नरेंद्र मोदी से सीखने लायक पांच बातें





ये हैं नरेंद्र मोदी से सीखने लायक पांच बातें, 
विरोधी भी करते हैं इसकी तारीफ

1-आलोचनाओं से नहीं घबराएं
मोदी की कामयाबी के सफर में आलोचनाओं को झेलने का उनका गुण काफी मददगार रहा है। विपक्षियों के अलावा खुद भाजपा के भीतर भी कई बार उनकी आलोचना हुई, मगर इससे घबराए बिना वह अपना काम करते रहे। पिछले साल सितंबर में जब उन्‍हें भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार बनाया गया तो उनकी नाकामी की बात कहने वाले लोगों की कमी नहीं थी। कई लोगों ने कहा था कि वह मुसलमानों के लिए अभिशाप की तरह हैं तो वहीं कई ने यह भी कहा कि उनकी वजह से भाजपा को सहयोगी दल नहीं मिलेंगे और पार्टी मुसीबतों में घिर जाएगी।
एक्‍सपर्ट्स और चुनावी विश्‍लेषकों ने भी मोदी की वजह से भाजपा को नुकसान पहुंचने की बात कही थी। मोदी को जब भाजपा के चुनावी अभियान का प्रमुख बनाया गया था तो कई विश्‍लेषकों ने कहा था कि भाजपा इस चुनाव में महज 160 सीटों पर सिमट जाएगी। लेकिन मोदी ने इन सब बातों से खुद को दूर रखा और सारा ध्‍यान मकसद पर केंद्रित रखा। इसी का नतीजा था कि कमान संभालने के तुरंत बाद उन्‍होंने पार्टी के लिए 272+ का मिशन बनाया। शुरुआत में इसका भी माखौल उड़ाया गया और कहा गया कि भाजपा को इतनी सीटें नहीं मिल पाएंगी।

2-तीर विरोधियों के, निशाना मोदी का
मोदी ने इस चुनाव के दौरान यह भी दिखा दिया कि किस तरह आप अपने विरोधियों द्वारा चलाए गए शब्‍दों के तीर का इस्‍तेमाल अपने फायदे के लिए कर सकते हैं। इस पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने अपने विरोधियों के मुंह से निकले शब्‍दों, मुहावरों और कैचलाइंस का इस्‍तेमाल अपने मन मुताबिक किया। इसकी एक बानगी प्रियंका गांधी का नीच राजनीति वाला बयान है। प्रियंका ने जब मोदी को नीच राजनीति करने का दोषी ठहराया तो मोदी ने झट से उसे अपनी जाति से जोड़ दिया। जब राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी अपने करीबियों को टॉफी बांटते हैं तो मोदी ने उन ट्रॉफियों का जिक्र करना शुरू कर दिया, जो उन्‍हें उनके शानदार काम के लिए मिली थीं। इसके अलावा जब केजरीवाल ने गुजरात की आलोचना करनी शुरू की तो मोदी ने AK-49 जुमले का इस्‍तेमाल कर जवाबी हमला किया।
मोदी ने इस चुनाव प्रचार के दौरान शब्‍दों का भी खूब बढ़ि‍या तरीके से इस्‍तेमाल किया। कांग्रेस के घोटालों के लिए उन्‍होंने तो बाकायदा एबीसीडी गढ़ डाली। यानी ए फॉर आदर्श, बी फॉर बोफोर्स, सी फॉर कोल और डी फॉर दामाद।

3-ना उम्र की सीमा हो
63 साल की उम्र में मोदी ने जिस तरह बिना थके, बिना रुके धुंआधार प्रचार किया, उसके जरिए उन्‍होंने दिखा दिया कि जज्‍बे के सामने उम्र बाधक नहीं बन सकती। मोदी ने देशभर में करीब छह हजार रैलियों और सभाओं को संबोधित किया और तीन लाख किलोमीटर का सफर तय किया। इस तरह प्रचार के मामले में विरोधी पार्टियों के कई युवा नेता उनके सामने ढेर हो गए।

4-नई उम्‍मीद की आस
मोदी की एक खासियत यह रही कि उन्‍होंने हर तबके की बात की और उनके भीतर आशा का संचार किया। नौकरियों की बात कह जहां उन्‍होंने युवाओं के भीतर आशा जगाई वहीं मिडिल क्‍लास को महंगाई से राहत देने और 'अच्‍छे दिन आने वाले हैं' के जरिए प्रभावित किया। वाराणसी में उन्‍होंने गंगा को साफ करने की वकालत की तो फैजाबाद में हिंदुत्‍व के झंडाबरदारों को भी निराश नहीं किया। इन सबके बीच वह गुजरात को नहीं भूले और वडोदरा में गुजराती अस्मिता की बात करते दिखे।

5-जो बीत गई सो बात गई
पीछे छूट गई बातों पर अफसोस करने से कुछ हासिल नहीं होता और जिंदगी का मकसद हमेशा आगे बढ़ना होना चाहिए। मोदी ने शायद इसी फलसफे का पालन किया। कम से कम सार्वजनिक तौर पर तो उन्‍होंने अपने अतीत की बात से परहेज ही किया। इस बात के दो उदाहरण साफ तौर पर दिखाई दिए। पहला, जब-जब विरोधियों ने गुजरात दंगों के मामले पर उन्‍हें घेरने की कोशिश की, मोदी कमोबेश चुपचाप ही रहे। जब भी उन्‍होंने सफाई देने की कोशिश की, सीधे-सीधे कुछ नहीं कहा और शब्‍दजाल का इस्‍तेमाल किया।
दूसरा, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के लगातार हमलों के बावजूद मोदी ने अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में कुछ भी बोलने से परहेज किया। जब वक्‍त आया तो वडोदरा से नामांकन भरने के दौरान उन्‍होंने आधिकारिक तौर पर जशोदाबेन को अपनी पत्‍नी के तौर पर स्‍वीकार किया।

टिप्पणियाँ

  1. तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या
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    तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या
    - महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma)
    तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या
    तारक में छवि, प्राणों में स्मृति
    पलकों में नीरव पद की गति
    लघु उर में पुलकों की संसृति
    भर लाई हूँ तेरी चंचल
    और करूँ जग में संचय क्या!
    तेरा मुख सहास अरुणोदय
    परछाई रजनी विषादमय
    वह जागृति वह नींद स्वप्नमय
    खेलखेल थकथक सोने दे
    मैं समझूँगी सृष्टि प्रलय क्या!
    तेरा अधर विचुंबित प्याला
    तेरी ही स्मित मिश्रित हाला,
    तेरा ही मानस मधुशाला
    फिर पूछूँ क्या मेरे साकी
    देते हो मधुमय विषमय क्या!
    रोमरोम में नंदन पुलकित
    साँससाँस में जीवन शतशत
    स्वप्न स्वप्न में विश्व अपरिचित
    मुझमें नित बनते मिटते प्रिय
    स्वर्ग मुझे क्या निष्क्रिय लय क्या!
    हारूँ तो खोऊँ अपनापन
    पाऊँ प्रियतम में निर्वासन
    जीत बनूँ तेरा ही बंधन
    भर लाऊँ सीपी में सागर
    प्रिय मेरी अब हार विजय क्या!
    चित्रित तू मैं हूँ रेखाक्रम
    मधुर राग तू मैं स्वर संगम
    तू असीम मैं सीमा का भ्रम
    काया छाया में रहस्यमय
    प्रेयसि प्रियतम का अभिनय क्या!
    तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या

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