राजस्थान :- दिसम्बर में भयंकर राजनैतिक गर्मी रहने वाली है - अरविन्द सिसौदिया


 राजस्थान में दिसम्बर में भयंकर राजनैतिक गर्मी रहने वाली है - अरविन्द सिसौदिया

राजस्थान में कांग्रेस राजकुमार की भारत जोडा यात्रा का प्रवेश, राजस्थान की अशोक गहलोत नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के चार साल की वर्षगांठ और भाजपा राजस्थान की जन आक्रोश रैली की टाईमिंग लगभग एक साथ है। इससे राजस्थान में राजनैतिक वातावरण में भीषण गर्मी रहने वाली है। आरोप प्रत्यारोप और राजनैतिक भ्रामकताओं के बीच राजस्थान में दिसम्बर 2022 जबरदस्त राजनैतिक सरगर्मी के रहने वाले है।

1- गहलोत मंत्रीमण्डल की चौथी वर्षगांठ - राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी पारी 17 दिस्मम्बर 2018 ये प्रारम्भ की थी ।
2- गहलोत सरकार की विफलताओं के खिलॉफ भाजपा की जनआक्रोश रैलीयां दिसम्बर के प्रथम सप्ताह से प्रारम्भ होकर 17 दिसम्बर तक
3- राहुल गांधी की भारत जोडा यात्रा राजस्थान में दिसम्बर के पहले सप्ताह में प्रवेश करेगी और करीब करीब 18/20 दिन रहेगी। अर्थात 17 दिसम्बर 2022 के दिन राहुल गांधी का राजस्थान में रहने की पूरी पूरी संभावना है। फिलहाल माना जा रहा है कि 3 से 20 दिसंबर के बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में रहेगी।


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Rajasthan: 2023 के लिए BJP का मेगा प्लान, 200 सीटों पर जन आक्रोश यात्रा का ऐलान
BJP आक्रोश यात्रा के जरिए 1100 मंडलों, 52 हजार मतदान बूथों को करेगी कवर

Rajasthan: 

 2023 के लिए BJP का मेगा प्लान, 200 सीटों पर जन आक्रोश यात्रा का ऐलान

बीजेपी (BJP) की चुनावी रणनीति में यात्राओं का पुराना इतिहास रहा है. राजस्थान में पार्टी चाहे विपक्ष में बैठी हो या सत्ता में, यात्राओं के जरिए जनता की नब्ज टटोलने और कार्यकर्ताओं एक्टिव मोड में लाने के लिए पार्टी इस फॉर्मूले पर काम करती रही है. इसी फार्मूले के तहत बीजेपी ने मिशन 2023 के लिए 200 विधानसभा सीटों पर 'जनआक्रोश यात्रा' निकालने का मेगा प्लॉन तैयार किया है.


बीजेपी के इस मेगा प्लान की रणनीति विधानसभा क्षेत्रों में पहले से स्थापित नेताओं को दूर रखा जाएगा. विधायकों और पूर्व विधायकों की भूमिका समिति रहेंगी. साथ ही प्रदेश के किसी भी बड़े नेता के चहेरे को प्रचार-प्रसार में शामिल नहीं किया जाएगा.
यात्रा के दौरान पार्टी न केवल निचले स्तर तक जनता की नब्ज टटोलेगी, बल्कि नई लीडरशिप डेवलमेंट का काम भी करेगी. नवंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर दिसंबर तक चलने वाली इन यात्राओं का यह फॉर्मूला पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से दिया गया है. पार्टी आक्रोश रैली के इस फॉर्मूले को उन राज्यों में भी काम में ले रही है, जहां बीजेपी की सरकार नहीं है. राजस्थान में इस पूरे मेगा प्लान को तैयार करने से लेकर लागू करने का काम प्रदेश संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर की देखरेख में किया जा रहा है. इन यात्राओं में खर्च का पार्टी ने भारी भरकम बजट भी रखा है.

हर सीट के लिए यात्रा प्रभारी नियुक्त
पार्टी के इस मेगा प्लान के तहत हर विधानसभा सीट पर अलग-अलग रणनीति तैयार की है. हर सीट के लिए यात्रा प्रभारी नियुक्त किया गया है. साथ ही हर सीट पर होने वाले सम्मेलनों की अलग-अलग रूपरेखा तैयार की गई है. एक सीट पर पांच से सात सम्मेलन किए जाएंगे. जहां जैसी जातिगत समीकरण होंगे वैसे ही सम्मेलन किए जाएंगे. लेकिन युवाओं और महिलाओं के सम्मेलन और चर्चा को अनिवार्य बिन्दु रखा गया है.

हर सीट के लिए अलग-अलग 200 यात्रा रथ भी तैयार की गए है. स्थानीय मुद्दों को जोड़ते हुए इन रथों की सजावट भी की जा रही है. भाषण देने वालों से लेकर यात्रा का नेतृत्व करने वालों के अलग से नाम तय किए गए है. आक्रोश यात्रा का रथ एक विधानसभा में दस दिनों तक एक निर्वाचन क्षेत्र में घूमेगा.

यह यात्रा सभी 1100 मंडलों और 52 हजार मतदान बूथों को कवर करेगी. हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के जिलाध्यक्ष, वर्तमान विधायक, पूर्व बीजेपी प्रत्याशी, पदाधिकारी, विभिन्न मोर्चों के सदस्य आदि शामिल होंगे.

पार्टी की तयशुदा रणनीति के हिसाब से आक्रोश रैली 2023 के विधानसभा चुनाव का आगाज माना जा रहा है। रथ में विशेष रूप से ​शिकायती पेटी लगाई जाएगी, जिसमें जनता से सरकार के खिलाफ शिकायत लिखित में ली जाएगी. यह डेटा सरकार के खिलाफ हर विधानसभावार मुद्दे तैयार करने में पार्टी काम में लेगी, वहीं प्रदेश सरकार के खिलाफ जनता में चर्चित मामलों की जानकारी भी जुटाएगी. जो कार्यकर्ता या नेता रथ यात्रा में बेहतर काम करेंगे, उनकी क्षेत्र में टिकट की दावेदारी भी मजबूत मानी जाएगी. इस दौरान पार्टी क्षेत्र में माहौल, समीकरण, मुद्दों, संभावित प्रत्याशी की छवि आदि की जानकारी भी लेगी. इससे पार्टी को एक साल बाद टिकट बंटवारे का होमवर्क अभी से तैयार मिलेगा.

बीजेपी ने इस रथ यात्रा के लिए वातानुकूलित बसों को रथ के रूप में तैयार किया जाएगा. इनमें करीब 10 लोगों के बैठने, माइक, सजावट की व्यवस्था भी रहेगी. सभी रथों पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरों, केंद्र सरकार की योजनाओं और बीजेपी की नीतियों के पोस्टर चस्पा होंगे. यह रथ बहुत से स्थानों पर रथ रुकेंगे, वहां छोटी-छोटी सभाएं भी होंगी. एक तय रूट चार्ट भी बनाया जा रहा है. सभाओं में लोगों को प्रदेश की कांग्रेस सरकार की विफलताओं, बिगड़ती कानून व्यवस्था और बेरोजगारी के बारे में बताया जाएगा.

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'भारत जोड़ो यात्रा' के राजस्थान पहुंचने से पहले राज्य में सियासी पारा चढ़ा

राजस्थान में सर्दी भले ही धीरे-धीरे जोर पकड़ रही हो, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व वाली 'भारत जोड़ो यात्रा' के पहुंचने से पहले राज्य का सियासी पारा चढ़ गया है।

राजस्थान में सर्दी भले ही धीरे-धीरे जोर पकड़ रही हो, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व वाली 'भारत जोड़ो यात्रा' के पहुंचने से पहले राज्य का सियासी पारा चढ़ गया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमे के विधायकों ने जहां कांग्रेस आलाकमान के सामने 'लंबित मुद्दों' को हल करने की मांग उठाई है। वहीं, गुर्जर समुदाय के नेता विजय सिंह बैंसला ने अपनी पुरानी मांगों को लेकर यात्रा का विरोध करने की धमकी दी है। उधर, मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान राज्य सरकार के खिलाफ 'जन आक्रोश रैली' निकालने की तैयारियों में जुटी है।

कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' तय कार्यक्रम के अनुसार तीन दिसंबर को राजस्थान में दाखिल होगी। यह पदयात्रा मध्य प्रदेश से राजस्थान के झालावाड़ में प्रवेश करेगी। राज्य में लगभग 20 दिन के दौरान 'भारत जोड़ो यात्रा' झालावाड़, कोटा, सवाई माधोपुर, दौसा और अलवर से होकर गुजरेगी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि यात्रा 18 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी, जिनमें से 12 कांग्रेस के पास हैं। इनमें से कई विधानसभा क्षेत्र गुर्जर और मीणा समुदाय बाहुल्य हैं।

कांग्रेस ने यात्रा की तैयारियों को लेकर राज्य व जिला स्तर की समन्वय समितियां बनाई हैं। जयपुर में एक नियंत्रण कक्ष का संचालन भी शुरू कर दिया गया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विश्वास जताया है कि राजस्थान में यात्रा सफल और ऐतिहासिक साबित होगी।

हालांकि, इस यात्रा से पहले राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के नेतृत्व वाले खेमों में खींचतान फिर तेज हो गई है। सत्ता और संगठन में 'भागीदारी' की लगातार वकालत कर रहे पायलट के वफादारों का मानना है कि यह यात्रा उनकी मांगों को लेकर दबाव बनाने का निर्णायक अवसर हो सकती है। इसलिए दोनों गुटों के बीच कुछ दिनों की शांति के बाद एक बार फिर राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है।

वहीं, अजय माकन द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को हाल ही में भेजा गया पत्र भी एक अहम घटनाक्रम है, जिसमें उन्होंने खुद को प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी से मुक्त किए जाने का आग्रह किया है। खरगे को लिखे पत्र में माकन ने जयपुर में 25 सितंबर को हुए उस घटनाक्रम का हवाला दिया है, जब गहलोत समर्थक विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की आधिकारिक बैठक में शामिल होने के बजाय संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी।

इस बैठक के बाद गहलोत समर्थक 90 से अधिक विधायकों ने पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि, उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए थे। पार्टी सूत्रों ने कहा कि माकन इस बात से नाखुश हैं कि उक्त घटनाक्रम में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी और राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ नोटिस जारी करने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

सूत्रों के मुताबिक, 'विधायकों की समानांतर बैठक आयोजित करने के कदम को पार्टी ने अनुशासनहीनता माना है। इसे लेकर धारीवाल, जोशी और राठौड़ के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की गई है।'

राजस्थान अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के अध्यक्ष और पायलट के वफादार विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने माकन के पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'माकन को दुख हुआ, क्योंकि अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जारी किए जाने के बावजूद नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।' बैरवा ने कांग्रेस आलाकमान से आग्रह किया कि वह 'भारत जोड़ो यात्रा' के राजस्थान में प्रवेश करने से पहले पार्टी में आवश्यक बदलाव करे। उन्होंने दावा किया कि इससे राज्य में यात्रा के मद्देनजर अच्छे परिणाम आएंगे।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव एक साल बाद होने हैं। माकन के पत्र के सामने आने से पहले हाड़ौती क्षेत्र (कोटा, बूंदी, झालावाड़) के कांग्रेस नेताओं ने अपने-अपने जिलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 'भारत जोड़ो यात्रा' के राजस्थान में प्रवेश करने से पहले सभी लंबित मुद्दों को हल करने की मांग की थी। यात्रा इसी क्षेत्र से गुजरेगी और ये नेता पायलट के करीबी माने जाते हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य और बूंदी के पूर्व जिला प्रमुख राकेश बोयत ने कहा, 'हम सभी का मानना है कि राज्य में भ्रम की स्थिति जल्द ही दूर कर दी जाएगी।'

दूसरी ओर, गहलोत के एक वफादार नेता ने कहा कि 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं हो पाने का मामला उसी समय समाप्त हो गया था, जब मुख्यमंत्री ने इसके लिए सोनिया गांधी से माफी मांग ली थी। उक्त नेता ने कहा, 'जब मुख्यमंत्री ने खुद माफी मांगी है तो तीनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई मतलब नहीं है। यह सब यात्रा से पहले मुख्यमंत्री के खिलाफ सिर्फ दबाव बनाने की राजनीति है।'

इस बीच, गुर्जर नेता विजय सिंह बैंसला ने राज्य सरकार पर समुदाय से जुड़े मुद्दों को हल नहीं करने का आरोप लगाते हुए यात्रा को बाधित करने की धमकी दी है। बैंसला ने कहा, 'हम तंग आ चुके हैं। मैं राज्य सरकार को चुनौती देता हूं कि वह हमारे लंबित मुद्दों का समाधान किए बिना राजस्थान में यात्रा निकालकर दिखाए।' इससे पहले, 'गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति' के नेता बैंसला ने कहा था कि अगर राज्य सरकार शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण संबंधी उनकी पिछली मांगों को पूरा नहीं करती है तो समुदाय के सदस्य 'भारत जोड़ो यात्रा' को राज्य में प्रवेश नहीं करने देंगे।

बैंसला की टिप्पणी पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने कहा कि यात्रा को रोकने की हिम्मत किसी में भी नहीं है। उन्होंने कहा, 'अगर कोई मुद्दा है तो उसे उठाया जा सकता है। सरकार और पार्टी सुनने के लिए तैयार हैं। लेकिन राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' को राज्य में दाखिल होने से रोकने की हिम्मत किसी में नहीं है।'

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने भी कहा कि अगर कोई यात्रा को बाधित करने का प्रयास करेगा तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा, 'लाखों कांग्रेसी राहुल गांधी के साथ हैं।' विभिन्न घटनाक्रमों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यात्रा की तैयारियों की समीक्षा के लिए शुक्रवार को पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। डोटासरा ने भी स्पष्ट कर दिया है कि यात्रा के मार्ग में कोई बदलाव नहीं होगा।

उधर, गहलोत सरकार के चार साल इस दिसंबर में पूरे होने जा रहे हैं। मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य सरकार को घेरने के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में 'जन आक्रोश रैलियां' आयोजित करने की योजना बनाई है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि 'जन आक्रोश आंदोलन' 29 नवंबर से शुरू होगा और 17 दिसंबर तक चलेगा। इन दौरान बड़ी संख्या में जनसभाएं आयोजित कर कांग्रेस सरकार की नाकामियों को उजागर किया जाएगा।




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