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क्या चीन को खुश रखने, न्याय यात्रा में अरुणाचल नहीं है ? - अरविन्द सिसोदिया

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  क्या चीन को खुश रखने के लिए,कांग्रेस की न्याय यात्रा में अरुणाचल प्रदेश नहीं है - अरविन्द सिसोदिया कांग्रेस के राजकुमार राहुल गांधी , अपनी दूसरी राजनैतिक यात्रा भारत न्याय यात्रा पर 14 जनवरी 2024 से निकलने वाले हैं। इससे पहले वे भारत जोडो यात्रा निकाल चुके हैं। जिसमें उन्हें, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा जम्मू और कश्मीर को धारा 370 से मुक्त कर पूरी तरह भारत से जोड़ देने के बाद बर्फबारी का आनन्द लेते हुए भी देखा गया। जबकि यही सब कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार में राहुल - प्रियंका को असंभव था। हालांकि यात्रा के दौरान न भारत को जोड़ा गया न मुहब्बत की दुकान से कोई मुहब्बत उपलब्ध करवाई गई थी, बल्कि सम्बोधन दर सम्बोधन भारत में घृणा परोसी गई । इससे स्पष्ट है कि न्याय यात्रा के नाम पर भी इसी तरीके से अन्याय, अधर्म, अनैतिकता , अपराध और अराजकता आदि सब कुछ वह परोसा जायेगा । जिससे कांग्रेस और कांग्रेस कार्यकर्ता प्रतिदिन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अनाप शनाप गालियां दे सके,अपमानित कर सकें। देश उनकी बातों को ध्यान देता भी नहीं है। अर्थात यह यात्...

क्या कांग्रेस अपने ही गठबंधन दलों को आईना दिखानें में जुटी है - अरविन्द सिसोदिया

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एक तरफ तो गठबंधन की हायतोबा और दूसरी तरफ एकला चलो का अहंकारपूर्ण फैसला, गठबंधन धर्म को समाप्त करता है। समान्यतः राजनैतिक यात्राएँ दल के नेता के नेतृत्व में निकलती हैँ, जैसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण अडवाणी के नेतृत्व में रामरथ यात्रा , भाजपा के ही राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरलीमनोहर जोशी के नेतृत्व में एकता यात्रा सहित अनेकों प्रांतीय यात्राएं इस बात की गवाह हैँ। किन्तु यह यात्रा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बजाए राहुल गाँधी के नेतृत्व में है। जो खरगे का अपमान भी है और राष्ट्रीय अध्यक्ष से सुपर राहुल दिखानें की कोशिश भी है। वहीं खरगे को अगला प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनाने का सुझाव देनें वाली ममता और केजरीवाल को जबाव भी है। राहुल गांधी का नाम फिलहाल गठबंधन के किसी साथी की ओर से आगे नहीं रखा जा रहा है। यह एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश है। वहीं कहीं न कहीं गठबंधन के अन्य दलों के प्रभाव क्षेत्रों में उन्हें कमजोर कर कांग्रेस की ताकत बढ़ाने का भी प्रयास है। सबसे बड़ी बात यह है कि अरुणाचल प्रदेश से राहुल गाँधी नें दूरी बना कर क्या चीन को संतुष्ट किया है? क्य...

कोरोना पर राजनीति न करे कांग्रेस, उनका पॉजिटिव मुख्यमंत्री सुक्खु सबूत है - अरविन्द सिसौदिया

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 कोरोना पर राजनीति न करे कांग्रेस, उनका पॉजिटिव मुख्यमंत्री सुक्खु सबूत है - अरविन्द सिसौदिया चीन से जब सबसे पहले कोविड - 19 दुनिया के अन्य देशों में पहुंचा तब किसी को यह आभाष नहीं था कि वह पूरी कि पूरी अर्थ व्यवस्था को चौपट कर देगा। विज्ञान की तमाम महारत का दावा करने वाले देश औंधे मुंह गिरे होंगे। स्वयं इस पर काबू पानें का दंभ पालने वाला चीन भी उल्टी परिस्थिती में फंसा हुआ होगा ! आज यही हालात कमोवेश फिर से दुनिया के सामनें हैं । कोरोना का नया वेरियंट चीन को तवाह कर रहा है, उसके पास कोई इलाज नाम की चीज नहीं है। शवों के अंबार लगे हुये हैं। 24 / 24 घंटे का इंजार अंतिम संस्कार करने में लग रहे हैं। यह हमें शिकार करे इससे पहले हमारा जागना और उसे परास्त करने  के सभी उपायों पर काम करना अनिवार्य एवं उचित कार्य है। भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पहले भी कोरोना के दोनों हमलों से बहुत अच्छे से मुकाबला किया था। तब कई राज्य सरकारों ने पार्टी लाईन के चक्कर में मानवता के प्रति गैर जिम्मेवारी दिखाई थी। केन्द्र से भेजे गये उपकरणों को पैकेज में से खोला तक नहीं था। वै...

राहुल गांधी का बयान एमओयू के तहत, वे चीन के अधिवक्ता की तरह बोलते हैं - अरविन्द सिसौदिया china crisis rahul

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  राहुल गांधी का बयान एमओयू के तहत, वे चीन के अधिवक्ता की तरह बोलते हैं - अरविन्द सिसौदिया राहुल गांधी ने भारत यात्रा जोडा के 100 वे दिन पर जयपुर राजस्थान में पत्रकारवार्ता के दौरान बहुत ही शर्मनाक बयान तवांग की घटना को लेकर भारतीय सेना के विरूद्ध दे दिया, जो सत्य के भी विपरीत है !  वे चीनी मामलों में अक्सर वही भाषा बोलते रहे है,जिससे चीन को फायदा हो। हो सकता है कि उनको चीन से संदर्भ ब्रीफिंग आती हो ? क्यों कि उन्होने चीन की सत्तारूढ़ पार्टी के साथ अपना एम ओ यू किया हुआ है।  हस्ताक्षर करते हुये कई तस्वीरें सपरिवार इन्टरनेट पर मौजूद है। वह एम ओ यू आज तक सार्वजनिक नहीं हुआ है। वे भारत के विरूद्ध क्या क्या संधि करके आये हैं , यह प्रश्न आज भी बना हुआ है। राहुन गांधी का बयान शुद्धरूप से चीन का हित चिन्तन था, चीन की आवाज था । इसी कारण उनके बयान की घोर निंदा हुई है। वे क्षमा मांग भी लें तो भी, कुछ नहीं होना वे चीन को फायदा पहुचानें का काम तो कर चुके हैं। यह दूसरी बात है कि उनकी बात पर कोई भी विश्वास नहीं करता है। राहुल गांधी का बयान इस तरह का जैसे वे वहीं मौजूद थे। जब आपने कुछ भी...

जनता को कष्ट का कारण बनें अधूरे काम जल्दी पूरे करवायें ” - अरविन्द सिसोदिया

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भाजपा नेता ने चेताया अधिकारीगण भाजपा पर झूठे  मुकदमे ठोकने के बजाय संवैधानिक जवाबदेही निभायें - सिसोदिया " खुद की पीठ थपथपाने के बजाये, जनता को कष्ट का कारण बनें अधूरे काम जल्दी पूरे करवायें  " - अरविन्द सिसोदिया कोटा 10 दिसंबर । भाजपा के राजस्थान प्रदेश मीडिया सम्पर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक अरविन्द सिसोदिया ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कोटा से विधायक एवं कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल को आगाह करते हुए प्रेस के माध्यम से मांग की है कि खुद की पीठ थपथपाने के बजाये, शेष चल रहे बहुत सारे वायदे और भिन्न भिन्न निर्माण कार्यों को शीघ्रता से पूरा करवायें । विशेष कर जनता को कष्ट का कारण बनें निर्माण कार्यों को शीघ्रता से पूरा करें, अब समय शेष नहीं है। यूं भी 17 दिसंबर को प्रदेश सरकार के चार साल पूरे हो रहें और भारत जोड़ो यात्रा के दिल्ली पहुंचतें ही बहुत कुछ होता प्रतीत हो रहा है। इसलिये अधूरे और शेष कार्यों को तेजी से पूरा किया जाना चाहिये। सिसोदिया ने कहा है कि " भारत जोड़ो यात्रा का राजस्थान में जो अभी तक का सार निकल कर आ रहा है वह न प्रदेश सरकार का भला करने वाला द...

क्या कांग्रेस हाईकमान , गहलोत के विद्रोह से डर गया

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क्या कांग्रेस हाईकमान , गहलोत के विद्रोह से डर गया  सब जानते हैं कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है और कोई सलाह भी नहीं दे पाता। हाई कमान के नाम पर परिवार जो हुक्म कर दे वही सही है । सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी मूलतः इंदिरा गांधी के पति फिरोज खान  के वंशज हैं । यह परिवार कांग्रेस के लिये होली परिवार है । पंजाब में  कृषि कानूनों के विरोध की अगुवाई से कैप्टन अमरिंदर सिंह की जीत सुनिश्चित थी। मगर जीत से पहले ही परिवार में अचानक नवज्योत सिंह  सिधू प्रेम जाग्रत हुआ और सब तहस नहस हो गया, फायदा आप पार्टी को मिल गया । ठीक चुनाव से पहले यह प्रयोग कतई ठीक नहीं था । परिणाम भुगतना पड़ा मगर सीख नहीं ली । पंजाब का प्रयोग लालच में लपेट कर राजस्थान में दोहराया जानें लगा । अशोक गहलोत की जगह सचिन पायलट को बिठानें की बिसात बिछाई जानें लगी । गहलोत लालच में नहीं फंसे और विद्रोह कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष को कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे दिलवा दिये । परिणामस्वरूप कांग्रेस हाईकमान को पीछे हटना पड़ा । मगर कांग्रेस में चल रहा 4 साल का असन्तोष उच्चतम शिखर पर पहुँच गया। माना जा रहा ह...

खड़गे बनना तो तय, मगर चलना अनिश्चित - अरविन्द सिसोदिया

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खड़गे बनना तो तय, मगर चलना अनिश्चित - अरविन्द सिसोदिया यूं तो कांग्रेस की स्थापना भारतवासियों को अंग्रेज भक्त बनानें के लिये , ब्रिटिश अधिकारी ए ओ ह्यूम नें की थी। किंतु यह धीरे धीरे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम की मुख्य पार्टी बन गई और 1885 से लेकर अभी तक यह भारत की महत्वपूर्ण पार्टी बनीं हुई है। 100 साल से अधिक आयु रखनें वाली यह एक मात्र सफल पार्टी भी है। कांग्रेस के गठन के बाद से कुल 61 लोगों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है । मल्लिकार्जुन खड़गे 62 वे व्यक्ति होंगे जो कांग्रेस की कमान सँभालेंगे ।  सोनिया गांधी पार्टी की सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली अध्यक्ष हैं, जिन्होंने 1998 से 2017 और 2019 से अभी तक,  बीस वर्षों से अधिक समय तक इस पद पर रहीं । अभी वे ही अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहीं हैं । पार्टी में अध्यक्ष हेतु चुनाव चल रहा है,अगला चुनाव 17 अक्टूबर 2022 के लिए निर्धारित है।  कांग्रेस पर नेहरू परिवार नें अपना स्वामित्व बनाये रखा है, महात्मा गांधी के द्वारा कांग्रेस की भंग करनें की सलाह भी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नें नहीं मानीं थी ।...

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में उत्तर तथा पूर्वी भारत की घोर उपेक्षा भी - अरविन्द सिसोदिया

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कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में उत्तर तथा पूर्वी भारत की घोर उपेक्षा भी  - अरविन्द सिसोदिया 9414180151 Bharat Jodo Yatra कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी, लंबे समय से कांग्रेस को नुकसान पहुचाते आ रहे हैं । वरिष्ठ कांग्रेसियों को उनकी कतई नहीं बनती है और इसी कारण असंतुष्ट कांग्रेसियों का एक धड़ा बना हुआ है जो लगातार उनके विरुद्ध कुछ ना कुछ कहता रहता है । पहलीबार उन्हें भारत में कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्रों से जोड़नें के लिए,कांग्रेस पार्टी की ओर से गंभीर प्रयास हुआ हैं। ये यात्रा कांग्रेस को बचानें  एवं राहुल गांधी को स्थापित करनें की दृष्टि से की जाना प्रतीत हो रही हैं ।  यात्रा को लेकर कई तरह के कयास मीडिया में चल रहे हैं । किसी का मानना है कि ई डी की कार्यवाही एवं हेराल्ड प्रकरण के अदालत में होनें के चलते , यह निर्णय कांग्रेस के द्वारा लिया गया है। दूसरा विचार यह भी है कि कांग्रेस को बचानें के लिए "करो या मरो" की स्थिति में सड़क पर उतरना आवश्यक था ।  यूं तो इस यात्रा का नाम "भारत जोड़ों यात्रा " Bharat Jodo Yatra रखा गया हैं, किंतु वास्तविकता यही है कि यह यात्रा ...

लालच के टुकड़े पर, नीतीश की बन्दर कूद - अरविन्द सिसोदिया

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लालच के टुकड़े पर, नीतीश की बन्दर कूद - अरविन्द सिसोदिया आखिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार नें भाजपा गठबंधन से अलग हो गए हैं , उन्होंने  मूलरूप से लालूप्रसाद यादव की पार्टी से गठबंधन कर लिया है।   "...उत्तर है अगला प्रधानमंत्री बनानें का लालचरूपी टुकड़ा, नीतीश के सामनें फेंका हुआ था। इसमें तो सन्देह है कि यह संयुक्त विपक्ष के सर्वमान्य होंगे , क्योंकि विपक्ष में राहुल गांधी ,अखिलेश यादव,तेजस्वी यादव बेहद स्वतन्त्र युवराज गण हैं । ममता बनर्जी और अरविन्द केजरीवाल की महत्वाकांक्षाओं का क्या होगा। फिर दक्षिण भारत के दलों की च्वाइस क्या होगी ।" लगभग पिछले 6 महीने से नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव मैं खिचड़ी पक रही थी, हो सकता है यह और भी पहले से चल रहा हो । क्यों कि 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी के नंबर 3 पर पहुँचते ही वे परेशान थे और उन्हें भाजपा से खतरा लगने लगा था। वहीं जिस प्रकार से लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने राजनैतिक सत्ता से अरबों रुपए की संपत्तियां खड़ी की हो और स्वयं लालूप्रसाद  घोषित रूप से भ्रष्टाचार और घोटाले के कारण जेल में हों । ...

राहुल गांधी ने हिटलर से अपने को क्यों जोड़ा ?

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क्या राहुलजी हिटलर बनना चाहते हैं ? ये शब्द कांग्रेस राजकुमार एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के हैं ...सुनें समझें वे क्या करनें वाले हैं । ' हिटलर भी चुनाव जीतकर आया था...जर्मनी का पूरा ढांचा उसके पास था, मुझे ढांचा दे दो, मैं दिखाऊंगा कि चुनाव कैसे जीता जाता है..' एक प्रश्न के उत्तर मैं राहुल ने कहा, 'हां हिटलर भी चुनाव जीत जाता था। हिटलर चुनाव कैसे जीतता था। हिटलर चुनाव ऐसे जीतता था कि जर्मनी के पूरे के पूरे इंस्टीट्यूशन उसके हाथ में थे। उसके पास SA थी। पैरामिलिटरी फोर्स थी। उसके पास पूरा का पूरा ढांचा था। मुझे पूरा ढांचा दे दो फिर मैं आपको दिखाऊंगा कि कैसे इलेक्शन जीता जा सकता है।' कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस बयान पर आपकी क्या राय है? सवाल यही है कि सोनिया गांधी चाहती हैं कि राहुल जी प्रधानमंत्री बनें । हर माँ यही चाहती है कि उसका बेटा बहुत बड़ा बनें। मगर राहुल जी जैसे ही मुँह खोलते हैं बोलते हैं । तो वे जरूर कुछ इस तरह का होता है कि उनके नंबर कम हो जाते हैं । यही यह बयान भी बता रहा है। जहां तक हिटलर का सवाल है वह सिर्फ चुनाव जीता था,उसकी पार्टी चुनाव हा...

हुडदंगी सासंदों के विरूद्ध,रिप्लेशमेंट सांसद बुलानें का नियम बने - अरविन्द सिसौदिया

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हुडदंगी सासंदों के विरूद्ध,रिप्लेशमेंट सांसद बुलानें का नियम बने - अरविन्द सिसौदिया Against riotous MPs, it should be a rule to call replacement MPs - Arvind Sisodia संसद के दोनों सदनों में ही विपक्ष के कुछ राजनैतिक दलों के सांसदों को हुडदंग करने के परोक्ष अपरोक्ष निर्देश दिये जाते हैं। येशा राजनैतिक फायदे के बजाये राजनैतिक द्वेषता से अधिक प्रेरित होता है। In both the houses of the Parliament, indirect and indirect instructions are given to the MPs of some political parties of the opposition to riot. Yesha is motivated more by political malice than by political gain.   संविधान की दृष्टि से लोकसभा में सांसद जनता का प्रतिनिधि होता है, इसलिये हुडदंगी सांसद की सदस्यता समाप्ती व अगले 10 साल तक चुनाव लडनें पर रोक के साथ, उस क्षैत्र की जनता से अन्य दल का नया प्रतिनिधि चुन कर भेजनें की कार्यवाही का अधिकार लोकसभा के सदन को होना चाहिये। अर्थात रिप्लेश किया जा रहा नया जनप्रतिनिधि भी हुडदंगी दल का नहीं होना चाहिये।  According to the Constitution, the MP is the representative of the peopl...

राहुल गांधी का चीन-गुणगान क्या एम ओ यू के कारण

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राहुल गांधी क्या चीन के किसी षडयंत्र को आगे बडा रहे हैं। राहुल गांधी के मुंह से अक्सर वह बात सामनें आती है, जिसे चीन स्वयं न बोल कर किसी भारतीय के द्वारा बुलवाना चाहता है। साम्यवाद से मोतीलाल जी नेहरू  एवं जवाहरलाल जी नेहरू के भी गहरे सम्बंध रहे है। वे तब सोवियत रूस जाया करते थे। आजादी के बाद जो विश्वस्तरीय सैन्य गुट बना उसमें भी भारत सोवियत रूस गुट में रहा जबकि पाकिस्तान अमेरिका-ब्रिटेन के सैन्य गुट में था। भारत में कांग्रेस सत्ता में रही मगर उसने साम्यवादी विचारधारा एवं इतिहासकारों को बुद्धिजीवियों को लगातार संरक्षण ही दिया है। साम्यवादी चीन से भी जवाहरलाल नेहरू जी के गहरे सम्बंध रहे हैं। सोनिया गांधी जी के बाद कांग्रेस का झुकाव अमेरिका के पक्ष में हुआ और परमाणु समझौते पर कांग्रेस और कम्युनिष्ट आमने सामने भी हुये। लेकिन चीन के साथ हुये राजनैतिक दल के नाते समझौते के बाद कांग्रेस की आवाज चीन प्रेम से ही लबरेज रहती है। जो भी राहुल जी बोलते हैं वह लगभग वही होता है जो चीन की इच्छा है। सवाल यही खडा होता है कि क्या चीन भारत में कोई और बडे षडयंत्र की ओर बड रहा है। जिसके लिये वह कांग्रेस ...