सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो शुंगुलू समिति के आरोपों की जांच


- अरविन्द सिसोदिया 
   जिस भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद और महत्वपूर्ण पदाधिकारी रहे सुरेश कलमाड़ी जेल में बंद हैं तथा उसी आयोजन से जुड़े दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार को केंद्र सरकार की जांच कमेटी शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में दोषी ठहराया गया है ..! इसलिए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को तुरंत पद से हटाया जाना चाहिए  अन्यथा जांच हो ही नहीं सकेगी ..? हाल ही में उन्होंने जिस तरह से रिपोर्ट रद्द की यह स्थिति खुद ही बता रही है की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सच सामनें नहीं आने देंगी..!!
* शीला दीक्षित जितनी ही कोशिश कर रही हैं शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट को नकारने की वो इस जाल उतनी ही फंसती जा रही हैं. मुश्किल ये कि विपक्ष के साथ-साथ अब उनकी पार्टी से भी विरोध के सुर निकलने लगे हैं. कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी वीरेंद्र सिंह चौधरी ने कहा है कि कमेटी की सिफारिशों पर आगे जांच होनी चाहिए.
शुंगलू रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के लिए अपनी ही पार्टी के अंदर से मुश्किलें पैदा हो रही हैं. शीला दीक्षित शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट को खारिज कर चुकी हैं लेकिन पार्टी के महासचिव वीरेंद्र सिंह चौधरी मानते हैं कि आगे भी जांच होनी चाहिए.
* विभिन्न जांच एजेंसियों की छानबीन में जिस तरह से बडे पैमानें पर राष्ट्रमंडल घोटालों की परत दर परत खुल रही है उसे देखते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और राज्य सरकार के वे मंत्री जिनकी देखरेख में इन परियोजनाओं का काम किया गया है तुरन्त पद से हटाकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इन पर मुकदमा चलाकर दोषियों को सजा दी जाए।
पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) और उसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा गठित शुंगुलू समिति, केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और अब केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने राज्य सरकार पर राष्ट्रमंडल खेलों की परियोजनाओं में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार, आपराधिक लापरवाही, ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने, अयोग्य व्यक्तियों को ठेका देने और परियोजनाओं को शुरू करने में देरी के आरोप  हैं।इसे देखते हुए दीक्षित और इन परियोजनाओं को देखने वाले मंत्रियों को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं रह गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पर गैर जरूरी परियोजनाओं में अनाप शनाप तरीके से धन की बडे पैमाने पर बर्बादी, घटिया सामग्री इस्तेमाल करने और अपनी चहेती कंपनियों को लूटने की खुली छूट देने जैसे आरोप भी राज्य सरकार पर लगाए गए हैं।
मुख्यमंत्री और उन मंत्रियों जिनकी देखरेख में राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी परियोजनाओं को जारी किया गया उन्हें तत्काल प्रभाव से उनके पदों से हटा कर इनके कार्यकाल में करवाए गए सभी कार्यों की जांच निष्पक्ष एजेंसी से कराई जाए। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इन पर मुकदमा चलाया जाए और दोषियों को सजा दी जाए।

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