खेलसघ का पदाधिकारी खिलाडी क्यों नही

हम आज तक नही समझ सके की खिलाडी को खेल संघ का अध्यछ या पदाधिकारी बनाना अनिवार्य क्यों नही होता । नियम तो सरकार बनाती हे । अभी एक पदाधिकारी को दो वार पद पर रहने का नियम बनाना भी एक प्रकार से राजनेतिक लोगों के लिए फायदा पहुचाना हे । खेल मंत्री जगे तो सही मगर अधूरी ईमानदारी से ... , वर्तमान खेल संघों से खेल की दुर्दसा का कारन पूछा जाना चाहिए ।
लालू का शरद का या सी पी जोशी का क्रिकेट से क्या लेना देना । मगर पदाधिकारी ये हें । जो क्रिकेट खिलाडी हें उनकी स्थिति तो कर्मचारी जेसी हे । येसा सभी जगह हे । सभी खेल संघों में हे । सभी खेल संघों में सही पदाधिकारी नही हें । कहीं धना सेठ या कही राजनेता इन पदों पर बेठे हे । क्रिकेट में भी काफी समय तक दुर्दशा रही हे । खिलाडियों की म्हणत पर पूजीपति मजे कर रहे हें । सबाल यह हे की इनका इसमें सहयोगी योगदान भी नही रहा , आज खेल की दुर्दशा इन्ही के द्वारा हुई हे ।
विश्व में भारत का नाम इन्ही के कारन कलंकित हुआ हे । सच यह हे की अगर खेल संघ सही बन जाए तो देश का नाम कलंकित होना बंद हो जाय । हमारी विश्व प्रतियोगिता में नाम रोशन होनें लगे , मगर in bich के दलालों नें कभी इस बात पर नही सोचा । सच यह हे की खेल के सही विकास के लिए , राज्य स्तर पर विधयलयीं व्यवस्था को मजबूत किया जाना जरूरी , इनमें खेलों को प्रोत्साहन देना जरूरी हे । इन्ही टीमों को मान्यता दें । २० \ २० स्कूल स्थर पर क्यों नही हो सकता । सवाल सर्कार के द्वरा सही कदम उठने की हे ।
अरविन्द सीसोदिया ,
राधा क्रिशन मंदिर रोड ,
वार्ड ५९ , कोटा २,
राजस्थान ।
arvind sisodia
radha krisan mandir road ,
dadwara , ward 59 , kota 2
rajsthan .

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