दो धरनों में दो कथित आत्महत्यायें : जांच कराओ राजनैतिक हत्याओं की आशंका
* धारा 306 के तहत किसी व्यक्ति के लिए ऐसे हालात पैदा कर दबाव डालना या मजबूर करना, जिससे वह आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाए। यह गैर जमानती धारा है। इसके तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 10 साल तक की सजा जुर्माना हो सकता है। साथ ही इस केस की सुनवाई केवल सेशन कोर्ट या उससे ऊपर की अदालत में हो सकती है।
अपराध के लिए उकसाने , खुदकुशी के लिए उकसाने , आपराधिक षड्यंत्र सहित अनेकों अपराधों का युग्म महसूस हो रहा हे इस लिए उच्चस्तरीय जाँच हो । जाँच अधिकारी इस स्तर का हो जो कांग्रेस राजकुमार और केजरीवाल से भय नहीं खाये ।
कोई विवाहिता सुसराल में आत्महत्या कर लेती हे तो पुलिस सुसराल पक्ष के अनगिनित लोगों को अपराधी मान कर मुकदमा दर्ज कर लेती है । फिर धरना आयोजकों को कैसे बक्सा जा सकता है । प्रत्येक सह भागी की जिम्मेवारी उनकी हे ।
** जांच कराओ राजनैतिक हत्याओं की आशंका है:- दिल्ली में दो धरनों में दो कथित आत्म हत्यायें !! मामले को तूल देनें और सरकार पर अत्याधिक दवाब बनानें के मकसद से !! यह मीडिया मनेजमेंट का तरीका है। मगर इसमें आपराधिकता स्पष्टतौर पर झलक रही हे। यदि कोई भी षड़यंत्र है तो आत्महत्या नहीं हत्या का मामला बनता है। - अरविन्द सिसोदिया, कोटा, राजस्थान ।
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सच्चाई :
*क्या सैनिक आत्महत्या करते है?*🔴*रामकिशन की कहानी*
1. रामकिशन 2004 में सेना से सेवानिवृत्त हो कर स्थानीय राजनीती में उतरे और कांग्रेस नेताओं से नज़दीकियों की बदौलत सरपंच बने।
2. 2004 से कांग्रेस शासन में उनकी पेंशन मात्र 13000 रूपये थी जो की मोदी सरकार में OROP के लागू होने के बाद 28000 हो गयी थी।
3. कांग्रेस से नजदीकी की बदौलत ही उन्हें सन् 2005 और 2008 में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया, उन्हें ये पुरस्कार ODF (Open Defection Free) यानि गांव के हर घर में शौचालय बनवाने और खुले में शौच को पूर्ण रूप से बंद करने के कारण मिला।
4. सन् 2015 में सर्कार के पास एक शिकायत आयी की राम किशन द्वारा किये गए दावे झूठे हैं और ऐसे में उन से पुरस्कार वापस लिया जाना चाहिए।
5. सर्कार ने जब जांच की तो पाया कि महज़ 15% घरों में ही शौचालय बनाये गए थे, जिबकी दावा 100% घरों में शौचालय बनाने का किया गया था जो की सिर्फ कागज़ों पर था हकीकत में नहीं।
6. जांच आगे बढ़ी तो पाया गया रामकिशन द्वारा फ़र्ज़ी बिलों का भुगतान किया गया है, इस पर सन् 2016 में सर्कार ने रामकिशन को आरोपी बनाया।
7. रामकिशन अब सर्कार को गुमराह करने, सरकारी खजाने को नुकसान पहुचाने, धोखाधड़ी करने, कूट रचित दस्तावेज़ तैयार करने के आरोपी बन चुके थे, ऐसे में उनका बचना लगभग असंभव था?
8. रामकिशन ने ये घोटाला अकेले नहीं किया था बल्कि अपने बाकि के राजनितिक साथियों के साथ मिल कर इस घोटाले को अंजाम दिया था। जब उन सब को लगा की अब हम सब फंस जायेंगे तो उन्होंने रामकिशन को ये सुझाव दिया कि तुम ज़हर खाने का नाटक करो, हम सब तुम्हे बचा लेंगे (जैसा गजेंद्र को आश्वासन दिया गया था) लेकिन वे नेता और उनके हाईकमान रामकिशन को ख़त्म कर उस केस को बंद करना चाहते थे जिसकी वजह से उनकी गर्दन फंस गयी थी?
_क्या कोई सैनिक आत्महत्या कर सकता है? कौन थे वो लोग जो रामकिशन के साथ थे और फ़ोन पर पीछे से रामकिशन को बता रहे थे की क्या बोलना है? वो लोग किस राजनैतिक पार्टी के सदस्य या नेता है? क्या वो सब भी इस घोटाले में शामिल थे? तो क्या रामकिशन की हत्या में बड़े नेता भी शामिल हैं? क्या इन्ही बड़े नेताओं ने अपना नाम बचाने के लिए रामकिशन की बलि दे दी और उसे मौत के घाट उतार दिया?_
_एक सवाल ही मन में क्या कोई सैनिक आत्महत्या कर सकता है? *सैनिक तो अंतिम दम तक लड़ने वाले होते है।* फिर भी अगर कोई सैनिक आत्महत्या किया तो वो असली सैनिक नही होगा या फिर कोई राज है।_
और एक सच्चाई :----
1. रामकिशन ग्रेवाल ने सिर्फ 6 साल सेना की नौकरी की और निकल गया, फिर 24 साल DCS सर्विस की । 6 साल की नौकरी पर पेंशन के हकदार नही होते। फिर भी OROP में जो प्रॉब्लम थी वो उसके बैंक खाते की प्रॉब्लम थी ।
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2. रामकिशन बामला गाँव का सरपंच था। गाँव के शौचालय बनाने के नाम पर इसने लाखों रूपये का घोटाला किया। इसके खिलाफ जांच बैठायी गयी है ।
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3. इसने 31 Oct को रक्षा मंत्री जी को पत्र लिखा और एक दिन बाद ही तथाकथित आत्महत्या कर ली ।
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4. पोलिटिकल स्क्रिप्ट के तहत, उसके खाने में celphos नामक जहर मिलाया गया और मौत को आत्महत्या करार कर दी गई, और फिर इस पर राजनीती शुरू कर दी गई !
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5. बैंक खाते में कुछ टेक्निकल प्रोब्लेेम की वजह से इसको OROP के 28000 की जगह 23000 रु /महीने मिल रहा था ... कोई आदमी यह मुद्दे पर आत्महत्या नहीं कर सकता । जो लोग उनकी मौत पर राजनीती कर रहे है, वहीँ लोगों ने उसका प्री प्लान्ड मर्डर किया होगा !
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आमआदमीपार्टी और कोंग्रेस राजनीति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, पहले एक किसान गजेंद्र को भी इसी तरह मरवा दिया था और अब इसको भी मरवा दिया ।
और रही बात OROP की, तो 40 साल से पेंडिंग OROP सुविधा को सिर्फ मोदी सरकार ने ही लागू किया है । ये जो OROP का 28000 या 23000 आ रहा है वो सिर्फ मोदी सरकार ने लागू किया है , वरना पहले किसी भी सरकार ने OROP के नाम पर 1 रु भी नही दिया । आए बड़े राजनीती करने !
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1. रामकिशन ग्रेवाल ने सिर्फ 6 साल सेना की नौकरी की और निकल गया, फिर 24 साल DCS सर्विस की । 6 साल की नौकरी पर पेंशन के हकदार नही होते। फिर भी OROP में जो प्रॉब्लम थी वो उसके बैंक खाते की प्रॉब्लम थी ।
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2. रामकिशन बामला गाँव का सरपंच था। गाँव के शौचालय बनाने के नाम पर इसने लाखों रूपये का घोटाला किया। इसके खिलाफ जांच बैठायी गयी है ।
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3. इसने 31 Oct को रक्षा मंत्री जी को पत्र लिखा और एक दिन बाद ही तथाकथित आत्महत्या कर ली ।
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4. पोलिटिकल स्क्रिप्ट के तहत, उसके खाने में celphos नामक जहर मिलाया गया और मौत को आत्महत्या करार कर दी गई, और फिर इस पर राजनीती शुरू कर दी गई !
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5. जो लोग उनकी मौत पर राजनीती कर रहे है, वहीँ लोगों ने उसका प्री प्लान्ड मर्डर किया होगा !
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आम आदमी पार्टी और कोंग्रेस राजनीति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, पहले एक किसान गजेंद्र सिंह को भी इसी तरह मरवा दिया था और अब इसको भी मरवा दिया ।
और रही बात OROP की, तो 40 साल से पेंडिंग OROP सुविधा को सिर्फ मोदी सरकार ने ही लागू किया है । ये जो OROP का 28000 या 23000 आ रहा है वो सिर्फ मोदी सरकार ने लागू किया है , वरना पहले किसी भी सरकार ने OROP के नाम पर 1 रु भी नही दिया ।
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किसान गजेंद्र सिंह के परिजनों का सीएम केजरीवाल पर हमला दिल्ली में आप की रैली में खुदकुशी करने वाले किसान गजेंद्र सिंह के परिवार ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया है...
किसान गजेंद्र सिंह के परिजनों का सीएम केजरीवाल पर हमला
Posted on: November 04, 2016 IBNKHABAR.COM
नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की रैली में खुदकुशी करने वाले किसान गजेंद्र सिंह के परिवार ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया है। गजेंद्र सिंह के भाई विजेंद्र सिंह ने कहा है कि रामकिशन ग्रेवाल को एक करोड़ की आर्थिक मदद का दिल्ली सरकार ने ऐलान किया लेकिन गजेंद्र सिंह के परिवार को दिल्ली सरकार ने आर्थिक मदद नहीं की, जो पार्टी की रैली के दौरान ही पेड़ पर फंदे पर झूल गया था।
अप्रैल 2015 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर ही आप की किसान रैली में पार्टी नेता मंच से भाषण दे रहे थे जब मंच से कुछ ही दूरी पर किसान गजेंद्र सिंह ने पेड़ पर चढ़कर आत्महत्या कर ली थी। गजेंद्र ने आत्महत्या करने से पहले इसकी धमकी भी दी थी लेकिन किसी ने उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की। अब दिल्ली सरकार के रवैये को लेकर गजेंद्र के परिवार का दर्द बाहर आया है।
दिल्ली के जंतर मंतर पर रिटायर्ड फौजी रामकिशन ने बीते मंगलवार को जहर खाकर खुदकुशी कर ली है। वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर एक पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल ने मंगलवार रात आत्महत्या कर ली। रामकिशन सोमवार को साथियों के साथ छठे और सातवें वेतन आयोग के मुताबिक बढ़ी हुई पेंशन की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे।
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