डॉ केतन देसाई,उच्च स्तरीय राजनीती और प्रशासन,चोर-चोर मोसेरे भाई
क्या अपने सुना हे की १८०१.५करोड़ रुपया और १.५ टन स्वर्ण आभूषण किसी पर पकडे गये हें , हाँ, यह अकूत धन दोलत विश्व मेडिकल एसोसिएसन के १८ मई २०१० को बनाने वाले अध्यक्ष डॉ केतन देसाई से पकड़ी गई हे , यही असली चेहरा भारत के उच्च स्तरीय राजनीती और प्रशासन का हे , इतनी कमाई बिना सत्ता को खुश रखे हो ही नही सकती , और पकडे भी इस लिए गये की , कोई न कोई आप से चिड गया था . अब ये तिहाड़ जेल में हें , इनका बड़ा भरी धन बिल्डर के रूप में भी इन्वेस्ट हे ,
यूरोलोजिस्ट डॉ केतन देसाई के पिता जी मुम्बई में साधारण शिक्षक थे . देसी ने जो कुछ भी किया वह कांग्रेस में अच्छी पकड़ के द्वारा ही किया , इसमें उनके शातिर दिमाग ने भी बहुत साथ दिया , केतन अपने कॉलेज के दिनों में युवक कांग्रेस में बड़े सक्रिय थे व तत्कालीन मुख्य मंत्री चिमनभाई पटेल के ख़ासम खास थे , वे कब अहमदावाद मेडिकल कोलेज में रेजिडेंस ही थे तब १९८९ में मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया के सदस्य बन गये थे , और कार्यकारी समिति का चुनाव भी लड़ा था , तब से राजनेतिक सहयोग से जो मेडिकल लाइन की की-पोस्ट पर कब्ज़ा किया तो लगातार एक क्षत्र राज बनाये रखा ,
- 2001 में ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने देसाई को 56 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में उन्हें पद से हटाने और उन पर मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया था। बाद में देसाई इसलिए बच गए क्योंकि आयकर विभाग यह साबित नहीं कर पाया कि जिसने पैसा दिया था देसाई ने उसका कोई किया था या नहीं।
- कांग्रेस राज में , 2009 में देसाई वापस मेडीकल काउंसिल के अध्यक्ष निर्वाचित हुए जिसमें देश भर में मेडीकल कॉलेज चलाने वालों में दिल खोल कर पैसा लुटाया। अब भी सर्वोच्च न्यायालय में इस आदेश के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। मुकदमा अदालत में गया यहां तक तो ठीक है मगर भारत सरकार की एक संस्था के अध्यक्ष को रिश्वतखोरी में पकड़ा गया तो इसकी जांच भी सरकार ने नहीं की।
- देसाई का लगभग १९-२० साल से एम् सी आइ पर कब्ज़ा सा हे , इस दोरान पाँच प्रधान मंत्री और १० स्वस्थ्य मंत्री बदल चुके हें , किसी ने भी निगाह डालने की जरूरत नही समझी , कोई एसा सिस्टम जरुर रहा हे जो किसी न किसी रूप में राजनेतिक सत्ता को संतुस्ट रखा रहा था , चोर चोर मोसेरे भाई वाली कहावत की तरफ उगली उठाती हे .
- डॉ अजय कुमार जो की इंडियन मेडिकल एसोसिएसन के पूर्व अद्यक्ष ने सवाल उठाया हे की जब एम् सी आई का एक व्यक्ति ब्रष्ट हे तो उसके विरुध कानून अपना काम करे, पुरे एम् सी आई को भंग क्यों किया , कोई जज या कोई सी बी आई अधिकारी रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाये तो संस्था थड़े ही बंद हो जाती हे , उनकी बात में दम हे , उनका आरोप भी हे एम् सी आई के निरिक्षण की वजह से दक्षिण के ५० निजी मेडिकल कालेज बंद किये जा सकते हें , ये अधिकतर राजनेताओ के हें , इस लिए एम् सी आई को भंग कर के नोकर्शाहों के कब्जे में मेडिकल दे दिया ताकि राजनेता अपनी मन मानि कर सकें , इस तथ्य की भी जाँच हो ,
खेर इतना तो तय हे की इन भ्रष्ट लोगों की जड़ें सरकार के आंगन में हे .
अरविन्द सिसोदिया
राधा क्रिशन मन्दिर रोड , वार्ड ५९ ,
ददवारा , कोटा
राजस्थान .
. ......
यूरोलोजिस्ट डॉ केतन देसाई के पिता जी मुम्बई में साधारण शिक्षक थे . देसी ने जो कुछ भी किया वह कांग्रेस में अच्छी पकड़ के द्वारा ही किया , इसमें उनके शातिर दिमाग ने भी बहुत साथ दिया , केतन अपने कॉलेज के दिनों में युवक कांग्रेस में बड़े सक्रिय थे व तत्कालीन मुख्य मंत्री चिमनभाई पटेल के ख़ासम खास थे , वे कब अहमदावाद मेडिकल कोलेज में रेजिडेंस ही थे तब १९८९ में मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया के सदस्य बन गये थे , और कार्यकारी समिति का चुनाव भी लड़ा था , तब से राजनेतिक सहयोग से जो मेडिकल लाइन की की-पोस्ट पर कब्ज़ा किया तो लगातार एक क्षत्र राज बनाये रखा ,
- 2001 में ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने देसाई को 56 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में उन्हें पद से हटाने और उन पर मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया था। बाद में देसाई इसलिए बच गए क्योंकि आयकर विभाग यह साबित नहीं कर पाया कि जिसने पैसा दिया था देसाई ने उसका कोई किया था या नहीं।
- कांग्रेस राज में , 2009 में देसाई वापस मेडीकल काउंसिल के अध्यक्ष निर्वाचित हुए जिसमें देश भर में मेडीकल कॉलेज चलाने वालों में दिल खोल कर पैसा लुटाया। अब भी सर्वोच्च न्यायालय में इस आदेश के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। मुकदमा अदालत में गया यहां तक तो ठीक है मगर भारत सरकार की एक संस्था के अध्यक्ष को रिश्वतखोरी में पकड़ा गया तो इसकी जांच भी सरकार ने नहीं की।
- देसाई का लगभग १९-२० साल से एम् सी आइ पर कब्ज़ा सा हे , इस दोरान पाँच प्रधान मंत्री और १० स्वस्थ्य मंत्री बदल चुके हें , किसी ने भी निगाह डालने की जरूरत नही समझी , कोई एसा सिस्टम जरुर रहा हे जो किसी न किसी रूप में राजनेतिक सत्ता को संतुस्ट रखा रहा था , चोर चोर मोसेरे भाई वाली कहावत की तरफ उगली उठाती हे .
- डॉ अजय कुमार जो की इंडियन मेडिकल एसोसिएसन के पूर्व अद्यक्ष ने सवाल उठाया हे की जब एम् सी आई का एक व्यक्ति ब्रष्ट हे तो उसके विरुध कानून अपना काम करे, पुरे एम् सी आई को भंग क्यों किया , कोई जज या कोई सी बी आई अधिकारी रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाये तो संस्था थड़े ही बंद हो जाती हे , उनकी बात में दम हे , उनका आरोप भी हे एम् सी आई के निरिक्षण की वजह से दक्षिण के ५० निजी मेडिकल कालेज बंद किये जा सकते हें , ये अधिकतर राजनेताओ के हें , इस लिए एम् सी आई को भंग कर के नोकर्शाहों के कब्जे में मेडिकल दे दिया ताकि राजनेता अपनी मन मानि कर सकें , इस तथ्य की भी जाँच हो ,
खेर इतना तो तय हे की इन भ्रष्ट लोगों की जड़ें सरकार के आंगन में हे .
अरविन्द सिसोदिया
राधा क्रिशन मन्दिर रोड , वार्ड ५९ ,
ददवारा , कोटा
राजस्थान .
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