सिब्बल ने गरीबों का उड़ाया मजाक, 'दाल के साथ सब्जी खाने से बढ़ी महंगाई'
सिब्बल ने गरीबों का उड़ाया मजाक, 'दाल के साथ सब्जी खाने से बढ़ी महंगाई'
Fri, 22 Nov 2013
नई दिल्ली। जहां एक ओर देश कर जनता बढ़ती सब्जियों की कीमतों से त्रस्त है, वहीं सरकार लोगों के जले पर नमक छिड़कने का काम करने लगी है। कांग्रेस सरकार अपनी मुसीबतें कम करने की जगह बढ़ाती जा रही है। देश के कानून मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने एक बेतुके बयान में कहा कि गरीब सब्जियां खाने लगा है इसलिए महंगाई बढ़ गई है।
ग्वालियर में कपिल सिब्बल ने बढ़ती महंगाई के सवाल पर संवाददाताओं से कहा कि देश के गरीब अब दाल के साथ सब्जी भी खाने लगे हैं जिससे महंगाई बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि पहले गरीब वर्ग दाल रोटी खाता था और अब उसके साथ सब्जी भी खाने लगा है। इससे एक तरफ मांग बढ़ी है और उत्पादन में कमी आई है। इस कारण ही महंगाई बढ़ी है।
इससे पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ महीने पहले इलाहाबाद में कहा था कि गरीबी एक मानसिक अवस्था है। जिसे लेकर उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी थी। कांग्रेस नेता राज बब्बर और रशीद मसूद भी महंगाई को लेकर शर्मनाक बयान देकर फंस चुके हैं। राज बब्बर ने 12 रुपए में और मसूद ने पांच रुपए में भरपेट खाना मिलने की बात कही थी।
कांग्रेसराज न होता तो भारत विश्व में धनवान होता
हालांकि, कपिल सिब्बल जबलपुर में इस बात से मुकर गए। यहां उन्होंने कहा कि महंगाई एक गंभीर मुद्दा है। सब्जी व फलों के दाम बढ़े हैं, अनाज के दाम कम बढ़े हैं। उन्होंने महंगाई के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया। सिब्बल ने कहा कि बढ़ती कीमतों की जिम्मेदार राज्य सरकार भी है। मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर ध्यान देते हुए उत्पादन बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। उन्हें केन्द्र को कोसने का हक नहीं है क्योंकि अनाज, सब्जी राज्यों में पैदा होती है।
सिब्बल ने यह बयान सब्जियों के दाम बढ़ने के कारणों का जवाब देते हुए कहा। जिस पर विवाद खड़ा हो गया है। गौरतबल है कि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बयान दिया था कि लोग 15 रुपये की पानी की बोतल तो खरीद ही लेते हैं लेकिन अगर अनाज की कीमत में एक रुपये बढ़ा दिया जाता है तो लोगों को समस्या आने लगती है। उनके इस बयान को भाजपा नेताओं ने आड़े हाथों लिया था। यह ध्यान देने योग्य है कि इन दिनों दिल्ली में प्याज की बढ़ी कीमतों के कारण दिल्ली की कांग्रेस सरकार मुश्किल में हैं।
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