नीतीश धोखेबाज - लालूप्रसाद यादव

नीतीश धोखेबाज - लालूप्रसाद यादव
आपदा राहत मद में मिले करो़डों रूपए दबाकर रख गए - लालूप्रसाद यादव 
-- अरविन्द सिसोदिया

राष्ट्रीय जनता  दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया और उन्हें धोखेबाज बताते हुए कहा,मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में गुजरात का भेजा हुआ पैसा बिना खर्च हुए दो साल तक कैसे प़डा रह गया। कहीं इसका यह तो मतलब नहीं कि आपदा राहत मद में मिले करो़डों रूपए दबाकर रख गए और बाढ़ पीडितों को कहा गया कि केंद्र सरकार से राहत मद में मांगी गई राशि नहीं मिली इसलिए पुनर्वास का काम नहीं हुआ।
भाजपा कोई चींटी नहीं है कि उसे कोई रग़ड सके, यह नौटंकी बंद होनी चाहिए। नरेंद मोदी और वरुण गाँधी दोनों को बिहार जा कर रोज  ८ से १० सभाएं करनी चाहिए .  भारत कोई नितीश का गुलाम थोड़े ही हो गया हे , वे बिहार के स्वामी  भी नही हें , लालू प्रशाद यादव ने भी एल के आडवानी को गिरिफ्तर किया था , पूरा देश उनके साथ खड़ा हुआ था . आज लालू जी कहाँ हें और आडवानीजी कहाँ हें ,जो भी हो, अब लगता यहीं है कि बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन सरकार के दोनों घटक दल यहां तीन-चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही अलग-अलग रास्ता अपना लेने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। 
गलत परंपरा !
सोची समझी साजिस ?
बिहार की जनता की मदद,
दो साल तुमानें खजाने में क्यों थी ??
विज्ञापन का जबाब तो धन्यवाद था !
      बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने गुजरात के द्वारा भेट की  गयी सहायता राशी दो साल तक खजाने में रखकर लोटने की जो मिसाल कायम की हे , उस से बुरे वक्त में जनता की मदद करने में दूसरे राज्य संकोच करेंगे , इस परम्परा का  गलत संदेश गया हे .  जनता  पर जब कोई संकट आता हे तो पास पडोस से लेकर  दूर तक के लोग सहायता करते हें , और यह राजनेतिक परंपरा भी पड़ चुकी हे की जनता के हित चिन्तक  दिखने के लिए इन्हें गिनाया जाये , केंद्र सरकार इतने कर्ज में दबी हुई हे की तीन पीढ़ियों तक नही चुकेगा  मगर एक दिन नही जाता की कोई भारी विज्ञापन नही हो .  अभी चुनाव आयेंगे तब यही नितीश जी न जाने क्या क्या गिनाएंगे विज्ञापन से लेकर माइक तक , पर्चे से लेकर बात बात पर उपकारों की छड़ी लगी जाएगी , केंद्र की कांग्रेस सरकार और अन्य दलों के नेता भी यही करने वाले हें ,
नरेंद्र मोदी के समर्थकों ने यदि विज्ञापन छपवाया था तो इस का जबाब तो धन्यवाद था ! कुशल चतुराई यही थी की आप या तो चुप रहते जो लोग  भूल जाते या फिर धन्यवाद छपवाते जो लोग सराहना करते ! अब आप नंगे और हो गये की मदद की राशी ही खर्च नही की, इसे अपने खजाने में ही दवाये रहे .
  राजनीती में विज्ञापन बाजी  तो होती ही रहती हे, वास्तव में धन्यवाद देने या चमचा गिरी  करने भी , विज्ञापन छपते रहते हें , ज्यादातर फोटो बिना अनुमति ही छपते हें , नितीश और नरेंद्र मोदी का फोटो तो वास्तविक हे , दोनों ने हाथ मिलाये  थे ही , किसी ने कटिग करके / हेर फेर  करके हाथ थोड़े ही मिलाये , जो गलत हुआ , कोशी में बाढ़ आई ही थी , गुजरात की मदद बिहार  ने स्वीकार की ही थी . अब बतईये गलत क्या हुआ . इस तरह के हजारों विज्ञापन रोज छापते रहते हें , इन पर कोई ध्यान नही देता . लगता तो यह हे की नितीश अन्दर किसी से हाथ मिलाएं हें और यह सारा खेल पूरी सोची समझी योजना से हुआ हे . .  
- राधा क्रष्ण   मंदिर रोड , डडवाडा , कोटा २ 
राजस्थान .  , . . 

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान

सरदार पटेल प्रथम प्रधानमंत्री होते तो क्या कुछ अलग होता, एक विश्लेषण - अरविन्द सिसोदिया

God’s Creation and Our Existence - Arvind Sisodia

Sanatan thought, festivals and celebrations

कविता - संघर्ष और परिवर्तन

‘‘भूरेटिया नी मानू रे’’: अंग्रेजों तुम्हारी नहीं मानूंगा - गोविन्द गुरू

छत्रपति शिवाजी : सिसोदिया राजपूत वंश

सरदार पटेल के साथ वोट चोरी नहीं होती तो, वे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होते - अरविन्द सिसोदिया