दुर्घटना पर भी राजनीति: राहूल पहले तो नहीं पहुचे... रेल दुर्घटनाओं में...




- अरविन्द सीसौदिया 
कालका मेल
 बंगाल में दुर्घटना ग्रस्त होती या उत्तर प्रदेश के बाहर यह दुर्घटना रही होती तो घायलों का हालचाल पूछने राहुल गांधी नहीं पहुचते, क्यों कि यूपीए 2 अभी तक घोटालों के अलावा रेल दुर्घटनाओं के लिये भी प्रसिद्ध है। मगर राहुल अभी तक ओर कहीं नहीं गये थे...! उत्तर प्रदेश के चुनाव सामने हैं,इसलिये ये 
कालका की जलती राख पर राजनीतिक रोटियां सेकने 
जा पहुंचे....!! 

राहुल चुनावी ओपचारिकता को छोड वास्तविक जनसेवा को आगे आयें तो राजनीति के युवा वर्ग को नई दिशा मिले जो आज सिर्फ पद,पैसा और पशुता की ओर अग्रसर है। 


कानपुर। कांग्रेस के युवराज और अमेठी के सांसद राहुल गांधी आज फतेहपुर के निकट मलवा में हुए कालका मेल हादसे में घायल हुए लोगों के घावों पर मरहम लगाने के लिये कानपुर पहुंचे। राहुल गांधी कानपुर स्थित हैलेट अस्‍पताल जाकर घायलों का हालचाल लिया और उन्‍हें उचित सहयोग उपलब्‍ध कराने का भरोसा दिलाया। सच पूछिए तो यह कालका की जलती राख पर राजनीतिक रोटियां सेकने जैसा ही है। 
मालूम हो कि कालका मेल हादसे में लगभग 70 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे। 
राहुल गांधी जैसे ही हैलेट अस्‍पताल पहुंचे मीडियाकर्मियों ने उन्‍हें घेर लिया और सवालों की बौछार कर दी। मगर शीलू प्रकरण की तरह इस बार भी मीडियाकर्मियों को निराशा ही हाथ लगी। राहुल गांधी ने किसी भी सवाल का कोई जबाब नहीं दिया अलबत्‍ता उनके सुरक्षाकर्मियों से मीडिया वालों की हल्‍की नोकझोंक हो गई। यहां तक कि एक दैनिक अखबार के कैमरामैन को झड़प के बाद हल्की चोट भी आ गयी।
राहुल गांधी ने अस्‍पताल में घायलों से बातचीत की और उनके जख्‍मों पर मरहम लगाते हुए आश्‍वस्‍थ किया कि उन्‍हें कोई भी दिक्‍कत पेश आने नहीं दी जायेगी। राहुल गांधी के साथ कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, सांसद राजाराम पाल और विधायक अजय कपूर और संजीव दरियाबादी भी थे।
यह सब राजनीतिक रोटियों से ज्‍यादा कुछ नहीं था। क्‍योंकि अगर राहुल गांधी को हादसे के पीडि़तों की इतनी ही चिंता थी तो उन्‍होंने हादसे की खबर लगते ही अपनी युवा ब्रिगेड- युवा कांग्रेस के जवानों को राहत कार्य में मदद के लिए क्‍यों नहीं भेजा। क्‍या उनकी युवा ब्रिगेड सिर्फ उनके पीछे नारे लगाने के लिए है। ज्‍यादा दूर नहीं कम से कम युवा कांग्रेस की कानपुर इकाई तो तत्‍परता दिखाई ही सकती थी। 
हम यहां सिर्फ कांग्रेस को नहीं बल्कि अन्‍य सभी जैसे भाजपा के राजनाथ सिंह और उमा भारती के लिए भी कहेंगे। 
भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और एक लम्बे समय बाद भाजपा में वापस लौटीं साध्वी उमा भारती ने भी यहां हैलेट अस्पताल में भर्ती दुर्घटना के घायलों को देखा और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। इन दो भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ भाजपा राज्य इकाई के अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही भी थे।
इन सभी पार्टियों के पास अपनी-अपनी युवा इकाईयां हैं। अगर देश की युवा राजनीतिक पार्टियों की सक्रियता रेल हादसो, बाढ़, भूकंप, आदि त्रास्दियों में दिखे तो ना केवल युवाओं का सम्‍मान बढ़ेगा बल्कि पार्टियों का कद कई गुना बढ़ जायेगा। 


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मगर राहुल नहीं गये थे...!
2 जनवरी 2010-उत्तर प्रदेश में घने कोहरे के कारण पाँच रेलगाड़ियों की हुई दुर्घटना में 10 यात्रियों की मृत्यु हो गई और 40 घायल हो गए। इटावा के पास सराय भोपत स्टेशन परदिल्ली की ओर आ रही लिच्छवी एक्सप्रेस ने मगध एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी। कानपुर के पनकी से दो किलोमीटर की दूरी पर दिल्ली से जा रहीप्रयागराज उसी पटरी पर खड़ी गोरखधाम एक्सप्रेस से टकरा गई। सरयू एक्सप्रेस एक ट्रॉली से टकरा गई।

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