अफजल गुरु - फ़ांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की साजिस हे

अफजल गुरु की दया याचिका को जिस तरह से लंबित रखा जा रहा हे उसकी पीछे कांग्रेस की अत्यंत निंदनीय कूटनीति काम कर रही हे , ये लोग अफजल को फाँसी देने से डर रहे हें और किसी तरह  से उसे आजीवन कारावास में बदलना चाहते हें ,
खासखबर . कॉम पर ३१-०५-२०१० की तारीख में एक खबर हे ,
अफजल गुरू की फांसी टालने की साजिश तो नहीं , इसका शरांस हे की -
इस तरह  के कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट द्वारा फाँसी से आजीवन कारावास में बदलने के निर्णय दिए गये हें , उनमें न्यायलय  का तर्क था की फ़ांसी देने में  की गई अत्यधिक देरी फ़ांसी  की सजा को उम्र केद में बदलने का पर्याप्त आधर हे , प . बंगाल के रोड्र्ग्स की फ़ांसी को उम्र केद में बदला था , इसी तरह से उ प्र की एक निचली अदालत ने तीन व्यक्तियों की हत्या के आरोपी को फ़ांसी की सजा दी थी मगर इलाहवाद हाई कोर्ट ने  उसे बरी कर दिया था मामला सुप्रीम कोर्ट पहुचा सजा को सही मानते हुए अधिक समय गुजरने से उसे उम्र केद में तब्दील कर दिया गया . बताया जाता हे की १९८३ तक नियम था की फासी की सजा के २ वर्ष में मर्तुदंड नही दिया जाता तो सजा स्वत ही आजीवन कारावास में बदल जाती थी , फिर  इसमें कुछ शिथिलता देते हुए ४ साल कर दिया था , लगता हे की इसी निति का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस सरकार दया याचिका को इधर उधर घुमाने का नाटक कर रही हे ,   

      मेरा भी स्पस्ट मानना हे की केंद्र सरकार मुस्लिम वोट बेंक की राजनीत  में उलझी हुई हे , उसके लिए देश और कानून की भावना कुछ भी नही हे , अन्यथा रास्त्रपति महोदय के यहाँ  से दया याचिका को दिल्ली सरकार के पास भेजने की जरूरत  ही क्या  थी , दिल्ली की कानून और व्यवस्था  तो स्वनाम   केंद्र सरकार के पास ही  हे यदि सुचना के अधिकार से पता नही चलता तो दया याचिका फाइल  तो दिल्ली सरकार के पास ही पड़ी रहती , पुरे ३ साल   और ४ माह के वाद यह फाइल दिल्ली के उप राज्यपाल को रवाना की गई हे . कुल मिला कर देश पर आक्रमण जेसे संसद पर हमले के दोषी को जिस तरह से मदद की जा रही हे उससे प्रतीत होता हे की वर्तमान सरकार की सह पर ही हमला हुआ था अन्यथा यह केसा प्रेम  केसा अपनापन और बचाव  की तमाम बातें क्यों .
फैक्ट फाइल - 
१- १३ दिसंम्बर  २००१ ,संसद पर आतंकवादी हमला, जवानों ने जान पर खेल कर सांसदों को बचाया 
२- अफजल गुरु को , स्थानीय अदालत ने १८-१२-२००२ को फासी की सजा सुनाई , २९-१०-२००३ को इसकी पुष्ठी दिल्ली हाईकोर्ट  ने की ,, ४-८-२००५ को सर्बोच्च अदालत ने सजा को सही माना , जिला और सेसन अदालत ने २०-१०-२००६ को तिहाड़ जेल में  फासी देना तय किया . 
३- ३-१०-२००६  को अफजल की फ़ांसी माफ़ करने की दया याचिका राष्ट्रपति ए  पी जे  अब्दुल कलम के पास दाखिल हुई , उसी दिन वह केन्द्रीय ग्रह मंत्रालय को भेज दी गई   , निर्णय यही हो जाना चाहिए था , मगर जान बुझ कर इसे दिल्ली सरकार को भेजा गया ,
४- दिल्ली सरकार को जान बुझ कर भेजी थी सो उन्हों ने आला कमान की इच्झा का पालन किया , ४-१०-२००६ को प्राप्त फाइल ,१९-५-२०१० को तब भेजी गई, जब एक सुचना के अधिकार की सुचना पर यह पता चल गया की , केंद्र सरकार के १६ ओपचारिक रिमेनडर आ चुके हे , मिडिया और विपक्ष के कारण उप राज्यपाल को फाइल  भेजी गई . यह भी गलत भेजी गई , दिल्ली अन्य राज्यों से भिन्न हे और उसकी कानून व्यवस्था केंद्र ही देखता हे . यह फाइल केंद्र को ही जानी चाहिए थी . अब यही कहा जा सकता हे की , क्या मिलिए येसे लोगों से जिन की असली सूरत छिपी रहे , नकली चेहरा सामने आये . कुल मिला कर अफजल गुरु की फ़ांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की साजिस हे . यूं पी ए सरकार की यही चाल हे .          ,  .  
अरविन्द सिसोदिया
राधाकृष्ण मंदिर रोड ,
ददवारा , कोटा
राजस्थान . .....

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