इस्लामिक कटटरता से पीड़ितों को नागरिकता देना मानवता का पुण्यकार्य, सीएए के लिए धन्यवाद मोदीजी - अरविन्द सिसोदिया

विडंबना देखिये कि विरोध वह पार्टी कर रही है जिसकी नेता खुद इटालियन है....! इटालियन ईसाई भारत की संसद में सांसद बन कर जा सकते हैँ और सताये हुए हिन्दू नागरिक नहीं बन सकते ?


11 सितंबर 1893 के दिन जब स्वामी विवेकानंद शिकागो में खचाखच भरे हाल में पूरी दुनिया से कहा था... " मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी।

 मुझे गर्व है कि हमने अपने दिल में इजरायल की वो पवित्र यादें संजो रखी हैं, जिनमें उनके धर्मस्थलों को रोमन हमलावरों ने तहस-नहस कर दिया था। फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली।

मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने पारसी धर्म के लोगों को शरण दी. लगातार अब भी उनकी मदद कर रहा है। "
भारत की इसी परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पुनः आगे बढ़ाया है, इस पर हमें गर्व होना चाहिए। किंतु कुछ दल, संस्थाएं राजनीतिक द्वेषता से इसका विरोध कर रहे हैं और झूठ को फैला रहे हैं, जो की पूरी तरह अनुचित है समाज के प्रत्येक नागरिक को हम फैलाने वाले लोगों को उत्तर देना चाहिए और बताना चाहिए कि सी ए ए कानून से किसी को कोई नुकसान है ही नहीं। हमने पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश के सताए हुए लोगों को अपने आप शरण दे रखी है, वे वापस जा नहीं सकते वहां उनके जीवन को खतरा है और इसीलिए उन्हें नागरिकता दी गई है। जिस पर हमारे पूरे देश को गर्व है हमने मानवता की रक्षा के उच्चतम मूल्य का निर्वाह किया है।
भारत एक ऐसा देश है जिसनें दुनिया भर के सताये हुए पंथ और संम्प्रदायों को अपने यहां शरण भी दी और संरक्षण भी दिया है। मानवता और मानव अधिकारों पर सबसे अधिक और सर्वश्रेष्ठ कार्य भारत में परंपरागत होता आया है। विश्व की प्रथम धर्म संसद में भारत के स्वामी विवेकानंद यही सब पूरी दुनिया को बताया था।

मानवता के इसी पुण्यकार्य को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी नें सी ए ए कानून बना कर और उसे लागू करके किया है। जिसका स्वागत, अभिनंदन किया जाना चाहिए, इस कानून से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश के सताये हुए हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई मतावलंबियों के 2014 तक के भारत में शरणर्थियों को भारत सरकार नें नागरिकता प्रदान की है। हलाँकि यह कानून अधूरा है इसे 2024 की तिथि से लागू किया जाना चाहिए था । किन्तु इस कानून से भी लगभग 50 - 60 फिसदी इस्लाम से प्रताड़ित शरणर्थियों को भारत की नागरिकता मिल जायेगी।
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CAA Rules: देश में नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू होने के बाद विपक्षी पार्टियां सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमलावर हैं. साथ ही कई जगहों पर इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं. मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (12 मार्च) को आश्वासन दिया कि सीएए में किसी की भी नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है.
उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर नए कानून को लेकर भ्रम फैलना का आरोप लगाया, जिसकी वजह से केरल और असम में प्रदर्शन शुरू हो गए. अमित शाह ने विवादास्पद सीएए को लेकर फैली आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की और कहा कि नये कानून के कारण किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी.

असदुद्दीन ओवैसी और राहुल गांधी को लिया निशाने पर

केंद्रीय गृह मंत्री ने सीएए लागू करने को जायज ठहराते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी नेता राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया कि सीएए लागू होने से देश में अल्पसंख्यकों की नागरिकता छीन ली जाएगी.

उन्होंने विपक्षी दलों पर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि सीएए उनकी नागरिकता को प्रभावित नहीं करेगा और इसका उस समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है, जिसे अपने हिंदू समकक्षों के समान अधिकार प्राप्त हैं.

‘ये कानून नागरिकता देता है, छीनता नहीं’

हैदराबाद में बीजेपी के बूथ कार्यकर्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने सीएए को लेकर 'अफवाह' फैला रहे लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कानून नागरिकता प्रदान करता है, छीनता नहीं है. उन्होंने ने कहा, ''मैं इस देश के अल्पसंख्यकों को बताना चाहता हूं कि सीएए के कारण देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी. सीएए एक ऐसा कानून है, जो नागरिकता प्रदान करता है, न कि नागरिकता छीनता है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सीएए में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो किसी की भी नागरिकता छीनता हो.''

बीजेपी सोशल मीडिया स्वयंसेवकों की एक बैठक को संबोधित करते हुए अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने तुष्टिकरण और वोट-बैंक की राजनीति के कारण सीएए का विरोध किया. उन्होंने सीएए लागू करने को जायज ठहराते हुए कहा, ''हमने कहा था कि हम सीएए लाएंगे. कांग्रेस पार्टी ने सीएए का विरोध किया.''

उन्होंने आगे कहा, ''आजादी के बाद कांग्रेस और हमारे संविधान निर्माताओं का यह वादा था कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर सताये गए लोगों को भारत आने पर नागरिकता प्रदान की जाएगी, लेकिन तुष्टिकरण और वोट-बैंक की राजनीति के कारण कांग्रेस पार्टी ने सीएए का विरोध किया.''

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से लाखों-करोड़ों लोग अपनी आस्था और सम्मान को बचाने के लिए भारत आए, लेकिन उन्हें नागरिकता नहीं दी गई. गृह मंत्री ने कहा, ''नागरिकता नहीं मिलने से उन्होंने अपने देश में खुद को अपमानित महसूस किया.'' शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीएए के जरिए हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख शरणार्थियों को नागरिकता देकर उनका सम्मान किया है.
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इस्लामिक देशों के सताये भगाये हिन्दुओं को वर्षों के इंतजार के बाद न्याय मिला - अरविन्द सिसोदिया 

CAA Notification
Celebration on CAA Notification, मोदी सरकार ने सोमवार को सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया. इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया है. सीएए की अधिसूचना जारी होने के बाद जोधपुर में पाक विस्थापित हिंदुओं में जश्न का माहौल है.

जोधपुर. केंद्र की मोदी सरकार ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसके साथ ही यह कानून पूरे देश में लागू हो गया है. इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है.

बता दें कि राजस्थान के जोधपुर के चौखा इलाके में हजारों की संख्या में पाक विस्थापित हिंदू बसे हुए हैं. जैसे ही CAA का नोटिफिकेशन जारी हुआ, पाक विस्थापितों ने ढोल बजाकर खुशी जाहिर की. यहां पाकिस्तान से आए हिंदुओं को कई सालों से नागरिकता नहीं मिल रही है, लेकिन CAA लागू होने के बाद से अब रास्ते खुल गए हैं. नोटिफिकेशन जारी होते ही लोग घरों से बाहर आए और खुशी जाहिर करने लगे.

20 हजार शरणार्थियों को होगा फायदा : इस अधिनियम के लागू हो जाने से पश्चिमी राजस्थान में ही करीब 15 से 20 हजार शरणार्थियों को फायदा होगा जो 2014 से पहले भारत में आए थे. हालांकि, नागरिकता मिलने का इंतजार करीब 35 से 40 हजार लोगों को है, लेकिन 2014 दिसंबर के बाद से भारत आने वाले लोगों को नागरिकता मिलने में कितनी राहत मिलेगी, इसको लेकर कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं.
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इंडियन युनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के ख़िलाफ़ याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि यह कानून 'असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण' है. इससे एक दिन पहले ही नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने की नोटिफिकेशन जारी हुई थी. IUML का कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है.

IUML, CAA को चुनौती देने वाले प्रमुख याचिकाकर्ताओं में से एक है. याचिका में अधिनियम और उसके सेक्शन 6B की वैधता को चुनौती दी गई है. इसका उद्देश्य धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को फास्ट-टैक नागरिकता देना है. याचिकाकर्ताओं का तर्क है,

"क्योंकि अधिनियम ने नागरिकता को धर्म से जोड़ा है. धर्म के आधार पर वर्गीकरण पेश किया गया है. इसीलिए ये 'पहली नज़र में असंवैधानिक' मामला है. सुप्रीम कोर्ट को इस पर रोक लगानी चाहिए."

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल में प्रभाव रखने वाली इस पार्टी का कहना है कि CAA के जिन नियमों की नोटिफिकेशन जारी की गई है, उनके तहत कुछ विशेष देशों से गैर-मुस्लिम प्रवासियों को बहुत कम समय में नागरिकता देने की बात कही गई है. संगठन का कहना है कि यह मनमाना और भेदभावपूर्ण है.

CAA हुआ लागू.....
इससे पहले, 11 मार्च को केंद्र सरकार ने CAA का नोटिफिकेशन जारी किया. इसके साथ ही ये कानून देशभर में लागू हो गया. इसके बाद देश में रह रहे ग़ैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. लोकसभा चुनाव के क़रीब आते ही CAA के तहत नागरिकता देने के सरकार के फ़ैसले ने फिर से विवाद खड़ा कर दिया है. बता दें कि 11 दिसंबर 2019 को संसद में CAA पारित किया गया था. इसके बाद पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. विरोध प्रदर्शन का केंद्र रहा दिल्ली. जहां महीनों तक प्रदर्शन जारी रहा. विरोध प्रदर्शनों के साथ ही इस कानून ने सांप्रदायिक तनाव को भी जन्म दे दिया था. इसके कारण 2020 की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली में हिंसक दंगे हुए थे. जिनमें कई लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए थे.

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