मुलायम,मायाबती,लालू और शोरेन - गरिवों के वोट से आमिरी का आनंद
राजनीती में अपनी पोजीसन से अकूत कमाने वाले नेताओं में चर्चित मुलायम , मायाबती , लालू और शोरेन सहित बहुत से नाम हें । इनकी शिरू आती पोजीशन की भी पड़ताल होनी चाहिए ।
१ -मायाबती - दिल्ली के करोल बाग़ स्थित संत नगर स्लम बस्ती में एक कमरे में रहती थी। इनके पिताजी प्रभुदयाल जी गोलडाक घर में मामूली पेकर थे , ये खुद नगर निगम के प्रैमरी स्कूल में नोकरी करती थी। इनके पास कितनी सम्पत्ति हे यह इन्हें खुद ही पता नही हे । सभी अंदाजों से कही ज्यादा । २ -मुलायम - आगरा के एक स्कूल में ७० रूपये मासिक के मामूली अध्यापक थे , १५०० करोड़ की सम्पत्ति बताई जाती हे। उच्च तम न्यायलय ने जाँच के आदेस दिए थे । मजबूत मुकदमा था । जब भी कांग्रेस कहती हे ये तमाम तमासें के बाद भी वोट उशी को देते हे ।
३- लालू प्रशाद - गोपाल गंज , बिहार में बहुत ही मामूली परिवार में जन्मे , जयप्रकाश जी के आन्दोलन में राजनीती में आये , पहले संसद बने, फिर विधायक और बिहार के मुख्य मंत्री , चारा घोटाले में जेल गये , पत्नी को मुख्य मंत्री बनाया , अमीरी की पो बहार हे । कोन नही जनता की यह कहाँ से आई हे ।
४- शिबू शोरेन - झारखंड के आदिवासी नेता हें , नरसिह राव सरकार में , सरकार बचने के लिए धन लेने वाले नेताओं में इनका दल था । धन लेना प्रमाणित भी हुआ था , नरसिह राव जी को एक अदालत में सजा भी हो गी थी । ये बिकाऊ नेता जी सभी सरकारों में जुगाड़ बिठा लेते हें । खूब कमाया हे , निजी सहायक की हत्या में भी इनका नाम आया था ।
ये वे नेता हें जो कांग्रेस का विरोध कर के प्रांतीय राजनीती में जमे हें । लोगो ने इन्हें वोट इसलिए दिया की ये कांग्रेस के कुशासन से मुक्ति दाता के रूप में उभरे थे । मगर जेसे जेसे इन्होनें पोजीसन से फायदा उठाया और धन दोलत बनाने के चक्कर में फंसे उलझते चले गए ।
ये जितना कांग्रेस से डरेगें उतना निबट जायेंगे , क्योंकी इनका मूल वोट तो कांगेस विरोधी हे , ये जितना ज्यादा कांग्रेस के साथ होगे उतना ज्यादा इनका वोट कांग्रेस में सिफ्ट हो जायेगा । जेसा लालू भुगत चुके हे ।
खेर आसल बात तो यह हे की इन नेताओं को यह तो सोचना चाहिए की जिन गरीव से वोट लेते हें , जिन का प्रतिनिधित्व करते हें , उनके मसलों पर तो उनके साथ रहे । ये जिस मसले पर बीके हें वह तो गरीव का ही था । वोट गरीव से लो और उसे अपना मॉल बनाने के लिए बेंच दो, यह तो ठीक नही हे। मंहगाई तो गरीव का मुद्दा था । पुरे देश में तुमारी ही पार्टी महंगाई का विरोध कर रही थी । और सदन में तुम बिक रहे थे । तुमें तो चुलू भर पानी में डूब मरना चाहिए । बड़ी बड़ी बातों से डींग मारना और पुस हो जाना कोई तुम से सीखे ।
अरविन्द सीसोदिया ,
राधा क्रिशन मंदिर रोड
ददवारा , वार्ड ५९ , कोटा ।
राजस्थान।
arvind sisodia
radha kishan mandir road
dadawar, kota ।
१ -मायाबती - दिल्ली के करोल बाग़ स्थित संत नगर स्लम बस्ती में एक कमरे में रहती थी। इनके पिताजी प्रभुदयाल जी गोलडाक घर में मामूली पेकर थे , ये खुद नगर निगम के प्रैमरी स्कूल में नोकरी करती थी। इनके पास कितनी सम्पत्ति हे यह इन्हें खुद ही पता नही हे । सभी अंदाजों से कही ज्यादा । २ -मुलायम - आगरा के एक स्कूल में ७० रूपये मासिक के मामूली अध्यापक थे , १५०० करोड़ की सम्पत्ति बताई जाती हे। उच्च तम न्यायलय ने जाँच के आदेस दिए थे । मजबूत मुकदमा था । जब भी कांग्रेस कहती हे ये तमाम तमासें के बाद भी वोट उशी को देते हे ।
३- लालू प्रशाद - गोपाल गंज , बिहार में बहुत ही मामूली परिवार में जन्मे , जयप्रकाश जी के आन्दोलन में राजनीती में आये , पहले संसद बने, फिर विधायक और बिहार के मुख्य मंत्री , चारा घोटाले में जेल गये , पत्नी को मुख्य मंत्री बनाया , अमीरी की पो बहार हे । कोन नही जनता की यह कहाँ से आई हे ।
४- शिबू शोरेन - झारखंड के आदिवासी नेता हें , नरसिह राव सरकार में , सरकार बचने के लिए धन लेने वाले नेताओं में इनका दल था । धन लेना प्रमाणित भी हुआ था , नरसिह राव जी को एक अदालत में सजा भी हो गी थी । ये बिकाऊ नेता जी सभी सरकारों में जुगाड़ बिठा लेते हें । खूब कमाया हे , निजी सहायक की हत्या में भी इनका नाम आया था ।
ये वे नेता हें जो कांग्रेस का विरोध कर के प्रांतीय राजनीती में जमे हें । लोगो ने इन्हें वोट इसलिए दिया की ये कांग्रेस के कुशासन से मुक्ति दाता के रूप में उभरे थे । मगर जेसे जेसे इन्होनें पोजीसन से फायदा उठाया और धन दोलत बनाने के चक्कर में फंसे उलझते चले गए ।
ये जितना कांग्रेस से डरेगें उतना निबट जायेंगे , क्योंकी इनका मूल वोट तो कांगेस विरोधी हे , ये जितना ज्यादा कांग्रेस के साथ होगे उतना ज्यादा इनका वोट कांग्रेस में सिफ्ट हो जायेगा । जेसा लालू भुगत चुके हे ।
खेर आसल बात तो यह हे की इन नेताओं को यह तो सोचना चाहिए की जिन गरीव से वोट लेते हें , जिन का प्रतिनिधित्व करते हें , उनके मसलों पर तो उनके साथ रहे । ये जिस मसले पर बीके हें वह तो गरीव का ही था । वोट गरीव से लो और उसे अपना मॉल बनाने के लिए बेंच दो, यह तो ठीक नही हे। मंहगाई तो गरीव का मुद्दा था । पुरे देश में तुमारी ही पार्टी महंगाई का विरोध कर रही थी । और सदन में तुम बिक रहे थे । तुमें तो चुलू भर पानी में डूब मरना चाहिए । बड़ी बड़ी बातों से डींग मारना और पुस हो जाना कोई तुम से सीखे ।
अरविन्द सीसोदिया ,
राधा क्रिशन मंदिर रोड
ददवारा , वार्ड ५९ , कोटा ।
राजस्थान।
arvind sisodia
radha kishan mandir road
dadawar, kota ।
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