भोपाल गैस त्रासदी - अर्जुनसिंह इस अवसर को भी भुना लेंगे

 भोपाल गैस त्रासदी ,  तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह चाहते तो गैस त्रासदी का मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन भोपाल से फरार नहीं हो सकता था।  श्री सिंह ने 15 हजार मौतों और करीब छह लाख गैस पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए केंद्र सरकार, सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भोपाल का पक्ष नहीं रखा।
 आज उनपर उगली उठी हे ,  मगर इतना तो सच हे क़ी वे इतने घाग हें क़ी यह कदम बिना राजीव गाँधी क़ी इजाजत के नही उठा सकते थे  , हुआ यह होगा क़ी जब गैस त्रासदी का मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को भोपाल गिरिफ्तर कर के लाया गया होगा , तब उसके शुभ चितको ने बात अमेरिकी सरकार से क़ी होगी , और वहां   से वारेन एंडरसन  के बचाब हेतु किसी अमरीकी उच्च राजनेता का टेलीफोन देहली आया होगा , अमरीकी इतने ही तेज तर्रार होते हें , तब भारत के केंद्र सरकार के हस्तछेप से वारेन एंडरसन  को फरार करवाया  होगा , मेरी व्यक्तिगत मान्यता हे क़ी अर्जुन  सिंह क़ी इतनी हिम्मत नही थी क़ी वह अकेले यह निर्णय लेलेते . १५ हजार लोग मरे हों और ५/६ लाख लोग घायल हों और यह घटना तब के प्रधान मंत्री राजीव गाँधी तथा रास्त्रपति gyani jail sinhg  को ध्यान में ही नही लाई गई हो , सच तो यह हे क़ी डे तू डे क़ी रिपोर्टिग हो रही होगी , यह कोई सामान्य घटना नही थी , बल्कि अत्यंत असामान्य घटना थी , अर्जुन सिंह तो सामने दिख रहे शख्स हें , यह भी सच हे क़ी वे पर्दा उठा सकते हें , और वे इतने भी चतुर हें क़ी सच को राज रखने क़ी एवज में कांग्रेस से कोई बड़ी कीमत मांग सकते हें , १९८४ से स्पष्ट  बहुमत को  तरस  रही बड़ी मुस्किल से पटरी पर बड़ रही हे , वह नया अडंगा नही चाहेगी . क्यों क़ी भोपाल में भी  मानना यह हे क़ी इस मामले में मुस्लिम अधिक हे इसलिए सरकारे ध्यान नही दे रही , कांग्रेस जहाँ तक अर्जुन सिंह को सच नही बोलने पर ही राजी करेगी , चाहे कोई कीमत देनी पड़े , होगा भी यही क़ी उपेक्षित चल रहे अर्जुन सिंह इस अवसर को भी भुना लेंगे . सच बोलने में रख्खा क्या हे , वे इस फेसले के आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मुलाकात कर चुके हें वे और सोनिया दोनों चुप हें , खिचड़ी पक चुकी हे .   
 तथ्य यह हे क़ी , अर्जुन सिंह के  तो बहुत विरोध कांग्रेस में हमेशा ही रहते रहे हें , एक दिन उन्हें चेन से कोई नही रहने देता ,   तब के प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी  क़ी सहमती के बिना कुछ भी होही नही सकता था , यदि उनकी सहमती नही होती तो अर्जुन सिंह तत्काल हटा दिए गये होते , लेकिन  अर्जुन सिंह १२ मार्च १९८५ तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री   रहे और उनके नेत्रत्व में मध्य प्रदेश के विधान सभा  चुनाव लड़ा गया  .....
कांगेस महासचिव दिग्विजय सिंह भी यह स्वीकार कर ही रहे हें क़ी उस समय के अमरीकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के दवाव में कार्यवाही नही हो सकी हो . कांग्रेस क़ी तेज तेजतर्रार प्रवक्ता जयंती नटराजन क़ी भी घिघी बंधी हुई हे , वे कह रही हें क़ी में एंडरसन के साथ खड़ी नही दिखन चाहती , इस का क्या मतलव , नही बोल कर तो आप अधिक करीब दिख रहे हो .
   जब सी बी आई के एक जाँच अधिकारी रहे बी आर लाल और भोपाल के तत्कालीन कलक्टर मोती लाल सिंह  के बयान आने के बाद , तो सीधे तोर पर केंद सरकारें एंडरसन  के बचाब में खड़ी प्रतीत हो रही हें , इसका जबाब कांगेस को ही देना पड़ेगा .   जो पायलेट उसे भोपाल से देहली छोड़ ने गया ,कप्तान सय्यद हसन अली ने कहा डायरेक्टर के पास सी एम् हॉउस से आदेस आया था , क्या बचता हे कांग्रेस के पास अपने बचाब में .   ......
 अरविन्द सीसोदिया 
राधा क्रिशन मन्दिर रोड 
ददवारा , वार्ड ५९ , कोटा २ 
राजस्थान . 
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