गौरवशाली इतिहास को नयी पीढी को बताना राष्ट्रीय कर्तव्य - परम पूजनीय सरसंघचालक माननीय भागवत जी
समाज को अपना सत्व पहचानने का आग्रह - मोहनराव जी भागवत
‘राष्ट्रीय तीर्थ-प्रताप गौरव केंद्र, उदयपुर’ का लोकार्पण
गौरवशाली इतिहास को सहेज कर नयी पीढी को बताना यह राष्ट्रीय कर्तव्य - परम पूजनीय सरसंघचालक
कार्यक्रम में परम पूजनीय सरसंघचालक माननीय मोहनराव जी भागवत ने स्वामी विवेकानन्द के बताये दृष्टांत से अपना उद्बोधन प्रारम्भ करते हुए समाज को अपना सत्व पहचानने का आग्रह किया। उन्होने कहा किसी भी देश को आगे बढने के लिए अपना अतीत जानना आवश्यक है, गौरवशाली अतीत ही नयी पीढी को आगे बढने की प्रेरणा देता है। किसी भी समाज के लिए अपने गौरवशाली इतिहास को सहेज कर नयी पीढी को बताना यह राष्ट्रीय कर्तव्य है। प्रताप गौरव केन्द्र का निर्माण इस उद्देश्य पूर्ति का अंश मात्र है ।
इस प्रकार के प्रयासों से ही देश का स्वाभिमान जाग्रत होकर समाज की उन्नति सम्भव है । सत्व के बल पर ही श्री राम एवं लक्ष्मण ने त्रिलोकजयी रावण को परास्त कर दिया महाराणा प्रताप का जीवन भी सत्व के बल पर संघर्ष की प्रेरणा देने वाला जीवन है, महाराणा प्रताप ने अकबर को न केवल युद्ध में परास्त किया अपितु शान्तिकाल में 12 वर्षों तक चावण्ड़ को राजधानी बनाकर सुशासन स्थापित कर स्वराज्य एवं सुराज्य भी चलाया। उनके शासनकाल पर शोध कर सीख लेने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ मे प्रताप गौरव केन्द्र न्यास के सदस्य श्री ओमप्रकाश जी ने अब तक हुए निर्माण की जानकारी देते हुए बताया की अब तक लगभग 40 करोड़ की लागत से हुए निर्माण कार्यों के क्रम में 57 फिट ऊंचाई की महाराणा प्रताप की प्रतिमा, लाईट एण्ड साउण्ड के साथ अखण्ड भारत के दर्शन, मेवाड के इतिहास की घटनाओं को लाईव मेकेनिकल मॉडल दीर्घाओं के माध्यम से दर्शाना, दो फिल्म थियेटर, भारत माता मन्दिर एवं ध्यान कक्ष के निर्माण की जानकारी देते हुए शेष बचे 60 फीसदी कार्यां में तन-मन-धन से सहयोगी होने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने प्रताप गौरव केन्द्र के विकास एवं विस्तार के कार्यों में राज्य सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया और कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार मिलकर इस दिशा में बेहतर योगदान देंगे। आने वाला समय में यह एक ऐसा राष्ट्रीय तीर्थ बन जाएगा और लेकसिटी की अन्तर्राष्ट्रीय पहचान में ऐतिहासिक तीर्थ होने का एक और गौरव जुड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि मन्दिरों, लोक देवताओं आदि आस्था स्थलों, इतिहास और परम्पराओं की जानकारी न हो तो समाज अधूरा रह जाता है। मुख्यमंत्री ने महाराणा प्रताप के बारे में वर्ल्ड क्लास राष्ट्रीय तीर्थ निर्माण को अचंभा बताते हुए इसके निर्माण में जुड़े सभी लोगों को बधाई दी और कहा कि शांति के साथ इतना भव्य काम करने वाली पूरी टीम की मेहनत अकल्पनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक ऐसा काम हुआ है कि जिससे आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी। उन्होंने कहा कि प्रताप सभी के लिए हैं और जरूरत है कि हम सभी प्रताप के जीवन और गाथाओं से प्रेरणा पाएं और उन्हें आचरण में लाएं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि केन्द्रिय पर्यटन एवं सस्कृति मन्त्री श्री महेश गिरि ने 120 करोड़ रुपये की लागत से हेरिटेज सर्किट निर्माण की घोषणा मंच से की।
कार्यक्रम को श्री गुलाबचन्द जी कटारिया ने भी सम्बोधित किया, संचालन गोरव केन्द्र के महामन्त्री श्री मदनमोहन टाक ने एवं आभार प्रकटीकरण केन्द्र के अध्यक्ष डॉ के.एस. गुप्ता ने किया, काव्यगीत श्री रवि बोहरा ने गाया।
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