ओसामा बिन लादेन मारा गया
- अरविन्द सिसोदिया
विश्व की सबसे बड़ी ताकत अमेरिकी के लिए चुनौती बना चुका लादेन आखिर मारा गया .., अमरीका ने इसे हर पल क्षण याद रखा की इससे बदला लेना है , यह हमारा गुनाहगार है ..! काश हम भी येशा कुछ के दिखाएँ की मुम्बई के गुनाहगारों को इसी तरह पाकिस्तान में घुस कर मार गिराया जाये ..!! अब यह भी साबित हो चुका है की आतंकवाद की फैक्ट्री पाकिस्तान है ..!!!!
इसे कहते हैं राष्ट्रवाद ....
अमरीका की यह कार्यवाही इस बात का सबूत है कि राष्ट्रिय हितों को दवाब में छोड़ा नहीं किया जाता बल्कि हांसिल किया जाता है ...! अपने देशवासियों के खून को खून मान कर , भारत भी आतंकवादी के नासूर पाकिस्तान को करार जबाव दे ..!!
वॉशिंगटन।। दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की जिंदगी अमेरिकी सेना के महज 40 मिनट तकचले ऑपरेशन में ही उसका साथ छोड़ कर चली गई। इसऑपरेशन को बड़े खुफिया तरीके से अंजाम दिया गया , लेकिनसात समंदर पार बैठे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा कोइसकी पल - पल की जानकारी दी जा रही थी।
ऑपरेशन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के उत्तर मेंकरीब 100 किलोमीटर दूर बसे ऐबटाबाद के एक महंगे इलाकेमें पाकिस्तानी समय के मुताबिक रविवार रात एक बजे केआसपास शुरू हुआ। यहां बनी एक तीन मंजिला हवेली में पहलेएक हेलिकॉप्टर भेजा गया लेकिन अमेरिकी सेना के सूत्रों केअनुसार यह जंगी हेलिकॉप्टर तकनीकी खराबी का शिकार होगया और उसी इमारत पर गिर गया। हालांकि , दूसरे सूत्र केअनुसार हवेली की सुरक्षा में तैनात लोगों ने टोह लेने आए इसहेलिकॉप्टर पर गोलियां चलाईं , जिससे वह गिर गया। इसकेतुंरत बाद एक दूसरे हेलिकॉप्टर को हवेली के ऊपर भेजा गयाऔर उसमें सवार सैनिक इमारत की छत पर कूद गए।प्रत्यक्षदर्शियों ने वहां दो बडे धमाके भी सुने।
ऑपरेशन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के उत्तर मेंकरीब 100 किलोमीटर दूर बसे ऐबटाबाद के एक महंगे इलाकेमें पाकिस्तानी समय के मुताबिक रविवार रात एक बजे केआसपास शुरू हुआ। यहां बनी एक तीन मंजिला हवेली में पहलेएक हेलिकॉप्टर भेजा गया लेकिन अमेरिकी सेना के सूत्रों केअनुसार यह जंगी हेलिकॉप्टर तकनीकी खराबी का शिकार होगया और उसी इमारत पर गिर गया। हालांकि , दूसरे सूत्र केअनुसार हवेली की सुरक्षा में तैनात लोगों ने टोह लेने आए इसहेलिकॉप्टर पर गोलियां चलाईं , जिससे वह गिर गया। इसकेतुंरत बाद एक दूसरे हेलिकॉप्टर को हवेली के ऊपर भेजा गयाऔर उसमें सवार सैनिक इमारत की छत पर कूद गए।प्रत्यक्षदर्शियों ने वहां दो बडे धमाके भी सुने।
इसके बाद वहां गोलीबारी का सिलसिला शुरू हुआ। माना जारहा है कि ओसामा ने खुद भी वहां सैनिकों पर गोलियां चलाईं और जवाबी कार्रवाई में कुछ गोलियां उसके सिर में जालगीं और लादेन ने वहीं पर दम तोड़ दिया। इस हमले में एक महिला सहित चार और लोग भी मारे गए। इनमें से दोलादेन के भरोसेमंद मेसेंजर थे , जबकि तीसरे व्यक्ति के बारे में अपुष्ट खबर यह है कि वह लादेन का बेटा था। हमले मेंमारी गईं महिला का इस्तेमाल ओसामा के आदमियों ने अपने बचाव के लिए किया था। इसके अलावा वहां मौजूद कईअन्य महिलाओं और बच्चों को कोई क्षति नहीं पहुंची है।
अमेरिका के इतिहास में मील का पत्थर बनने जा रहे इस खुफिया अभियान को अंजाम देने में सीआईए से जुड़े अर्द्धसैनिकबल और बेहद विशिष्ट मानी जाने वाली नेवी सील टीम सिक्स मिलकर जुटी थी। सूत्रों के अनुसार यह ऑपरेशन इतना गुप्तरखा गया था कि पाकिस्तान को इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया। यहां तक कि अमेरिकी फौज और आईएसआई केबड़े अफसरों तक को यह नहीं पता था कि ऐबटाबाद में एक मकान को निशाना बना लिया गया है।
ऐबटाबाद में अधिकतर सेना के रिटायर्ड अफसर रहते हैं। इस शहर में कड़ी सुरक्षा वाली इस तीन मंजिला इमारत मेंसुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। बाहरी दुनिया से अपनी पहचान छिपाने के लिए इस हवेली में कोई फोन याइंटरनेट कनेक्शन तक नहीं था। हवेली में इकट्ठा होने वाला कूड़ा तक हवेली से बाहर नहीं जाता था और उसे वहां आंगन मेंही जला दिया जाता था।
इस ऑपरेशन को भले ही रविवार रात अंजाम दिया गया हो लेकिन इसकी तैयारी की पहली इबारत 2 जून 2009 मेंलिखी जा चुकी थी। तब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक आदेश जारी करके कहा था कि एक महीने के भीतरलादेन की मौजूदगी के बारे में सबूत पेश किया जाए। इसके बाद ओबामा ने खुद इस ऑपरेशन की प्रगति की जानकारीलेते रहे।
इस महत्वाकांक्षी अभियान के लिए जब पर्याप्त खुफिया जानकारियां जमा हो गईं तो फैसले की घड़ी भी निकट आ गई।शानिवार यानी 29 अप्रैल को अमेरिकी समयानुसार सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर वाइट हाउस में ओबामा ने ऑपरेशनके फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। इसके साथ ही करीब दो साल से चल रहे ऑपरेशन को निर्णायक मोड़ तक पहुंचाने कीअंतिम घड़ियां शुरू हो गईं।
एक बार फिर सारे बड़े अफसर जमा हुए और देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार थॉमस ई . डोनीलोन ने औपचारिक रूपसे लादेन के ऑपेरशन से जुड़े कागजातों पर दस्तखत किए और सभी अधिकारियों को इस आपरेशन के बारे में जानकारीदी गई।
एक मई यानी रविवार को पूरे दिन इस बात पर विचार - विमर्श किया गया कि कैसे पूरी खुफिया तरीके से कदम बढाएंजाए कि किसी को कानोंकान खबर भी न हो और दो साल की मेहनत पर पानी न फिरे। सारे अधिकारी दोपहर एक बजेइस ऑपरेशरन के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम में पहुंच गए। करीब दो बजे ओबामा ने एक बार फिर इस ऑपरेशन कीतैयारियों की अंतिम समीक्षा की। फिर 3 बजकर 32 मिनट पर राष्ट्रपति इस बैठक से चले गए और अमेरिकी इतिहास कोबनाने वाली खबर का इंतजार करने लगे।
3 बजकर 50 मिनट पर उन्हें पहली बार जानकारी दी गई कि दस साल से खून की होली खेल रहे ओसामा का अंत होगया है। शाम 7 बजकर एक मिनट पर राष्ट्रपति को इस खबर के पुख्ता होने की जानकारी दी गई और बताया गया किमारा गया आदमी ओसामा बिन लादेन ही है। फिर डेढ़ घंटे बाद उन्हें इससे जुड़ीं अन्य जानकारियां दी गईं।
इसके बाद ओबामा ने विजयी भाव से सारी दुनिया को बताया कि सबसे खूंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन मारा जाचुका है। इसके साथ ही अमेरिका का बहुप्रतीक्षित अभियान समाप्त हो गया और पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली।
अमेरिका के इतिहास में मील का पत्थर बनने जा रहे इस खुफिया अभियान को अंजाम देने में सीआईए से जुड़े अर्द्धसैनिकबल और बेहद विशिष्ट मानी जाने वाली नेवी सील टीम सिक्स मिलकर जुटी थी। सूत्रों के अनुसार यह ऑपरेशन इतना गुप्तरखा गया था कि पाकिस्तान को इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया। यहां तक कि अमेरिकी फौज और आईएसआई केबड़े अफसरों तक को यह नहीं पता था कि ऐबटाबाद में एक मकान को निशाना बना लिया गया है।
ऐबटाबाद में अधिकतर सेना के रिटायर्ड अफसर रहते हैं। इस शहर में कड़ी सुरक्षा वाली इस तीन मंजिला इमारत मेंसुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। बाहरी दुनिया से अपनी पहचान छिपाने के लिए इस हवेली में कोई फोन याइंटरनेट कनेक्शन तक नहीं था। हवेली में इकट्ठा होने वाला कूड़ा तक हवेली से बाहर नहीं जाता था और उसे वहां आंगन मेंही जला दिया जाता था।
इस ऑपरेशन को भले ही रविवार रात अंजाम दिया गया हो लेकिन इसकी तैयारी की पहली इबारत 2 जून 2009 मेंलिखी जा चुकी थी। तब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक आदेश जारी करके कहा था कि एक महीने के भीतरलादेन की मौजूदगी के बारे में सबूत पेश किया जाए। इसके बाद ओबामा ने खुद इस ऑपरेशन की प्रगति की जानकारीलेते रहे।
इस महत्वाकांक्षी अभियान के लिए जब पर्याप्त खुफिया जानकारियां जमा हो गईं तो फैसले की घड़ी भी निकट आ गई।शानिवार यानी 29 अप्रैल को अमेरिकी समयानुसार सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर वाइट हाउस में ओबामा ने ऑपरेशनके फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। इसके साथ ही करीब दो साल से चल रहे ऑपरेशन को निर्णायक मोड़ तक पहुंचाने कीअंतिम घड़ियां शुरू हो गईं।
एक बार फिर सारे बड़े अफसर जमा हुए और देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार थॉमस ई . डोनीलोन ने औपचारिक रूपसे लादेन के ऑपेरशन से जुड़े कागजातों पर दस्तखत किए और सभी अधिकारियों को इस आपरेशन के बारे में जानकारीदी गई।
एक मई यानी रविवार को पूरे दिन इस बात पर विचार - विमर्श किया गया कि कैसे पूरी खुफिया तरीके से कदम बढाएंजाए कि किसी को कानोंकान खबर भी न हो और दो साल की मेहनत पर पानी न फिरे। सारे अधिकारी दोपहर एक बजेइस ऑपरेशरन के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम में पहुंच गए। करीब दो बजे ओबामा ने एक बार फिर इस ऑपरेशन कीतैयारियों की अंतिम समीक्षा की। फिर 3 बजकर 32 मिनट पर राष्ट्रपति इस बैठक से चले गए और अमेरिकी इतिहास कोबनाने वाली खबर का इंतजार करने लगे।
3 बजकर 50 मिनट पर उन्हें पहली बार जानकारी दी गई कि दस साल से खून की होली खेल रहे ओसामा का अंत होगया है। शाम 7 बजकर एक मिनट पर राष्ट्रपति को इस खबर के पुख्ता होने की जानकारी दी गई और बताया गया किमारा गया आदमी ओसामा बिन लादेन ही है। फिर डेढ़ घंटे बाद उन्हें इससे जुड़ीं अन्य जानकारियां दी गईं।
इसके बाद ओबामा ने विजयी भाव से सारी दुनिया को बताया कि सबसे खूंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन मारा जाचुका है। इसके साथ ही अमेरिका का बहुप्रतीक्षित अभियान समाप्त हो गया और पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली।
एबटाबाद: मेजरों के शहर में लादेन का खेल खत्म
इसी घर में छुपा था लादेन
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अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चरमपंथी संगठन अल-क़ायदा के संस्थापक और नेता ओसामा बिन लादेन के मारे जाने का दावा किया है. ओबामा ने मीडिया को संबोधित करते हुये 2 मई 2011 को कहा कि लादेन को पाकिस्तान में अमरीकी सेना ने मार डाला है.
10 मार्च 1957 को रियाध, सउदी अरब में एक धनी परिवार में जन्मे ओसामा बिन लादेन, अल कायदा नामक आतंकी संगठन के प्रमुख थे. यह संगठन 9 सितंबर 2001 को अमरीका के न्यूयार्क शहर के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के साथ विश्व के कई देशों में आतंक फैलाने और आतंकी गतिविधियां संचालित करने का दोषी है.
सऊदी अरब में एक यमन परिवार में पैदा हुए ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान पर सोवियत हमले के ख़िलाफ़ लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए 1979 में सऊदी अरब छोड़ दिया. अफगानी जेहाद को जहाँ एक ओर अमरीकी डॉलरों की ताक़त हासिल थी वहीं दूसरी ओर सऊदी अरब और पाकिस्तान की सरकारों का समर्थन था. मध्य पूर्वी मामलों के विश्लेषक हाज़िर तैमूरियन के अनुसार ओसामा बिन लादेन को ट्रेनिंग सीआईए ने ही दी थी.
अफ़ग़ानिस्तान में उन्होंने मक्तब-अल-ख़िदमत की स्थापना की जिसमें दुनिया भर से लोगों की भर्ती की गई और सोवियत फ़ौजों से लड़ने के लिए उपकरणों का आयात किया गया.
अमरीकी सैनिकों द्वारा पाकिस्तान में उनके मारे जाने के बाद अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को याद करते हुये कहा कि जैसा बुश ने कहा था हमारी जंग इस्लाम के खिलाफ नहीं है. लादेन को पाकिस्तान में इस्लामाबाद के एक कंपाउंड में मारा गया. एक हफ्ते पहले हमारे पास लादेन के बारे में पुख्ता जानकारियां मिल गई थीं. उसने बाद ही कंपाउंड को घेरकर एक छोटे ऑपरेशन में लादेन को मार गिराया गया.
बराक ओबामा ने कहा कि लादेन ने पाक के खिलाफ भी जंग छेड़ी थी. हमारे अधिकारियों ने वहां के अधिकारियों से बात कि और वह भी इसे एक ऐतिहासिक दिन मान रहे हैं. यह 10 साल की शहादत की उपलबधि है. हमने कभी भी सुरक्षा से समझौता नहीं किया. अल कायदा से पीड़ित लोगों से मैं कहूंगा कि न्याय मिल चुका है.
9/11 के हादसे को याद करते हुये बराक ओबामा ने कहा कि इस घटना में जिन लोगों ने अपनों को खोया है, हम उनके नुकसान को नहीं भूले हैं. आज रात एक बार फिर एकजुट हो जाएं. अमरीका जो ठान ले वह कर सकता है. पैसे और ताकत से नहीं बल्कि एकजुटता ही हमारी शक्ति है.
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BBC NEW........
'जो करना चाहा उसे कर दिखाया'
अमरीका इस्लाम के ख़िलाफ़ नहीं और ओसामा बिन लादेन कोई इस्लामी नेता नहीं थे. अमरीका युद्ध की कीमत जानता है लेकिन अपने लोगों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है.
बराक ओबामा
ओबामा ने कहा कि अमरीकी इतिहास इस बात का गवाह है कि अमरीका ने जो भी करना चाहा उसे कर दिखाया है और इसकी वजह है अमरीकी लोगों का एकजुट होकर एक राष्ट्र के रुप में संगठित रहना.
इस खबर के बाद वॉशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के सामने भारी भीड़ जमा हो गई है और लोग सड़कों पर उतर आए हैं.
इस बीच अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने एक बयान में कहा है, "यह 9/11 हमलों में मारे गए लोगों के साथ उन सभी लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण क्षण है जो हमारे बच्चों के लिए शांति और आज़ादी भरा भविष्य चाहते हैं."
राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने ओसामा की मौत को अमरीका के लिए ऐतिहासिक और बड़ी सफलता बताया है. ओसामा बिन लादेन का जन्म 1957 में सऊदी अरब के एक संपन्न परिवार में हुआ.
1980 में उन्होंने अफ़गानिस्तान में सोवियत संघ के कब्ज़े के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए हथियार उठाए.
माना जाता है कि ओसामा बिन लादेन ने अमरीका में हुए 9/11 हमलों की साज़िश रची. हालांकि अमरीकी सेनाएं 1990 से ओसामा बिन लादेन की तलाश में जुटी थीं.
हमारे नेताओं में इतनी हिम्मत कहां..
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