महाशिव रात्रि का महत्व और विवेचन mhashiv ratri ka mahtv
माना जाता है कि प्रकृति के सृजन के देव ब्रहमा,संचालन के देव विष्णु एवं संहार के देव शिव हैं। इसी आधार पर अंग्रेजी का गॉड शब्द भी है। Gजी से जनरेट, Oओ से ओपरेट और Dडी से डिस्ट्राय अर्थात GOD / जीओडी - गॉड ।।
सनातन हिन्दू ज्ञान मूलरूप से शिव को अनादि और कॉल का स्वामी मानता है। काल अर्थात समय से सम्पूर्ण सृष्टि एवं सृजन आधारित है। ज्योतिष में कालगणना को बहुत विस्तार से बताया भी गया है। इसी के आधार पर सम्पूर्ण सृष्टि का सृजन टिका है। इस सृष्टि के तीन आधार सभी पर लागू है। जन्म, जीवन और मृत्यु जिसे हम जनरेट, ओपरेट एवं डिस्ट्राय भी कह सकते है। हिन्दी में इसे सृजन,संचालन और संहार भी कह सकते है। एक समय बाद सभी को नष्ट होना होता है। चाहे शरीर हो चाहे बृहमांड हो। शिव सम्पूर्ण सृजन के देव हैं जिन्होनें प्रकृति से लेकर परबृहम परेमश्वर तक का सृजन किया है। इसी लिये शिव का न तो जन्म का पता है न ही अंत का । ऋग्वेद भी उन्हे रूद्र के रूप में रचता है। जो पंचमहाभूतो के सृजनकर्ता हैं। इन्ही शिव की सम्पूर्ण ताकत है ऊर्जा अर्थात शक्ति ....जिसे महामाया के रूप में जाना जाता है। महामाया मूलरूप से सृष्टि के नियामक शक्ति के रूप में है। जो विज्ञान की देवी है। विज्ञान की अधिष्ठाता है। विज्ञान जिसे साइंस कहा जाता है। उसी से मूल सृजन सृष्टि पाती है। इसे गति देना ही शिव का कार्य है। गति के साथ ही काल का समय का टाईम का प्रारम्भ हो जाता है। काल के देव महाकाल के रूप में शिव उज्जैन में स्थित है। उज्जैन से ही काल गणना का प्रारम्भ होता है। सृष्टि के नियामक टाईम और एनर्जी के मिलन का महोत्सव ही महाशिवरात्रि है। महाकाल और महामाया के मिलन का उत्सव महाशिवरात्रि है। पार्वती जी महामाया का ही अवतरण है। वे सभी नवदुर्गाओं में अवस्थित रहती हैं। इसे शिवविवाह के अवसर पर आयोजित किया जाता है। इसलिये इस दिन शिव पार्वती के विवाह का उत्सव मनाया जाता है।
सृष्टि में संचालन के 16 कला मानी गई हैं। जो कि प्रथम कला के प्रारम्भ होती हैं। जैसे टेलीफोन में बेसिक टेलीफोन फस्ट जनरेशन का माना जाता है, उससे उच्च् सेकेण्ड जनरेशन अर्थात 2जी , फिर 3 जी , 4 जी और 5 जी....आगे और भी अपडेट..! जब भगवन सम्पूर्ण सृष्टि के साथ विराटरूप में होते हैं तब वह 16 कलाओं वाला सर्वोच्च स्वरूप होता है। माना जाता है कि शिव पार्वती विवाह के समय भगवान शिव और महामाया माता पार्वती 14 कलाओं से युक्त थे और इसी कारण यह उत्सव 14 वीं को आयोजित होता है। हिन्दू धर्म - "सम्प्रदायों और मान्यताओं सहित ज्ञान एवं विज्ञान का समुद्र है।" इसमें संकेतात्मक भाषा में, स्मरण में गागर में सागर समाहित है। इसे उसी तरह से ग्रहण करना चाहिये।
महाशिवरात्रि
वैसे तो भगवान शिव का अभिषेक हमेशा करना चाहिए,लेकिन शिवरात्रि का दिन कुछ खास है। यह दिन भगवान शिवजी का विशेष रूप से प्रिय माना जाता है। कई ग्रंथों में भी इस बात का वर्णन मिलता है। भगवान शिव का अभिषेक करने पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है मनोकामना पूरी होती है। धर्मसिन्धू के दूसरे परिच्छेद के अनुसार,अगर किसी खास फल की इच्छा हो तो भगवान के विशेष शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। यहां जानिए किस धातु के बने शिवलिंग की पूजा करने से कौन-सा फल मिलता है।*
1⃣ *सोने के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सत्यलोक (स्वर्ग) की प्राप्ति होती है ।*
2⃣ *मोती के शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों का नाश होता है।*
3⃣ *हीरे से निर्मित शिवलिंग पर अभिषेक करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है ।*
4⃣ *पुखराज के शिवलिंग पर अभिषेक करने से धन-लक्ष्मी की प्राप्ति होती है ।*
5⃣ *स्फटिक के शिवलिंग पर अभिषेक करने से मनुष्य की सारी कामनाएं पूरी हो जाती हैं ।*
6⃣ *नीलम के शिवलिंग पर अभिषेक करने से सम्मान की प्राप्ति होती है ।*
7⃣ *चांदी से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से पितरों की मुक्ति होती है ।*
8⃣ *ताम्बे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से लम्बी आयु की प्राप्ति होती है ।*
9⃣ *लोहे के शिवलिंग पर अभिषेक करने से शत्रुओं का नाश होता है ।*
🔟 *आटे से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति मिलती है ।*
1⃣1⃣ *मक्खन से बने शिवलिंग पर अभिषेक करने पर सभी सुख प्राप्त होते हैं ।*
1⃣2⃣ *गुड़ के शिवलिंग पर अभिषेक करने से अन्न की प्राप्ति होती है ।*
🌷 *कालसर्प दोष* 🌷
🙏🏻 *फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।ज्योतिष के अनुसार,जिन लोगों को कालसर्प दोष है,वे यदि इस दिन कुछ विशेष उपाए करें तो इस दोष से होने वाली परेशानियों से राहत मिल सकती है।*
➡ *कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार का होता है,इसका निर्धारण जन्म कुंडली देखकर ही किनया जा सकता है। प्रत्येक कालसर्प दोष के निवारण के लिए अलग-अलग उपाए हैं। यदि आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में कौन का कालसर्प दोष है तो उसके अनुसार आप महाशिवरात्रि पर उपाए कर सकते हैं। कालसर्प दोष के प्रकार व उनके उपाए इस प्रकार हैं-*
🐍 *1.अनन्त कालसर्प दोष*
*-अनन्त कालसर्प दोष होने पर शिवरात्रि पर एकमुखी,आठमुखी अथवा नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।*
*-यदि इस दोष के कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है,तो महाशिवरात्रि पर रांगे(एक धातु)से बना सिक्का नदी में प्रवाहित करें।*
🐍 *2.कुलिक कालसर्प दोष*
*-कुलिक नामक कालसर्प दोष होने पर दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें।*
*-चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें।*
🐍 *3. वासुकि कालसर्प दोष*
*- वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात को सोते समय सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें।*
*- महाशिवरात्रि पर लाल धागे में तीन, आठ या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।*
🐍 *4. शंखपाल कालसर्प दोष*
*- शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण के लिए 400 ग्राम साबुत बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।*
*- महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें।*
🐍 *5. पद्म कालसर्प दोष*
*- पद्म कालसर्प दोष होने पर महाशिवरात्रि से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक रोज सरस्वती चालीसा का पाठ करें।*
*- जरूरतमंदों को पीले वस्त्र का दान करें और तुलसी का पौधा लगाएं।*
🐍 *6. महापद्म कालसर्प दोष*
*- महापद्म कालसर्प दोष के निदान के लिए हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ करें।*
*- महाशिवरात्रि पर गरीब, असहायों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें।*
🐍 *7. तक्षक कालसर्प दोष*
*- तक्षक कालसर्प योग के निवारण के लिए 11 नारियल बहते हुए जल में प्रवाहित करें।*
*- सफेद कपड़े और चावल का दान करें।*
🐍 *8. कर्कोटक कालसर्प दोष*
*- कर्कोटक कालसर्प योग होने पर बटुकभैरव के मंदिर में जाकर उन्हें दही-गुड़ का भोग लगाएं और पूजा करें।*
*- महाशिवरात्रि पर शीशे के आठ टुकड़े नदी में प्रवाहित करें।*
🐍 *9. शंखचूड़ कालसर्प दोष*
*- शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष की शांति के लिए महाशिवरात्रि की रात सोने से पहले सिरहाने के पास जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें।*
*- पांचमुखी, आठमुखी या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।*
🐍 *10. घातक कालसर्प दोष*
*- घातक कालसर्प के निवारण के लिए पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल पर रखें।*
*- चार मुखी, आठमुखी और नौ मुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में धारण करें।*
🐍 *11. विषधर कालसर्प दोष*
*- विषधर कालसर्प के निदान के लिए परिवार के सदस्यों की संख्या के बराबर नारियल लेकर एक-एक नारियल पर उनका हाथ लगवाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें।*
*- महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के मंदिर में जाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।*
🐍 *12. शेषनाग कालसर्प दोष*
*- शेषनाग कालसर्प दोष होने पर महाशिवरात्रि की पूर्व रात्रि को लाल कपड़े में थोड़े से बताशे व सफेद फूल बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह उन्हें नदी में प्रवाहित कर दें।*
*- महाशिवरात्रि पर गरीबों को दूध व अन्य सफेद वस्तुओं का दान करें।*
🌷 *महाशिवरात्रि* 🌷
🙏🏻 *अर्ध रात्रि की पूजा के लिये स्कन्दपुराण में लिखा है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को 'निशिभ्रमन्ति भूतानि शक्तयः शूलभृद यतः । अतस्तस्यां चतुर्दश्यां सत्यां तत्पूजनं भवेत् ॥' अर्थात् रात्रिके समय भूत, प्रेत, पिशाच, शक्तियाँ और स्वयं शिवजी भ्रमण करते हैं; अतः उस समय इनका पूजन करने से मनुष्य के पाप दूर हो जाते हैं । शिवपुराण में आया है "कालो निशीथो वै प्रोक्तोमध्ययामद्वयं निशि ॥ शिवपूजा विशेषेण तत्काले ऽभीष्टसिद्धिदा ॥ एवं ज्ञात्वा नरः कुर्वन्यथोक्तफलभाग्भवेत्" अर्थात रात के चार प्रहरों में से जो बीच के दो प्रहर हैं, उन्हें निशीधकाल कहा गया हैं | विशेषत: उसी कालमें की हुई भगवान शिव की पूजा अभीष्ट फल को देनेवाली होती है – ऐसा जानकर कर्म करनेवाला मनुष्य यथोक्त फलका भागी होता है |*
🙏🏻 *चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं। अत: ज्योतिष शास्त्रों में इसे परम कल्याणकारी कहा गया है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है। परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है। शिवरहस्य में कहा गया है ।*
🌷 *"चतुर्दश्यां तु कृष्णायां फाल्गुने शिवपूजनम्। तामुपोष्य प्रयत्नेन विषयान् परिवर्जयेत।। शिवरात्रि व्रतं नाम सर्वपापप्रणाशनम्।"*
🙏🏻 *शिवपुराण में ईशान संहिता के अनुसार "फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:॥" अर्थात फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोडों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए इसलिए इसे महाशिवरात्रि मानते हैं।*
🙏🏻 *शिवपुराण में विद्येश्वर संहिता के अनुसार शिवरात्रि के दिन ब्रह्मा जी तथा विष्णु जी ने अन्यान्य दिव्य उपहारों द्वारा सबसे पहले शिव पूजन किया था जिससे प्रसन्न होकर महेश्वर ने कहा था की "आजका दिन एक महान दिन है | इसमें तुम्हारे द्वारा जो आज मेरी पूजा हुई है, इससे मैं तुम लोगोंपर बहुत प्रसन्न हूँ | इसीकारण यह दिन परम पवित्र और महान – से – महान होगा | आज की यह तिथि 'महाशिवरात्रि' के नामसे विख्यात होकर मेरे लिये परम प्रिय होगी | इसके समय में जो मेरे लिंग (निष्कल – अंग – आकृति से रहित निराकार स्वरूप के प्रतीक ) वेर (सकल – साकाररूप के प्रतीक विग्रह) की पूजा करेगा, वह पुरुष जगत की सृष्टि और पालन आदि कार्य भी कर सकता हैं | जो महाशिवरात्रि को दिन-रात निराहार एवं जितेन्द्रिय रहकर अपनी शक्ति के अनुसार निश्चलभाव से मेरी यथोचित पूजा करेगा, उसको मिलनेवाले फल का वर्णन सुनो | एक वर्षतक निरंतर मेरी पूजा करनेपर जो फल मिलता हैं, वह सारा केवल महाशिवरात्रि को मेरा पूजन करने से मनुष्य तत्काल प्राप्त कर लेता हैं | जैसे पूर्ण चंद्रमा का उदय समुद्र की वृद्धि का अवसर हैं, उसी प्रकार यह महाशिवरात्रि तिथि मेरे धर्म की वृद्धि का समय हैं | इस तिथिमे मेरी स्थापना आदि का मंगलमय उत्सव होना चाहिये |*
🙏🏻 *तिथितत्त्व के अनुसार शिव को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि पर उपवास की प्रधानता तथा प्रमुखता है क्योंकि भगवान् शंकर ने खुद कहा है - "न स्नानेन न वस्त्रेण न धूपेन न चार्चया। तुष्यामि न तथा पुष्पैर्यथा तत्रोपवासतः।।" 'मैं उस तिथि पर न तो स्नान, न वस्त्रों, न धूप, न पूजा, न पुष्पों से उतना प्रसन्न होता हूँ, जितना उपवास से।'*
🙏🏻 *स्कंदपुराण में लिखा है "सागरो यदि शुष्येत क्षीयेत हिमवानपि। मेरुमन्दरशैलाश्च रीशैलो विन्ध्य एव च॥ चलन्त्येते कदाचिद्वै निश्चलं हि शिवव्रतम्।" अर्थात् 'चाहे सागर सूख जाये, हिमालय भी क्षय को प्राप्त हो जाये, मन्दर, विन्ध्यादि पर्वत भी विचलित हो जाये, पर शिव-व्रत कभी निष्फल नहीं हो सकता।' इसका फल अवश्य मिलता है।*
🙏🏻 *'स्कंदपुराण' में आता है "परात्परं नास्ति शिवरात्रि परात्परम् | न पूजयति भक्तयेशं रूद्रं त्रिभुवनेश्वरम् | जन्तुर्जन्मसहस्रेषु भ्रमते नात्र संशयः||" 'शिवरात्रि व्रत परात्पर (सर्वश्रेष्ठ) है, इससे बढ़कर श्रेष्ठ कुछ नहीं है | जो जीव इस रात्रि में त्रिभुवनपति भगवान महादेव की भक्तिपूर्वक पूजा नहीं करता, वह अवश्य सहस्रों वर्षों तक जन्म-चक्रों में घूमता रहता है |'*
🙏🏻 *ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एकादशी को अन्न खाने से पाप लगता है और शिवरात्रि, रामनवमी तथा जन्माष्टमी के दिन अन्न खाने से दुगना पाप लगता है। अतः महाशिवरात्रि का व्रत अनिवार्य है।*
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