लूट की मानसिकता : जाते-जाते UPA गिफ्ट


राजनीति में पहुँच  कर , सफल हो कर , धन वैभव की चकाचैंध से बच कर, सेवा करने का कौशल सोनिया गांधी के नृेतृत्व वाली सरकारों में देखने को ही नहीं मिला , जब देख तब लूट की मानसिकता ही सामने आई। जाते जाते भी अनैतिक नियुक्तियों और गैर जरूरी लोलुपता से इन्होने अपनी ही साख को बट्टा लगाया ।


जाते-जाते UPA ने अपने चहेतों को गिफ्ट में दिए बंगले और प्रमोशन


एसपीएस पन्नू/कुमार गौरव [Edited By: मधुरेन्द्र सिन्हा] | सौजन्‍य: Mail Today | नई दिल्‍ली, 22 मई 2014
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यूपीए सरकार का वक्त खत्म हो गया लेकिन यह गठबंधन जाते-जाते कई अनैतिक काम कर गया. सभी तरह की प्रशासनिक शिष्टता और राजनीतिक शालीनता को दरकिनार करते हुए कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार अपने वफादारों को सभी तरह के उपहार देती जा रही है. इनमें बड़े-बडे सरकारी बंगले, नियुक्तियां और तबादले तक हैं. उन्होंने किसी तरह के प्रतिबंध का पालन नहीं किया, चाहे वह चुनाव आचार संहिता हो या चुनाव में हार. अपने खास लोगों को पुरस्कृत करने का उसने कोई भी मौका नहीं छोड़ा.
सरकारी दस्तावेजों से पता चलता है कि जब 16 मई को लोकसभा के परिणाम आ रहे थे, तो पी. चिदंबरम के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय 148 IRS अफसरों के तबादले की सूची जारी कर रहा था. ये अफसर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हैं.

कस्टम और सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट के अन्य पांच अफसरों ने जो केन्द्रीय मंत्रियों के प्राइवेट सेक्रेटरी के शक्तिशाली पद पर थे, यूपीए की हार के आसार देखते ही बढ़िया जगहों में अपनी पोस्टिंग करवा ली. उन्हें पता चल गया था कि उनके आकाओं की अब छुट्टी होने वाली है.

19 मई को वित्त मंत्रालय ने अन्य 11 आईआरएस अफसरों का मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद के महत्वपूर्ण जगहों पर तबादला कर दिया. उस समय तक यह पता चल गया था कि नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति से मिलने वाले हैं.

20 मई को जब मोदी संसद के सेंट्रल हॉल से राष्ट्रपति से मिलने उनके निवास की ओर जा रहे थे तो पास ही में वित्त मंत्रालय कस्टम्स और सेंट्रल एक्साइज के 104 अफसरों के प्रमोशन के ऑर्डर जारी कर रहा था.

अन्य मंत्रालयों में नियुक्तियां भी होती रहीं. सूचना प्रसारण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव का पद राघवेन्द्र सिंह को दे दिया गया. 16 मई को ही सफदरजंग असपताल में डॉक्टर राजपाल को मेडिकल सुपरिटेंडेंट बना दिया गया.

कई अफसरों का मानना है कि वित्त मंत्रालय को इन अफसरों के तबादले या प्रमोशन का मामला नई सरकार पर ही छोड़ देना चाहिए था. उनका मानना है कि तबादले की नीति में बदलाव की जरूरत है. कुछ अफसरों को बड़े शहरों में खूब मौका मिल रहा है. छोटे शहरों में वे जाते ही नहीं. नई सरकार इस पर काम कर सकती थी.

इतना ही नहीं अश्विन पंडया को सेंट्रल वाटर कमीशन का चेयरमैन तथा भारत सरकार का पदेन सचिव भी बना दिया गया. इसी तरह भगवती प्रसाद पांडेय को वाणिज्य मंत्रालय का अतिरिक्त सचिव बना दिया गया. जनरल दलबीर सिंह को थल सेना का प्रमुख तो बनाया ही गया, देवेंद्र कुमार पाठक को BSF का डायरेक्टर जनरल बना दिया गया है. जम्मू-कश्मीर के डीजीपी अशोक प्रसाद को इंटेलिजेंस ब्यूरो का स्पेशल डायरेक्टर बना दिया गया. वह भी चुनाव परिणाम आने के बाद.

बंगलों का उपहार
यूपीए सरकार ने जाते-जाते अपने वफादारों को बंगले भी दिए. 13 मई को कैबिनेट कमिटी ने असम के सीएम तरुण गोगोई को 5 जनपथ का बंगला दे दिया. नंदन नीलकेणि को अपने सरकारी बंगले में रहने की इजाजत दे दी गई. जाने-माने वकील केटीएस तुलसी को टाइप 8 बंगला मोती लाल नेहरू मार्ग पर आवंटित कर दिया गया. वे रॉबर्ट वाड्रा के मामले की पैरवी कर रहे थे. राज्य सभा के एमपी मुरली देवडा़ को 2 मोतीलाल नेहरू मार्ग का शानदार बंगला दे दिया गया. इस साल फरवरी में वे राज्य सभा में आए थे.

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