गरीबों की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी की : कांग्रेस राज में असलियत



गरीबों की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी की : कांग्रेस राज में असलियत

उचित मूल्य की दुकानों पर राशन के गेहूं के लिए भटक रहे हैं लोग
Bhaskar News Network | Nov 25, 2013,
भास्कर न्यूज. बारां
जिलेभर में उचित मूल्य दुकानों पर मिलने वाले गेंहू के लिए उपभोक्ता सप्ताह में भी लोगों को भटकना पड़ रहा है। कई जगह गेहूं वितरण का आदेश नहीं होने की बात कही जा रही है, तो कई जगह पूरा गेहूं नहीं पहुंचने का हवाला देकर लाभार्थियों को वापस लौटाया जा रहा है।
उपभोक्ता सप्ताह शुरू होने से लाभार्थी राशन की दुकानों पर पहुंच रहे हैं, लेकिन उनको गेहूं नहीं मिल रहा है। राशन दुकानदारों का कहना है कि सिर्फ बीपीएल, स्टेट बीपीएल और अंत्योदय श्रेणी के उपभोक्ताओं को अनाज वितरित करना है, लेकिन पर्याप्त स्टाक नहीं होने से परेशानी आ रही है। कई उपभोक्ता दुकानों से निराश होकर लौट रहे हैं। पिछले महीने खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने पर रसद विभाग ने सभी उचित मूल्य दुकानों पर गेहूं का पर्याप्त स्टॉक पहुंचाने का दावा किया था। अधिनियम के तहत लाभार्थियों के राशन कार्डों पर सील लगाने एवं कर्मचारियों के समक्ष वितरण का निर्णय वापस ले लिया गया। इस दौरान कई दुकानों पर गेहूं की खेप पहुंची, लेकिन अधिनियम के तहत वितरण का आदेश नहीं मिल सका। वहीं पहले से वितरण का लाभ ले रहे बीपीएल और अंत्योदय श्रेणी के परिवारों को भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है।
५५३ दुकानों से होता है वितरण
जिलेभर में ५५३ उचित मूल्य दुकानों से राशन का वितरण किया जाता है। इन पर एक लाख ९ हजार ७२२ बीपीएल, स्टेट बीपीएल और अंत्योदय श्रेणी के परिवारों को गेहूं का वितरण किया जाता रहा है। वितरण के लिए हर माह करीब ४४०० मेट्रिक टन गेंहू की सप्लाई जिले में की जाती रही है। इस गेहंू का वितरण चयनित श्रेणियों को निर्धारित दर पर किया जाता है।
ढ़ाई लाख परिवारों को मिलना था लाभ
अक्टूबर के महीने में खाद्य सुरक्षा अधिनियनियम लागू होने पर दो लाख ५० हजार परिवारों को इसमें शामिल किया गया। इस दौरान प्रत्येक माह के अंतिम सप्ताह में उपभोक्ता सप्ताह मनाने की घोषणा की गई थी। उपभोक्ताओं को वितरण के लिए ५४०० मेट्रिक टन गेहूं की आवश्यकता बताई गई थी। बाद में अधिनियम के तहत चयनित परिवारों को गेहूं वितरण पर अस्थाई रोक लगा दी गई। इसके चलते लाभार्थियों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।

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