कांग्रेस की विरोधियों के प्रति बोली जानें वाली परम्परागत भाषा ही तो है गहलोत बोल रहे हैं - अरविन्द सिसौदिया
कांग्रेस की विरोधियों के प्रति बोली जानें वाली परम्परागत भाषा ही तो है गहलोत बोल रहे हैं - अरविन्द सिसौदिया
राजस्थान में भाग्य के धनी कांग्रेस मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , भाग्य के धनी व्यक्ति ही हैं, क्यों कि जब जब वे मुख्यमंत्री बनें तब तब उन्होनें पार्टी जितानें के लिये कुछ नहीं किया था। बस कांग्रेस के हाई कमान अर्थात नेहरू परिवार के कान में मंत्र दिया और मुख्यमंत्री बन कर आ गये। अन्याय तो हाई कमान ने किया,कि वह फूंक में आ गया । यह क्यों किया और क्यों हुआ ?? यही तो रहस्य ! क्यों कि गहलोत के किसी आर्शीवाद से कांग्रेस की आयु तो कभी बढ़ी नहीं ! प्रश्न तो है ही .....!
देखनें समझनें वाली बात यह है कि कान में दिया मंत्र क्या था, जो कोई और कांग्रेसी नहीं दे पाया और विफल रहे। गहलोत ने पद संभाल कर कभी भी पुनः कांग्रेस को सत्ता नहीं दी, फिर भी वे बार बार मुख्यमंत्री बनें...? क्या दिया हाई कमान को वे बार बार मुख्यमंत्री बनें ? यही तो रहस्य है। कांग्रेस की राजस्थान सरकार होते हुये भी,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोइी जी को राजस्थान से 25 की 25 सीटें मिलीं यहां तक कि स्वंय गहलोत का पुत्र चुनाव हारा , तब भी कांग्रेस हाई कमान उन्हे हटानें का साहस नहीं कर पाया। अभी तो उन्होनें कई बार हाईकमान की टोपी ही पूरी ताकत से उछाल दी । अपने विरोधी को कई बार अपशब्द बोले ?? यह कांग्रेस की संस्कृति है !
विरोधियों के प्रति जो शब्द कांग्रेस में बोले जाते हैं, उन्हे चाहे सोनिया गांधी जी बोलें, चाहे राहुल गांधी जी बोलें या अन्य कोई कांग्रेसी बोले....ऐसी ही भाषा होती है, जो अक्सर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के विरूद्ध सुनी जाती है। यह बात दूसरी है कि गहलोत उसी शब्दावली का उपयोग घर के विरोधी के प्रति कर लिया ।
जहां तक सचिन का सवाल है, उसके साथ सारा खेल हाई कमान ही खेल रहा है, जब गहलोत नें हाई कमान से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभालनें से इंकार किया तभी वे सचिन को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना ही सकते थे। जब जगन्नाथ पहाडिया जी मुख्यमंत्री एवं प्रतिभा पाटिल जी महामहिम बन सकती हैं , सचिन को क्यों कुछ नहीं बनाया जाता है। मुख्यमंत्री के अलावा भी बहुत से सम्मानजनक कार्य एक दल के पास होते हैं।
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