परमवीर, मेजर शैतान सिंह

परमवीर, मेजर शैतान सिंह

राजस्थान के जोधपुर के बनासर में जन्मे मेजर शैतान सिंह भाटी वर्ष 1949 में भारतीय सेना की तेरहवीं कुमाऊं रेजिमेंट में नियुक्त हुए थे

वर्ष 1962 के सिनो-भारत युद्ध के दौरान मेजर शैतान सिंह को कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी की कमान सौंपी गई थी जो युद्ध के दौरान लद्दाख के चुसुल में तैनात थी

केवल 123 जवानों की कंपनी पर 18 नवंबर की सुबह लगभग 1500 से अधिक चीनी सैनिकों ने जोरदार हमला बोला

जमा देने वाली सर्द के बीच पुरानी बंदूकों एवं मुट्ठी भर गोलियों के साथ मोर्चे पर डटे शैतान सिंह को वरीय अधिकारियों द्वारा उनकी पोस्ट छोड़ पीछे हटने को कहा गया

हालांकि विपरीत परिस्थितियों में शैतान सिंह और 120 बहादुर जवानों की टुकड़ी ने अंतिम सांस तक मातृभू की रक्षा की सौंगन्ध ली और अंतिम जवान अंतिम गोली तक संघर्ष करते रहे

इस भीषण संघर्ष में अंतिम सांस तक मेजर शैतान सिंह अपने जवानों की अगुवाई करते रहे, इतिहास में इस युद्ध को द लास्ट स्टैंड के रूप में जाना गया, जिसकी गौरव गाथा अमर है

अदम्य साहस एवं कर्तव्य की पुकार से परे जाकर मां भारती पर सर्वस्व न्योछावर करने वाले शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया

मां भारती के ऐसे महान सपूत की पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन 🌼🙏

 *मेरी संस्कृति.... मेरा देश....मेरा अभिमान 🇮🇳*

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

God’s Creation and Our Existence - Arvind Sisodia

Sanatan thought, festivals and celebrations

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

कविता - संघर्ष और परिवर्तन

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

My Gov केदियों से रक्षा बंधन, करबा चौथ और होली की भाई दौज पर मिलनी

सनातन अर्थात हमेशा नयापन