जातीय जनगणना से, हिंषा, आराजकता और कटुता में देश को न धकेलें

११ जून २०१० को ज्यादातर टी वी  चेनलों पर पूर्व सोवियत  देश किर्गिस्तान में जातीय हिषा में लोगों के मरने की खबर प्रमुखता से आई  हे , यह खबर उन लोगों को ध्यान से पड़नी चाहिए जो जातीय जन गणना के पक्ष में हो हल्ला कर रहे हें , पहले खबर पड़ें  ..... 
       मास्को. दक्षिणी किर्गिस्तान में किर्गिज उज्बेक जातीय संघर्ष में कम से कम 37 लोग मारे गए हैं और 500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इसके मद्देनजर अंतरिम सरकार ने मध्य एशियाई देश में आपातकाल लागू कर दिया है। अंतरिम सरकार ने देश के दक्षिण ओश क्षेत्र में कल रात हुए जातीय संघर्ष के बाद आपातकाल की घोषणा कर दी है। यह संघर्ष अल्पसंख्यक उज्बेक समुदाय से जुड़ा हुआ है। पुलिस और सेना को उपद्रवकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है।   यह दंगा दो समुदायों के युवा समूहों के बीच संघर्ष के बाद शुरू हुआ और समूचे ओश, उसके पड़ोसी जिलों करासू, अरावन और उज्गेन में फैल गया।  स्थानीय सरकार का स्थिति पर नियंत्रण नहीं रहा। सेना को कानून एवं व्यवस्था को बहाल करने के लिए बुलाया गया है और क‌र्फ्यू लगा दिया गया है।
       किर्गिजिस्तान की अंतरिम सरकार ने देश के दक्षिणी हिस्से में तेज होती जातीय हिंसा से निबटने के लिए रूस से सैन्य मदद मांगी है। एक रिपोर्ट के अनुसार अंतरिम किर्गिज प्रमुख रोजा ओतुनबाएवा ने कहा कि हमें दूसरे देशों की सैन्य टुकड़ियों की तैनाती की जरूरत है। यह खबर बता रही हे की जातीय हिंषा में स्थानीय पुलिस तक भी आपस में उलझने का खतरा रहता हे , आराजकता की स्थिति बन जाती हे , यही हाल भारत का बनाना चाहते हो तो जातीय जान गणना करवालो , 
            जातीय जनगणना से हिंषा, आराजकता और कटुता में देश को न धकेलें, यह विषय सिर्फ संसद में बेठे  कुछ  दल प्रमुखों का नही हे , बल्कि सारे देश के लोगों को गंभीरता से विचारने का हे, अंग्रजों ने तो भारत में फूट डालो राज करो अभियान के तहत ही की थी , पहले हिदू और मुस्लिम को मुर्गों तरह लड़ाया , फिर उससे भी चेन नही आया तो , हिदू से सिख को अलग करने के प्रयास  हुए , इसके बाद हिदू को आदिवासी और दलितों में भी बांटा  गया , इसीलिए तो उन्होंने जातीय जनगणना करवाई थी , वे तो देश के बहुत से टुकड़े भी करवाना चाहते थे , खालिस्तान और द्रविड़स्थान  के पीछे उनका ही दिमाग था , वे जाते जाते भी हमारे देश को ५०० से ज्यादा देशों में बाँट  जाने का इंतजाम कर गये थे , यह तो हमारे देश के राजे रजबाड़ों की भी राष्ट्रभक्ति रही हे की उन्होंने समय  की मांग को मानते हुए  भारत में अपना विलय किया , जम्मू और कश्मीर के राजा हरीसिंह यदि दस्खत नही करते तो यह क्षेत्र पाकिस्तान में होता , भारत  को एक बनाने में सरदार पटेल के साथ साथ रियासत दारों का भी हाथ रहा हे , जिसे ईमानदारी से स्वीकार करना चाहिए,
जहाँ तक जातीय और बिरादियों को आपस की वेम्स्यता को दूर करने , छुआ छूत , अस्पर्श्यता को दूर करबाने में महात्मा गाँधी , डा आंबेडकर और डा केशव  बलिराम हेडगेवार ने जो प्रयास किये जातीय जान गणना से उने विफल करना  ही होगा , यदि छुआ छूत  को सही मायने में कही दूर किया गया हे तो वह जगह राष्ट्रिय स्वंसेवक संघ की शाखाएं हें , इस बात को गाँधी जी नि स्पष्टता से महसूस किया था व स्वय जा कर देखा भी था ,
कुछ दल अपने राजनेतिक स्वार्थ  के लिए , जातिगत जनगणना  पर जोर दे रहे हें , जो देश में नये तरीके का विघटन पैदा कर देगा , पुरानी यादें सो गुना अधिक विद्रूपत रूप लेकर फिर उभरेगीं ,एक नया ग्रह युद्ध चाहने वाले ही इसे उठा रहें हें , इससे सावधान रहना चाहिए ,
अरविन्द सिसोदिया
राधा क्रिशन मन्दिर रोड ,
ददवारा , वार्ड ५९ ,  कोटा २
          

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

अटलजी का सपना साकार करते मोदीजी, भजनलालजी और मोहन यादव जी

Veer Bal Diwas वीर बाल दिवस और बलिदानी सप्ताह

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

जन गण मन : राजस्थान का जिक्र तक नहीं

सफलता के लिए प्रयासों की निरंतरता आवश्यक - अरविन्द सिसोदिया

स्वामी विवेकानंद और राष्ट्रवाद Swami Vivekananda and Nationalism

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश