झूठ कौन बोल रहा है...प्रधानमंत्री,विकिलीक्स या गिरिफ्तार आरोपी....?




- अरविन्द सीसौदिया
अब लगभग यह स्पष्ट हो चुका है कि नोट के बदले वोट में मामले में कांग्रेस और सपा नेता अमरसिंह ने सांसदों को खरीदा था। दिल्ली पुलिस ने न्यायालय की लताड के बाद कार्यवाही प्रारम्भ की दो गिरिफतारी हुईं हैं। मामला प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और यूपीए 1 सरकार के विरूद्ध है। लगता नहीं है कि तह तक जांच जायेगी। जांच तह तक जानी होती तो इसका स्टिंग आपरेशन करने वाले चैनल से पूछताछ में सबसे ज्यादा जानकारी हांसिल हो सकती थी। खैर सवाल यह है कि जब विकिलीक्स का खुलासा आया था कि नोट के बदले वोट का प्रयास हुआ था। तब प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने इंकार किया था। 
अब फिर से 
पीएम के करीबी और कांग्रेस के नेता 
अहमद पटेल का नाम आया है। अब प्रधानमंत्री क्या कहेंगे।
  

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दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम
नई दिल्ली.  सुप्रीम कोर्ट के आदेश की रोशनी में नोट के बदले वोट मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम ने सुहैल हिंदुस्तानी को गिरफ्तार कर लिया। भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता रह चुके सुहैल हिंदुस्तानी की इस डील में भूमिका थी। उसकी गिरफ्तारी के बाद अब कैश फॉर वोट जांच की गाज समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव अमर सिंह पर गिर सकती है। दिल्ली पुलिस अमर सिंह से कभी भी पूछताछ कर सकती है।
सुहैल ने सांसदों की खरीद फरोख्त के मामले में अमर सिंह के साथ ही सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल का भी नाम लिया है। हिंदुस्तानी ने दावा किया था कि उसका रोल विश्वास मत के दौरान बीजेपी सांसदों की खरीद फरोख्त की कोशिश का पर्दाफाश करने तक सीमित था।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इसी मामले में सुहैल हिंदुस्तानी के पहले संजीव सक्सेना की भी गिरफ्तारी कर चुकी है। संजीव सक्सेना के पूर्व में अमर सिंह से रिश्ते रहे हैं और उसने ही एक करोड़ की रकम बीजेपी सांसद अशोक अर्गल के आवास 4 फिरोजशाह रोड पर पहुंचाई थी।
 सूत्रों के मुताबिक क्राइम ब्रांच को 21 और 22 जुलाई 2008 को संजीव सक्सेना और अमर सिंह के बीच हुई बातचीत के सबूत मिल चुके हैं। गौर करने वाली बात है कि 22 जुलाई 2008 को यूपीए 1 की सरकार को संसद में विश्वास मत का सामना करना था।
 जानकारी के मुताबिक संजीव सक्सेना और अमर सिंह के रिश्तों से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य क्राइम ब्रांच की जानकारी में आए हैं जो अमर सिंह की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस को संजीव के मोबाइल नंबर 9811721499 से अहम जानकारियां मिली हैं। 21 और 22 जुलाई को संजीव की इस नंबर से अमर सिंह के घर के नंबर 01124616827 पर कई बार बातचीत हुई। इतना ही नहीं उस दौरान संजीव सक्सेना के कॉल डिटेल रिकार्ड की लोकेशन भी अमर सिंह की भूमिका पर उंगलियां उठा रही है।
सक्सेना जिस सफेद जिघ्सी से बीजेपी सांसद अशोक अर्गल के घर पहुंचा था, वो कार मेसर्स पंकजा आर्ट एंड क्रेडिट के नाम रजिस्टर्ड है जो अमर सिंह की पारिवारिक कंपनी है। इस कंपनी का पता ग्रेटर कैलाश-2, ई-593 है जो अमर सिंह के निजी आवास का पता है। ये वे सारे सबूत हैं जो इस डील में अमर सिंह के रोल को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
ये कहा सुहैल ने
नोट के बदले वोट कांड में अमर सिंह की मुख्य भूमिका रही। अमर सिंह ने अहमद पटेल का इस्तेमाल किया।
मैंने अमरसिंह और पटेल का साथ दिया।
पीएम के करीबी और कांग्रेस के नेताओं ने मुझे फोन किया था।
सच्चाई का पता लगाने के लिए मेरा और अमर सिंह का नारको टेस्ट कराइए। संभव हो तो पीएम का भी नारको परीक्षण कीजिए।
फोन करने वालों ने कहा कि तुम भाजपा के साथ क्यों हो? हमारे साथ आओ तुम्हें बड़ी पोस्ट देंगे।
उन्होंने कहा कि यदि तुम एक एमपी ले आते हो तो हम तुम्हें 5 से 10 करोड़ बतौर कमीशन देंगे।
सुहैल ने आरोप लगाया कि अमर सिंह प्रधानमंत्री मनमोहन के निर्देश पर काम कर रहे थे और सरकार बचाने में अहमद पटेल भी उनके साथ थे।
ये था मामला
22 जुलाई 2008 को यूपीए-1 की सरकार को संसद में विश्वास मत का सामना करना था। विश्वासमत से चंद मिनट पहले भाजपा सांसद अशोक अर्गल महावीर भगोरा व फगन सिंह कुलस्ते ने लोस में नोटों की गड्डियां लहराई थीं। इन्होंने कांग्रेस पर अपने पक्ष में मतदान करने के लिए घूस देने का आरोप लगाया था।
अमर सिंह समेत चार नेताओं की जांच की इजाजत
डीएनए नेटवर्क. नई दिल्ली.  गृह मंत्रालय ने बुधवार को नोट के बदले वोट के मामले में दिल्ली पुलिस को अमर सिंह समेत दो वर्तमान और दो पूर्व सांसदों की जांच की इजाजत दे दी है। मंत्रालय ने यह निर्णय बुधवार की देर शाम गृहमंत्री पी चिदंबरम से पुलिस कमिश्नर बीके गुप्ता की मुलाकात के बाद किया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि अमर सिंह के अलावा समाजवादी पार्टी के सांसद रेवती रमन सिंह और भाजपा के पूर्व सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगौरा से भी इस मामले में पूछताछ की जाएगी। उम्मीद है कि इन नेताओं से अगले दो-तीन दिनों के अंदर पूछताछ की जाएगी।
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की जांच की गति धीमी होने के इशारे के बाद इन नेताओं की जांच करने की तैयारी की गई है। उल्लेखनीय है कि विशेषाधिकार के कारण सांसदों से पूछताछ या किसी जांच के लिए पुलिस को सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है।

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PM ने नकारा वोट के बदले नोट का आरोप
18 Mar 2011, 1430 hrs IST, पीटीआई

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सांसदों को वोट के बदले रिश्वत के आरोपों को खारिज करती है
नई दिल्ली: विकिलीक्स द्वारा वोट के बदले नोट के खुलासे के बाद इस मामले में हो-हल्ला मचाने के लिए
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विपक्ष को ही आड़े हाथों लिया। विपक्षा के भारी दबाव पर लोकसभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि विकिलीक्स के संदेशों की सत्यता की पुष्टि नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष ऐसे मुद्दे को उठा रहा है, जिस पर चर्चा हो चुकी है और जनता उसे खारिज भी कर चुकी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सांसदों को वोट के बदले रिश्वत के आरोपों को खारिज करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस या सरकार की ओर से कोई भी इस तरह की गैरकानूनी कार्रवाई में लिप्त नहीं था। उन्होंने कहा कि विकिलीक्स केबल और उनमें दी गई सामग्री की सरकार पुष्टि नहीं कर सकती। सरकार रिश्वत के आरोप को पूरी तरह नकारती है। जिन लोगों के इसमें नाम आए हैं, उन्होंने भी इसका खंडन किया है।

उन्होंने कहा कि 14वीं लोकसभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए रिश्वत दिए जाने के आरोपों की जांच के लिए सदन की एक समिति गठित की थी और उसने भी कहा था कि इसके पर्याप्त सबूत नहीं हैं।

इससे पहले सुबह एक प्रोग्राम में प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार को बचाने के लिए 2008 में विश्वास मत के दौरान उन्हें किसी भी तरह की सौदेबाजी की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि न तो वह इसमें शामिल थे और न ही उन्होंने किसी को भी वोट खरीदने के लिए अधिकृत किया था।

गौरतलब है कि एक न्यूज पेपर में छपी रिपोर्ट के अनुसार, विकिलीक्स द्वारा लीक किए गए अमेरिकी संदेशों में कहा गया है कि भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर 2008 में हुए विश्वास मत के दौरान कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को बहुमत में बनाए रखने के लिए सांसदों को रिश्वत दी गई थी।

इस संदेश में कांग्रेस नेता सतीश शर्मा के एक राजनीतिक सहयोगी नचिकेता कपूर के हवाले से कहा गया है कि सांसदों को रिश्वत के रूप में देने के लिए 50 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।

दूसरी तरफ अमेरिका ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा,'यह नहीं कहने जा रहा हूं कि ये संदेश गोपनीय थे या नहीं लेकिन निश्चित रूप से यदि ये गोपनीय थे तो हम इसके बारे में कुछ भी नहीं बोलेंगे। हम इस पर किसी भी तरह की कोई भी टिप्पणी नहीं करेंगे।'

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