चैनल ‘सीएनएन-आईबीएन’ के एक पुरस्कार वितरण समारोह में पहुंचे मुखर्जी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, "वे (विपक्ष) यदि बहस सुनिश्चित करें, तो मैं बजट सत्र से संसद का विशेष सत्र बुलाने को तैयार हूं।" कुल मिला कर आपका चल चरित्र और चेहरा भिन्न भिन्न है , इस लिए आप ही गुमराह करने के घेरे में खड़े हैं ! प्रणव दा का यह बयान भी गुमराह करने वाला है !
विपक्ष के लोग इटली से आये हुए नहीं जो कांग्रेस पार्टी और सरकार उसका इतना अपमान करनें में लगे है ! विपक्ष के लोग इस देश कि अनादी संस्कृती के वंशज हैं जरा यह ध्यान रहे , सरकार और कांग्रेस अपने व्यवहार को लोकतान्त्रिक बनाये , आश्चर्यजन लूट हुई है हिसाब तो देना ही पडेगा ..! इसमें झुन्झलानें से काम थोड़े ही चलता है !
मुझे कई बार देश के महामहिम मीडिया पर तरस आता है कि उसकी वह वीरता कहाँ खो गई जो देश के स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान मुखर हो कर राष्ट्र स्वाभिमान के लिए प्रज्वलित थी ! वह रचनात्मक विश्लेष्ण , विचार विनिमय सब कुछ गिरवी थोड़े ही रखा जाता है ! हमने नैतिक मूल्यों पर हो रहे आक्रमण पर ठोस प्रहार क्यों नहीं करने चाहिए ..? इसलिए हम कोंन नजर अंदाज करें कि कुछ मीडिया कर्मी इस में शामिल हैं ? मीडिया पर जिस तरह से पूंजीवादियों के सिकंजा कसा है उसे तोड़ कर बाहर आना होगा , मालिक लोग राष्ट्रहित , सत्य और नैतिकता से खिलवाड़ नहीं कर पायें इस हेतु मीडिया को ही सशक्त होना होगा ! आज मीडिया को यह पूछना ही चहिये की केंद्र सरकार नैतिकता और मर्यादा कि किसा पायदान पर कड़ी है ? २ जी स्पेक्ट्रम को दबाने के लिए यदुरप्पा पर आरोप लगादो ..! बस हो गया सब खत्म ?
१- २जी स्पेक्ट्रम का मामला , आर्थिक तो है ही , राष्ट्रीय धन की लूट भी है ! मगर सच उससे कडवा है वह यह है कि संसद से बाहरी ताकतें जो बाजार कहलाती हैं जिन्हें हम सम्मान से उद्योगपति या व्यापारी कहते हैं ..! वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल के गठन को प्रभावित कर रहे थे ..? मंत्रीमंडल गठन प्रधानमंत्री का स्वअधिकार है वह उनकी इच्छा के विरुद्ध मंत्रियों को थोपा जा रहा था ..? ये विषय लोक लेखा समिति के क्षैत्र से बहार का विषय है , इस पर कैसे जांच करेगी ? कांग्रेस का तर्क पहले दिन से ही गलत है कि यह मात्र घोटाला है ..! सच यह है कि आपने एक विभाग का सौदा कर अपना समर्थन हांसिल किया है को नैतिक अपराध है ? इस सौदे के कारण ही उस दल का मंत्री प्रधानमंत्री तक को हडकाता हुआ लिखित पत्र लिख देता है ! विधि मंत्रालय की सलाह नहीं मानता है ! इतना महत्वपूर्ण मामला मंत्री मंडलीय समिति के सामने ही नहीं जाता ! यह घोटाला सीधे तौर पर समर्थन के बदले पेमेंट का है !!! यह सवाल सम्पूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कलंक है और प्रश्नचिह है ? जिसको हाल करना है ? जिसे वही फोरम विचार कर सकता है जो विस्तृत विषयों पर व्हिचार के लिए सक्षम हो ..! वह जे पी सी से अधिक उपयुक्त क्या हो सकती है !
२- प्रणवदा लोकतंत्र के गलियारों में वर्षों से हैं मगर वे अपने प्रान्त पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को कभी खड़ा नहीं कर सके ! लोग तो यह भी कहते हैं की वे तभी चुनाव जीतते हैं जब वामपंथी उन पर कृपा करते हैं ! वे अपना अस्तित्व बनाये रखनें के लिए ख़ैर अब वे कह रहे हैं की सरकार जे पी सी की माँग पर बहस करवाने के लिए विशेष सत्र बुलाने तैयार है ? ये क्या मजाक है , जब संसद चल रही थी तब आपने सदन में यह प्रस्ताव रखते और बहस करवा लेते | आप न तो विपक्ष से बात कर रहे न कोई ठीक जांच प्रक्रिया अपना रहे , न ही ठीक से उत्तर दे रहे ! जब भी कोई आपसे चोर कहता तो आप सिर्फ यह कोशिस करते हैं कि हम जैसी बीजेपी है ? इससे अपराध माफ़ थोड़े ही हो गया ! आपने एक जाच बिठाई उसमें उसे एनडीए के शासन काल से इस लिए बिठाया की विपक्ष दब जाये ..! ये क्या तमासा है ! आपमें दम है तो पूर्व संचार मंत्री सुखराम के समय से जांच बिठाते जिसने कहा था की मेरे पास वरामद पैसा कांग्रेस का है ! जो करोड़ों रूपये के साथ पकडे गये थे !
*** सवाल यह है कि आप बार - बार विपक्ष को दबाने का अपराध कर रहे हैं ! पहली क्षमा आपको इस बात के लिए मांगनी चाहिए ! दूसरी क्षमा इस बात के लिए मांगनी चाहिए की जो बात विपक्ष से करनी है सदन से करनी है वह आप लोग बाहरी मंचों पर करते हैं , जिसका सीधा सीधा अर्थ यह है कि देश के साथ आपका संवाद कुछ है और विपक्ष के साथ आपका संवाद है नहीं .. अर्थात यह भी एक प्रकार कि देश से धोका धडी है ! इसे मक्कारी भी कहा जा सकता है !
- समाचार चैनल ‘सीएनएन-आईबीएन’ के एक पुरस्कार वितरण समारोह में पहुंचे मुखर्जी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, "वे (विपक्ष) यदि बहस सुनिश्चित करें, तो मैं बजट सत्र से संसद का विशेष सत्र बुलाने को तैयार हूं।" कुल मिला कर आपका चल चरित्र और चेहरा भिन्न भिन्न है , इस लिए आप ही गुमराह करने के घेरे में खड़े हैं ! प्रणव दा का यह बयान भी गुमराह करने वाला है !
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