क्या कांग्रेस हाईकमान , गहलोत के विद्रोह से डर गया
क्या कांग्रेस हाईकमान , गहलोत के विद्रोह से डर गया
सब जानते हैं कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है और कोई सलाह भी नहीं दे पाता। हाई कमान के नाम पर परिवार जो हुक्म कर दे वही सही है । सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी मूलतः इंदिरा गांधी के पति फिरोज खान के वंशज हैं । यह परिवार कांग्रेस के लिये होली परिवार है ।
पंजाब में कृषि कानूनों के विरोध की अगुवाई से कैप्टन अमरिंदर सिंह की जीत सुनिश्चित थी। मगर जीत से पहले ही परिवार में अचानक नवज्योत सिंह सिधू प्रेम जाग्रत हुआ और सब तहस नहस हो गया, फायदा आप पार्टी को मिल गया । ठीक चुनाव से पहले यह प्रयोग कतई ठीक नहीं था । परिणाम भुगतना पड़ा मगर सीख नहीं ली ।
पंजाब का प्रयोग लालच में लपेट कर राजस्थान में दोहराया जानें लगा । अशोक गहलोत की जगह सचिन पायलट को बिठानें की बिसात बिछाई जानें लगी । गहलोत लालच में नहीं फंसे और विद्रोह कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष को कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे दिलवा दिये । परिणामस्वरूप कांग्रेस हाईकमान को पीछे हटना पड़ा । मगर कांग्रेस में चल रहा 4 साल का असन्तोष उच्चतम शिखर पर पहुँच गया।
माना जा रहा है कि कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद राजस्थान में कुछ बड़ा होगा । राजनीति के जानकार मानते हैं कि कांग्रेस हाईकमान जिस दिन राजस्थान में नया मुख्यमंत्री घोषित कर देगी । तब 2/4 इस्तीफे ही रह जाएंगे सब वापस हो जाएंगे , चाहे अगला मुख्यमंत्री सचिन पायलट ही क्यों न घोषित हो जाये ।
राजस्थान में कांग्रेस अलग होकर गहलोत नया दल बनाकर सफल होते तो नजर नहीं आ रहे , कि चुनाव में अब समय नहीं है और भाजपा भारी बहुमत से आ रही है। गहलोत अलग दल बनाते भी हैं तो उसकी स्थिति भी पंजाब में जो अमरिंदर सिंह की हुई, वही होगी।
किंतु मुख्य सवाल यही है कि कांग्रेस में गहलोत के प्रति क्या नजरिया है ! कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और गहलोत के बीच क्या कोई समझौता हुआ है । क्योंकि कांग्रेस पर दो प्रदेशों में ही राज्य सरकारें हैं। इन्ही से पूरी कांग्रेस चल रही है। पार्टी चलानें में भारी धन व्यय होता है । अकूत धन व्यवस्था राज्य सरकारें पार्टी के लिए करतीं हैं । संभवतः कांग्रेस हाई कमान कमाऊ पूत नहीं खोना चाहेगी । आजकल सोसल मीडिया प्लेटफार्म नें दलों के खर्चे जरूरत से ज्यादा बड़ा दिए हैं । भारी धन व्यय होता है। पार्टी पर आय के दो ही जरिये होते हैं। मुख्य राज्य सरकार और दूसरा पूंजीपतियों से प्राप्त होनें वाला घोषित अधोषित चंदा ।
अंबानी - अडानी का कांग्रेस विरोध क्या है ? जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, सब निराधार है । देश का पूंजीपति तरक्की करेंगे तो देश की ही उन्नति होगी। देश के लोगों को रोजगार मिलेगा।
सच यह है कि राजनैतिक दल अकूत धन घोषित अधोषित चंदे और अन्य प्रबंधों के रूप में लेते हैं । कसर पड़ जाये तो विरोध प्रदर्शन होते हैं । यह सच सभी जानते हैं, कहता कोई नहीं।
उधोगपति अडानी राजस्थान आये, गहलोत के साथ कार्यक्रम किया , निवेश की घोषणाएं की, राहुल गांधी के सुर भी बदल गये। हो सकता है कि कांग्रेस की अपेक्षाओं की पूर्ति हो गई हो ।
फिलहाल जो दृश्य दिख रहा है, उसमें कांग्रेस हाईकमान बैकफूट पर है और गहलोत आत्मविश्वास से भरे हुए हैं । हालांकि इससे कांग्रेस की सरकार राजस्थान में नहीं आ रही ।
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