भारत को आतंकवाद के प्रति सावचेत रहना ही होगा - अरविन्द सिसोदिया
भारत को आतंकवाद के प्रति सावचेत रहना निरंतर रहना होगा - अरविन्द सिसोदिया
भारत को आतंकवाद के प्रति सावचेत रहना निरंतर रहना होगा - अरविन्द सिसोदिया
भारत में लोकसभा चुनाव के चलते आतंकवाद के विरुद्ध सतर्कता आवश्य ही गईं है, पहले भी आमचुनावों के समय आतंकी घटनायें होती रहीं हैँ। अभी कुछ ही दिनों में विश्व के सबसे मज़बूत रूस में और दूसरे मज़बूत देश चीन संरक्षित पाकिस्तानी बंदरगाह पर आतंकी हमलों नें विश्व को जता दिया है कि आतंकवाद समाप्त नहीं हुआ है। इसके विरुद्ध निरंतर सतर्कता आवश्य है।
क्योंकि रूस में हुईं 22 मार्च 2024 की मुंबई आतंकी हमले जैसी तर्ज पर आतंकवादी हमले में लगभग 140 लोग मर गये और 150 से अधिक गंभीर घायल हैँ। यह आतंकी हमला आतंकवाद के विरुद्ध अत्यंत क्रूर देश रूस में हुआ है। वहीं 26 मार्च 2024 को चीन संरक्षित, चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत बनाए जा रहे ग्वादर बंदरगाह पर भी BLA का हमला हुआ है।
जहां रूस के आतंकी हमले की जिम्मेवारी आई.एस.आई.एस.- खुरासान गुट नें ली है। वहीं बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ग्वादर बंदरगाह हमले की जिम्मेदारी ली है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि माना जा रहा है कि रूस हमले के आतंकियों की ट्रेनिंग पाकिस्तान में हुईं है और इनके हमले का तरीका मुंबई आतंकी हमले जैसा ही रहा है। वहीं पाकिस्तानी बंदरगाह के हमले में बलूच कनेक्शन है। इन वैश्विक परिस्थितियों में भारत की सुरक्षा एजेंसीयों को सतर्क रहनें की जरूरत है। क्योंकि भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं और पूर्व के चुनाव में भी आने को बार आतंकी घटनाएं सामने आती रही है।
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Moscow Terror Attack: मॉस्को में एक कॉन्सर्ट के दौरान हुए आतंकी हमले के मामले में रूस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है. न्यूज एजेंसी तास के मुताबिक इन लोगों पर मॉस्को आतंकी हमले में मारे गए करीब 137 लोगों की मौत का आरोप लगाया गया है. इन लोगों पर मॉस्को के बासमनी कोर्ट में मुकदमा चलाया गया. गिरफ्तार किए गए संदिग्धों के नाम दलेर्दजोन मिर्जोयेव, सईदाक्रामी , शम्सीदीन फरीदुनी और मुहम्मदसोबिर फैजोव हैं
मॉस्को आतंकी हमले में अधिकारियों ने जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें से एक फैजोव ने हमले का वीडियो शूट किया था. न्यूज एजेंसी तास के मुताबिक सभी आरोपियों को 22 मई तक के लिए हिरासत में भेज दिया गया है.
मॉस्को आतंकी हमले शामिल थे तजाकिस्तान के नागरिक....
इससे पहले TASS संवाददाता ने बताया था कि जिन लोगों पर आतंकी हमला करने का आरोप लगाया गया है, उनमें से एक तजाकिस्तान का नागरिक है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक ये चारों पूर्व सोवियत गणराज्य तजाकिस्तान से हैं और वीजा खत्म होने के बाद या अस्थायी तौर पर रूस में रह रहे थे.
तास की रिपोर्ट के अनुसार हमले में शामिल कुल 11 लोगों को पकड़ा गया है, जिनमें चार संदिग्ध हमलावर भी शामिल थे, जो यूक्रेनी सीमा की ओर भागने की कोशिश कर रहे थे. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में कहा कि यूक्रेन ने हमलावरों के लिए सीमा पार करने के लिए एक रास्ता तैयार किया था.
अमेरिकी दावे पर खड़े किए गए सवाल...
इस बीच रूस ने अमेरिका के दावे पर सवाल खड़े किए हैं. अमेरिका ने दावा किया था कि मॉस्को के क्रोकस हॉल में हुई गोलीबारी के पीछे इस्लामिक स्टेट-खुरासान (ISIS-K) का हाथ था. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जकारोवा ने एक अखबार में लेख के जरिए इस पर सवाल खड़े किए हैं.
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जकारोवा ने लेख में कहा कि सावधान... व्हाइट हाउस से एक सवाल है कि क्या आप पक्के तौर पर कह सकते हैं ये आईएसआईएस है? शायद आपको इस पर एक बार और सोच लेना चाहिए.
इस बीच क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब तक जांच जारी है, रूस की ओर से आईएसआईएस के दावे पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता और अमेरिका के खुफिया विभाग की जानकारी पर भी कोई बयान नहीं दे सकते, क्योंकि ये संवेदनशील जानकारी है.
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इस्लामाबाद: चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत बनाए जा रहे ग्वादर बंदरगाह पर हमला हुआ है। बुधवार को ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी (GPA) कॉम्पलेक्स के पास विस्फोट और भारी गोलीबारी की आवाज सुनी गई है। यह एक आतंकी हमला है, जिसमें कथित तौर पर आईएसआई के बेस को उड़ा दिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने आतंकियों की ओर से किए गए हमले का तुरंत जवाब दिया। सुरक्षाकर्मियों की जवाबी गोलीबारी में दो हमलावर मारे गए। बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने हमले की जिम्मेदारी ली है। GPA में पाकिस्तान के महत्वपूर्ण सरकारी ऑफिस हैं।
ग्वादर पोर्ट को बनाने में चीन के इंजीनियर लगे हैं। पाकिस्तान का यह तीसरा सबसे बड़ा बंदरगाह होगा। सुरक्षा अधिकारियों ने GPA कॉम्प्लेक्स के आसपास के क्षेत्र को घेर लिया है। परिसर और उसमें मौजूद लोगों की सुरक्षा के लिए वह काम कर रहे हैं। यह जगह शहर के केंद्र में है। यहां कई बड़े अधिकारियों का आवास भी है। GPA बैंक शाखाओं, कार्गो भंडारण शेड, समुद्री मरम्मत कार्यशालाओं जैसे वाणिज्यिक संरचनाओं के विकास में सहायक है। इसका उद्देश्य निवेशकों को सुविधा प्रदान करना और पाकिस्तान का खजाना भरना है।
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- रूसी एजेंसियों के अनुसार आतंकियों के यूक्रेन के रास्ते तुर्की पहुंचने की योजना थी
मॉस्को: रूस की राजधानी मॉस्को के पास हुए भीषण आतंकी हमले की जांच जैसे बढ़ रही है, इसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। रूस ने हमले में शामिल 4 हमलावरों समेत 11 लोगों को पकड़ने का दावा किया है, जिनका संबंध अफगानिस्तान में सक्रिय इस्लामिक स्टेट की खोरासान शाखा (आईएसआईएस-केपी) से है। हमले में ताजिक मूल के चरमपंथियों की पहचान हुई है, जिसने मध्य एशिया से कट्टरपंथी युवाओं के रूस में प्रवेश के एक बड़े खतरे का सबूत भी दिया है। इस दौरान रूस की संघीय सुरक्षा एजेंसी (एफएसबी) ने दावा किया है कि 22 मार्च के हमले से पहले दो बार मॉस्को में इसी तरह के हमले की कोशिश की गई थी। हमले में तुर्की कनेक्शन का भी जिक्र सामने आया है, जिसने ये सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या खुद को पुतिन का दोस्त दिखाने वाले एर्दोगन रूसी नेता को धोखा दे रहे हैं।
एफएसबी ने दावा किया है कि उसने क्रॉकस सिटी हॉल में हमले से पहले फरवरी और शुरुआती मार्च के बीच मध्य एशिया से आने वाले चरमपंथी युवाओं के दो समूह का खात्मा किया था। मध्य एशिया में बढ़ते कट्टरपंथ पर भारत की भी नजर बनी हुई है, खासतौर पर जब नई दिल्ली ने काबुल में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अुसार, 7 मार्च को एफएसबी ने रूस के कालुगा प्रांत के कोर्याकोव गांव में एक स्पेशल ऑपरेशन किया था। अभियान में मध्य एशिया से आए दो आतंकवादी मारे गए थे। ऑपरेशन में एफएसबी ने कजाखिस्तान के सुरक्षा एजेंसियों की मदद ली थी।
पाकिस्तान में मिल रही ट्रेनिंग...
मध्य एशिया में बढ़ रही चरमपंथी गतिविधियों में पाकिस्तान और उसके दोस्त तुर्की की भूमिका भी सामने आई है। इकोनॉमिक टाइम्स ने एक सूत्र के हवाले से बताया है कि ताजिकिस्तान के कुछ युवाओं को पाकिस्तान के मदरसों में कट्टरपंथ की ट्रेनिंग मिली है। ये चरमपंथी आईएसआईएस का हिस्सा बन गए हैं और इस समय तुर्की इन्हें पनाह दिए हुए है। मॉस्को हमले की जांच कर रही रूसी एजेंसियों ने भी हमलावरों के तुर्की कनेक्शन का जिक्र किया है। संडे गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की सुरक्षा एजेंसियों से मिले इनपुट में कहा गया है कि हमलावरों को एक ताजिक मूल के चरमपंथी ने भर्ती किया था। इन्हें हमले का आदेश तुर्की में एक सुरक्षा एजेंसी के माध्यम से मिला था। हमले के बाद इनकी यूक्रेन के रास्ते तुर्की जाने की योजना थी, जहां इन्हें आईएसआईएस-केपी के पास पहुंचाया जाना था। हालांकि, रूसी एजेंसियों ने सुरक्षा एजेंसी का नाम नहीं लिया था।
पाकिस्तान-तुर्की का आतंकी गठजोड़....
हाल में बढ़ते चरमपंथ के लिए पाकिस्तान-तुर्की का गठजोड़ एक महत्वपूर्ण घटक है। सूत्र ने आरोप लगाया कि खुद को उदारवादी दिखाने वाला तुर्की पश्चिम एशिया और मध्य एशिया से इस्लामी कट्टरपंथियों को अपने यहां शरण देता है। तुर्की और पाकिस्तान मध्य एशिया क्षेत्र में घुसने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार, मध्य एशियाई युवाओं का कट्टरपंथ न केवल रूस और मध्य एशिया के लिए बल्कि भारत के लिए भी चिंता का विषय है। सोवियत काल से ही मध्य एशियाई क्षेत्र में भारत की अच्छी साख है। भारत मध्य एशिया के हालात पर नजर रखे हुए हैं और भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इलाके में अपने समकक्षों के साथ संपर्क में बनी हुई हैं।
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