कांग्रेस में सुनिश्चित हार के भय से भगदड़ - अरविन्द सिसोदिया BJP Rajasthan

कांग्रेस में सुनिश्चित हार के भय से भगदड़ - अरविन्द सिसोदिया

कांग्रेस लोकसभा चुनाव 2024 में पिछड़ती नजर आरही है, वहीं उनके गठबंधन का बिखराव भी प्रगट हो गया है। कांग्रेस के चुनावी मैदान में प्रत्याशीयों की संख्या भी कम होती दिख रही है ।

भाजपा नें जहां 195 प्रत्याशी घोषित कर दिए, वहीं कांग्रेस नें काफी विलंब के बाद मात्र 39 उम्मीदवार घोषित किए हैँ। उनमें भी उत्तर भारत में कांग्रेस की अरुची भी देखने को मिल रही है।

आम आदमी पार्टी पंजाब में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं कर रही है। टीएमसी नें बंगाल में सभी 42 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैँ। कांग्रेस यूपी, बिहार,दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में भी सिकुड़ रही है, उनके प्रत्याशीयों की संख्या भी कम ही गईं।

अभी टीबी पर जो अनुमानित सीटों का आकलन आरहा है उसमें भी कांग्रेस 30 / 35 सीटों के लगभग ही सिमट रही है। वहीं कांग्रेस गठबंधन 100 के लगभग चल रहा है।

कांग्रेस की सबसे सशक्त मानी जाने वाली सोनिया गाँधी के राज्यसभा में जानें से यह संदेश गया कि वे जनता के द्वारा दी जाने वाली संभावित हार से डर गईं। क्योंकि इससे पहले चुनाव में राहुल गाँधी अमेठी से हार चुके हैँ। कांग्रेस के सर्वेसर्वा और पीएम पद के स्वयंभू दावेदार माने जाने वाले राहुल गाँधी पुनः दक्षिण भारत के केरल की मुस्लिम बहुल वायनाड सीट से प्रत्याशी घोषित हो गये हैँ। इससे भी यह संदेश गया कि कांग्रेस उत्तर भारत में अपना आत्म विश्वास खो चुकी है।
कांग्रेस में विद्रोह का अंडर करेंट है, वहाँ भगदड़ मची हुईं है। प्रतिदिन कोई न कोई कांग्रेस छोड़ रहा है, सेंकड़ों की संख्या में कांग्रेस छोड़ रहे हैँ और ज्यादातर भाजपा में सम्मिलित हो रहे हैँ।
इसका सीधा अर्थ यही है कि अयोध्या का आमंत्रण ठुकराने और भगवान श्री राम के विरुद्ध अनाप सनाप बोलनें से कांग्रेस आमजन में पूरी तरह अस्वीकार्य हो गईं है और वह स्वयं की स्थिति भी समझ चुकी है। इसलिए वह लोकसभा चुनावों में बेकपुट पर है, सुनिश्चित हार को महसूस कर रही है।

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