कोयला आवंटन में गड़बड़ी हुई : सुप्रीम कोर्ट




 

 

 

 

अब प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह को ही बताना है कि यह घोटाला क्यों और किसके लिए ...................

CBI ने कोर्ट से कहा, कोयला आवंटन में गड़बड़ी हुई

एबीपी न्यूज़ ब्यूरो Tuesday, 12 March 2013
नई दिल्ली: कोयला घोटाले को लेकर सीबीआई ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि खदानों के आवंटन का कोई आधार नहीं था और कोयला आवंटन में गड़बड़ी हुई है.

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोयला ब्लॉक्स के आवंटन के वक़्त कंपनियों की सही तरह से जांच भी नहीं की गई.

इसके बाद कोर्ट ने सीबीआई से कहा है कि वो इस केस की जांच रिपोर्ट सरकार को नहीं बल्कि सीधे कोर्ट को दे. इसके बाद सरकार की ओर से इस पर आपत्ति भी जताई गई है.

सीबीआई की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा है कि आखिर क्यों छोटी कंपनियों को कोयला के खदान आवंटित किए गए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब बड़ी संख्या में बड़ी कंपनियों ने भी आवेदन दिया था तो कैसे जिसे चाहा उसे ब्लॉक्स आवंटित कर दिए गए.

ग़ौरतलब है कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि साल 2004 से 2009 के बीच कोयला आवंटन में भारी गड़बड़ी हुई है और इसमें सरकारी खजाने को करीब 1.86 लाख करोड़ का नुकसान हुआ था.

क्‍या है कोयला घोटाला?

संसद में पिछले साल अगस्त में नीलामी के बिना कोयला खदानें बांटने पर सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई. रिपोर्ट में कहा गया कि 2004 से 2009 के बीच कोयला खदानों के ठेके देने में अनियमिताएं बरती गईं. बेहद सस्ती कीमतों पर बगैर नीलामी के खदानों से कोयला निकालने के ठेके निजी कंपनियों को दिए गए. इससे सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है. सीएजी ने 25 कंपनियों के नाम का जिक्र अपनी रिपोर्ट में किया है. जिन कंपनियों के नाम रिपोर्ट में दिए गए हैं उनमें एस्सार पावर, हिंडाल्को, टाटा स्टील, टाटा पावर और जिंदल स्टील एंड पावर मुख्‍य हैं.

सरकार ने सीएजी रिपोर्ट से असहमति जताई तो कांग्रेस के प्रवक्ता दो कदम आगे बढ़कर सीएजी के कामकाज पर ही सवाल उठाने लगे. कांग्रेस के प्रवक्‍ता मनीष तिवारी के मुताबिक, कैग को अपनी रिपोर्ट में जीरो लगाने की आदत से बाज़ आना चाहिए.कोयला घोटाले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम भी उछल रहा है. नवंबर 2006 से मई 2009 के बीच देश में कोई कोयला मंत्री नहीं था. प्रधानमंत्री खुद कोयला मंत्री का काम देख रहे थे.

रिपोर्ट में जिस पांच साल की बात की गई है उसमें तीन साल तक मनमोहन सिंह खुद कोयला मंत्री थे. उनके कार्यकाल में भी कोयला खदानों के ठेके दिए गए, वो भी बिना नीलामी किए.

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कोयला घोटाला: 

केंद्र सरकार से SC ने पूछा, किस आधार पर हुए आवंटन

आज तक वेब ब्यूरो | नई दिल्ली, 12 मार्च 2013 |
सुप्रीम कोर्ट ने कोयला ब्लॉक आवंटन के केंद्र सरकार के फैसले को मंगलवार को मनमाना करार देते हुए कहा कि इसके लिए जो प्रक्रियाएं अपनाई गईं, वे प्रथम दृष्टया कानून-सम्मत नहीं लगतीं. अगर सही प्रक्रियाओं का अनुपालन नहीं किया गया है तो ये आवंटन रद्द किए जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भी निर्देश दिया कि वह इस मामले की जांच से संबंधित सूचना 'राजनीतिक कार्यकारियों' (केंद्र सरकार) से साझा न करे. गौरतलब है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए उचित प्रक्रिया न अपनाए जाने के कारण सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

न्यायमूर्ति आर. एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'यदि केंद्र सरकार ने कोयला ब्लॉक आवंटन के आवेदकों के साथ दिशा-निर्देशों या प्रक्रियाओं का अनुपालन नहीं किया है और ए, बी, सी को आवंटन कर दिया गया, लेकिन डी, ई, एफ को इससे दूर रखा गया तो पूरा आवंटन रद्द होगा.'

कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले वह कोयला ब्लॉक आवंटन की वैधता की जांच करेगा और फिर सीबीआई यह देखेगा कि क्या कोयला ब्लॉक के आवंटन में किसी तरह की गड़बड़ी हुई है? कोर्ट ने अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा तथा गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया. याचिका में कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द करने की मांग की गई थी. केंद्र सरकार का बचाव करते हुए हालांकि महान्यायवादी जी. ई. वाहनवती ने कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन में सभी नियमों का अनुपालन किया गया और केंद्र सरकार बड़े पैमाने पर आवंटन रद्द करने के पक्ष में नहीं है.

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